Serene train station platform in Melattur, Kerala, India, surrounded by lush greenery.

जानिए डीज़ल इंजन वाली भारतीय ट्रेनों का माइलेज: एक लीटर में कितनी दूर चलती है ट्रेन?

जानिए डीज़ल इंजन वाली भारतीय ट्रेनों का माइलेज: एक लीटर में कितनी दूर चलती है ट्रेन?

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे प्रणाली है, जो देश की जीवनरेखा मानी जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि डीज़ल से चलने वाली ट्रेनें एक लीटर ईंधन में कितनी दूरी तय करती हैं? यह सवाल न सिर्फ रेल प्रेमियों को उत्सुक करता है, बल्कि आम लोगों के लिए भी जानना दिलचस्प है कि हजारों टन वजनी ट्रेनें डीज़ल पर कैसे चलती हैं और उनका माइलेज कितना होता है।

रेलवे में डीज़ल इंजनों की भूमिका

आज भले ही रेलवे तेज़ी से विद्युतीकरण की ओर बढ़ रहा है, लेकिन डीज़ल इंजन आज भी दूरस्थ और अनविद्युतीकृत रूटों पर रेल संचालन की रीढ़ हैं। डीज़ल इंजन उन इलाकों में बेहद जरूरी हैं, जहां बिजली की आपूर्ति स्थिर नहीं है या ट्रैक पर अब तक बिजली के तार नहीं बिछाए गए हैं।

एक लीटर डीज़ल में ट्रेन कितनी दूर चलती है?

भारतीय रेलवे के तकनीकी दस्तावेज़ों और इंजीनियरों के अनुसार, एक डीज़ल इंजन ट्रेन औसतन 3 से 6 किलोमीटर प्रति लीटर डीज़ल का माइलेज देती है। यह दूरी कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे:

  • ट्रेन की गति
  • कोचों की संख्या
  • रूट की ढलान या चढ़ाई
  • ट्रेन का भार
  • इंजन का प्रकार और मॉडल

भारतीय रेलवे में प्रयुक्त WDM-3A, WDP-4 और WDG-4 जैसे इंजन की माइलेज क्षमता अलग-अलग होती है। मालगाड़ियों में जहाँ वजन अधिक होता है, वहीं यात्री गाड़ियों का माइलेज तुलनात्मक रूप से बेहतर होता है।

उदाहरण से समझें

मान लीजिए किसी डीज़ल इंजन ट्रेन को 500 किलोमीटर की यात्रा तय करनी है, और उसका औसत माइलेज 4 किलोमीटर प्रति लीटर है। तो उसे लगभग 125 लीटर डीज़ल की आवश्यकता होगी। हालांकि वास्तविक उपयोग इससे अधिक भी हो सकता है क्योंकि रुकावटें, स्टॉपेज और इंजन स्टार्ट-स्टॉप सभी माइलेज को प्रभावित करते हैं।

क्या डीज़ल ट्रेनों का उपयोग कम हो रहा है?

रेल मंत्रालय के मुताबिक भारतीय रेलवे ने 2030 तक “नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन” का लक्ष्य रखा है। इसके तहत अधिकतम रूट्स का विद्युतीकरण किया जा रहा है। अभी तक देश के 84% से अधिक रेल रूट्स का विद्युतीकरण हो चुका है, जिससे डीज़ल ट्रेनों पर निर्भरता तेजी से घट रही है।

डीज़ल इंजन की लागत और संचालन खर्च

डीज़ल ट्रेनों का संचालन बिजली से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में अधिक महंगा होता है। एक अनुमान के अनुसार, डीज़ल इंजन प्रति यूनिट किलोमीटर लगभग 20 से 25% अधिक खर्च करते हैं। इसके बावजूद कुछ क्षेत्रों में इनकी आवश्यकता बनी रहती है, खासकर पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में।

पहाड़ी राज्यों में जहां हर रूट पर अभी तक विद्युतीकरण नहीं हुआ है, वहां डीज़ल इंजन ट्रेनों की अहम भूमिका है। स्थानीय यात्रियों के लिए ये ट्रेनें अब भी मुख्य परिवहन साधन हैं। आने वाले वर्षों में जैसे-जैसे विद्युतीकरण बढ़ेगा, वहां की ट्रेनें भी अधिक पर्यावरण-अनुकूल और किफायती बनेंगी।

डीज़ल इंजन ट्रेनों की माइलेज भले ही कम प्रतीत हो, लेकिन यह ध्यान देना ज़रूरी है कि वे एक बार में सैकड़ों यात्रियों और भारी माल को एक साथ ले जाने में सक्षम होती हैं। रेलवे का यह हिस्सा अब भी भारत के कई क्षेत्रों में अवश्यक है, और जब तक पूर्ण विद्युतीकरण नहीं हो जाता, तब तक इनका महत्व बना रहेगा।

स्रोत: भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग मैनुअल, रेल विकास रिपोर्ट (2023)

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