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उत्तराखंड में रफ्तार पकड़ रहीं रेलवे परियोजनाएं: कनेक्टिविटी को मिलेगा नया आयाम

उत्तराखंड में रफ्तार पकड़ रहीं रेलवे परियोजनाएं: कनेक्टिविटी को मिलेगा नया आयाम

देहरादून। उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति और सामरिक महत्व को देखते हुए रेल संपर्क राज्य की सबसे बड़ी ज़रूरतों में से एक है। लंबे समय तक रेल नेटवर्क के लिहाज से उत्तराखंड पिछड़ा रहा, लेकिन अब केंद्र सरकार, राज्य सरकार और भारतीय रेलवे मिलकर इस पहाड़ी राज्य में रेल परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। इन परियोजनाओं से न केवल स्थानीय जनता को फायदा होगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को भी बल मिलेगा।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना: सबसे बड़ी पहाड़ी चुनौती

उत्तराखंड की सबसे महत्त्वाकांक्षी परियोजना ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन है। यह 125 किलोमीटर लंबा ट्रैक गढ़वाल के पर्वतीय जिलों – टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली को जोड़ता है। इसमें 12 बड़े सुरंगें (टनल्स), 16 पुल और 17 रेलवे स्टेशन शामिल होंगे।

रेलवे के अनुसार, कुल 105 किमी ट्रैक में से 80 प्रतिशत हिस्सा सुरंगों के माध्यम से गुज़रेगा। सबसे लंबी सुरंग लगभग 15 किलोमीटर लंबी होगी, जो हिमालयी भूगोल में इंजीनियरिंग की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। 2024 के अंत तक 50% निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है।

यह रेल मार्ग केदारनाथ यात्रा के लिए आधार स्टेशन गौरीकुंड से निकटतम रेल संपर्क प्रदान करेगा।

टनकपुर-बागेश्वर परियोजना: कुमाऊं को जोड़ेगा रेल से

यह 120 किलोमीटर लंबी प्रस्तावित रेलवे लाइन चंपावत, पिथौरागढ़ और बागेश्वर को जोड़ती है। इसकी लागत ₹9,000 करोड़ से अधिक आंकी गई है। 2023 में इस परियोजना को ‘सर्वे-अनुमोदन’ प्राप्त हुआ और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ की जा चुकी है।

यह रेलवे लाइन उत्तराखंड के पूर्वी क्षेत्रों को सीधे टनकपुर-लखनऊ रेलमार्ग से जोड़ेगी, जिससे यात्रियों और व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी।

देहरादून से मसूरी तक मेट्रो-नियो योजना

राजधानी देहरादून और मसूरी के बीच भीड़ और ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए मेट्रो-नियो (हल्की शहरी रेल सेवा) की योजना बनाई गई है। यह प्रस्तावित मार्ग लगभग 33 किलोमीटर लंबा होगा और इसमें रोपवे व लाइट मेट्रो तकनीक का उपयोग किया जाएगा।

इस योजना से देहरादून-मसूरी सफर सिर्फ 30–35 मिनट में तय होगा, जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

उत्तरकाशी और धारचूला तक रेल संपर्क का प्रस्ताव

धारचूला और उत्तरकाशी जैसे सीमावर्ती इलाकों को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इन क्षेत्रों तक रेल पहुंचाने की योजना पर रेलवे मंत्रालय ने प्रारंभिक सर्वे कार्य पूरा किया है। टनकपुर से धारचूला रेल लाइन न केवल सेना के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर सुविधा भी प्रदान करेगी।

उत्तरकाशी तक रेल संपर्क से गंगोत्री-यमुनोत्री यात्रा सुगम होगी और राज्य के पर्यटन व्यवसाय को बूस्ट मिलेगा।

वर्तमान रेल नेटवर्क और विस्तार

  • उत्तराखंड में वर्तमान में कुल 345 किलोमीटर सक्रिय रेलवे लाइनें हैं।
  • इनमें प्रमुख मार्ग हरिद्वार–देहरादून, लक्सर–काशीपुर, रामनगर–मुरादाबाद शामिल हैं।
  • रेलवे ने हाल ही में लालकुआं से टनकपुर सेक्शन के विद्युतीकरण का कार्य पूरा किया है।
  • देहरादून रेलवे स्टेशन को आधुनिक सुविधाओं से युक्त “ग्रीन स्टेशन” के रूप में विकसित किया जा रहा है।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

रेल परियोजनाएं उत्तराखंड की ग्रामीण और पहाड़ी अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकती हैं। जहां एक ओर पर्यटन, तीर्थाटन और कृषि विपणन को तेज़ी मिलेगी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।

उत्तराखंड राज्य सरकार का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्रों में रेल संपर्क बनने से पलायन की समस्या पर भी कुछ हद तक नियंत्रण संभव होगा।

उत्तराखंड में रेलवे परियोजनाएं सिर्फ भौतिक कनेक्टिविटी नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हुई हैं। इन परियोजनाओं के पूरा होने से राज्य की पहुँच, विकास और सामरिक शक्ति को नया आयाम मिलेगा। जनता को भी उम्मीद है कि ये योजनाएं अब और विलंबित नहीं होंगी और उत्तराखंड को एक नया रेल युग देखने को मिलेगा।

स्रोत: रेल मंत्रालय वार्षिक रिपोर्ट 2024-25, NITI Aayog इंफ्रास्ट्रक्चर बुलेटिन, उत्तराखंड राज्य योजना आयोग

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