इनकम टैक्स स्कैनिंग में हड़कंप: 3500 से अधिक सरकारी और निजी कर्मचारी आयकर जाल में फंसे
बिचौलियों और झूठे दस्तावेजों के सहारे ‘शून्य टैक्स’ दिखाकर बचते रहे लोग, अब आयकर विभाग ने शुरू की बड़ी कार्रवाई
🟨 मुख्य बिंदु (हाइलाइट्स):
- यूपी में 3500 से अधिक लोग इनकम टैक्स स्कैनिंग में पकड़े गए
- सरकारी टीचर, पुलिसकर्मी, रेलवे अधिकारी, निजी कंपनी के मैनेजर भी शामिल
- आयकर रिटर्न में ‘जीरो टैक्स देयता’ दिखाकर टैक्स चोरी की साजिश
- बिचौलियों और CA के नेटवर्क का पर्दाफाश
- गोंडा में एक ही ठिकाने से ₹17 लाख कैश जब्त
- 50 से शुरू होकर 100+ ठिकानों पर पहुंची छापेमारी
- अब तक 40,000 लोगों ने संशोधित ITR दाखिल किया, ₹1,000 करोड़ के फर्जी दावे वापस
जांच के दायरे में शिक्षक से लेकर उच्च अफसर तक
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आयकर विभाग की ओर से चलाए जा रहे ‘टैक्स स्कैनिंग अभियान’ ने शासन-प्रशासन से जुड़े कर्मचारियों और निजी क्षेत्र के बड़े पदाधिकारियों को भी चौंका दिया है।
इस अभियान में ऐसे 3500 से अधिक लोग चिन्हित किए गए हैं जिन्होंने अपने इनकम टैक्स रिटर्न में ‘शून्य टैक्स देयता’ (Zero Tax Liability) दर्शाया, जबकि उनकी बैंकिंग गतिविधियाँ और संपत्ति इससे उलट कहानी बयां करती हैं।
इस लिस्ट में सरकारी स्कूलों के शिक्षक, पुलिसकर्मी, रेलवे अधिकारी, बैंकिंग सेक्टर के कर्मचारी, निजी कंपनी के मैनेजर और अन्य वर्गों के वेतनभोगी लोग शामिल हैं। इन सभी ने ‘टैक्स में छूट’ और ‘कटौती’ के गलत दावे कर आयकर से बचने की कोशिश की, लेकिन तकनीकी निगरानी और डेटा विश्लेषण के आगे उनकी चालें बेनकाब हो गईं।
बिचौलियों और CA नेटवर्क ने की टैक्स चोरी में ‘मदद’
आयकर विभाग की शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि इन लोगों को गुमराह करने वाले बिचौलियों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का एक पूरा रैकेट काम कर रहा था। ये बिचौलिए वेतनभोगियों से संपर्क कर उन्हें टैक्स बचाने के ‘लॉ ऑफर्स’ बताते और नकली रसीदों, फर्जी एलआईसी निवेश या राजनीतिक चंदा जैसे कागज लगाकर ITR दाखिल करते।
इसी नेटवर्क की सहायता से कई हाई सैलरी प्राप्त करने वालों ने ‘शून्य टैक्स देयता’ दिखाकर बड़े पैमाने पर फर्जी टैक्स छूट ली।
गोंडा में मिला कैश, छापेमारी से फैला हड़कंप
सूत्रों के अनुसार, गोंडा जिले में एक बिचौलिए के ठिकाने से ₹17 लाख नकद बरामद हुआ है। इसी तरह मेरठ, नोएडा, अमरोहा, मुरादाबाद, गाजियाबाद और वाराणसी जैसे जिलों में भी छापेमारी की गई।
आयकर विभाग ने बताया कि शुरू में 50 स्थानों पर कार्रवाई शुरू की गई थी, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 100 से अधिक हो चुकी है।
इन छापों में टैक्स अधिवक्ताओं और CAs के पास से भारी मात्रा में ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो या तो फर्जी हैं या जिनके कोई कानूनी प्रमाण नहीं हैं।
झूठे ITR से फायदा, बैंक ट्रांजेक्शन ने खोली पोल
कई करदाताओं ने अपने रिटर्न में एलआईसी पॉलिसी, मेडिकल खर्च, राजनीतिक चंदा या गृह ऋण जैसी छूट का दावा किया, लेकिन उनके बैंक ट्रांजेक्शनों से यह साफ हो गया कि ये दावे निराधार थे।
RTGS और UPI जैसे डिजिटल लेनदेन से आयकर अधिकारियों को यह विश्लेषण करने में आसानी हुई कि असल आय और घोषित आय में कितना अंतर है।
आयकर विभाग के मुताबिक, हजारों लोगों ने रिटर्न में जो कटौती दर्शाई थी, उसके कोई वैध दस्तावेज नहीं थे।
चेतावनी के बावजूद नहीं माने लोग, अब भारी जुर्माना तय
गौरतलब है कि इनकम टैक्स विभाग पहले ही टैक्स चोरी की आशंका वाले मामलों में नोटिस भेज चुका था और ITR को अपडेट करने का अवसर दिया गया था।
अब तक 40,000 से अधिक लोगों ने अपने ITR अपडेट किए हैं और ₹1,000 करोड़ से अधिक की कटौती वापस ली गई है।
लेकिन जिन लोगों ने चेतावनी को नजरअंदाज कर रिटर्न गलत तरीके से दाखिल किए, अब उन्हें भारी जुर्माने और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
आयकर विभाग की इस कार्रवाई ने उस वर्ग को कटघरे में खड़ा कर दिया है जिसे आमतौर पर ‘ईमानदार करदाता’ माना जाता रहा है।
शिक्षक, पुलिसकर्मी, सरकारी क्लर्क या बैंक अधिकारी जैसी छवि वाले लोग जब टैक्स चोरी में लिप्त पाए गए, तो यह सवाल खड़ा हुआ – “क्या कर प्रणाली में ईमानदारी अब सिर्फ कागजों में बची है?”
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना कर नैतिकता (Tax Morality) के गिरते स्तर की चेतावनी है।
इस अभियान के सफल परिणामों को देखते हुए आयकर विभाग अब तकनीकी साधनों के माध्यम से रियल टाइम ट्रैकिंग की ओर बढ़ रहा है।
जैसे ही कोई व्यक्ति ‘शून्य देयता’ वाला रिटर्न दाखिल करेगा, उसकी बैंकिंग गतिविधियों, UPI लेनदेन, संपत्ति खरीद-फरोख्त और निवेश योजनाओं का स्वचालित विश्लेषण किया जाएगा।
इससे टैक्स चोरी को रोकना अधिक सशक्त और पारदर्शी होगा।
करदाता भी जिम्मेदार, तंत्र भी जवाबदेह
यह मामला केवल आर्थिक अपराध का नहीं, बल्कि सामाजिक नैतिकता और प्रशासनिक ढांचे की विफलता का भी प्रतीक है।
जहां करदाता फर्जी रसीदों से टैक्स बचाने का प्रयास करते हैं, वहीं कुछ कर सलाहकार और बिचौलिए अपने लाभ के लिए पूरी व्यवस्था को गुमराह करते हैं।
यह आवश्यक हो गया है कि एक ओर जनता को कर जागरूकता दी जाए, वहीं दूसरी ओर संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जाए।
👉 आयकर विभाग – ITR अपडेट गाइड (आधिकारिक वेबसाइट)
👉 उत्तराखंड में दोहरी वोटर लिस्ट वाले प्रत्याशियों की सूची पर हाईकोर्ट की सख्ती