यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को दी जाएगी फांसी: क्या बचेगी जान?
न्यूज़ डेस्क। केरल की 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया, जो यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं, को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जाने वाली है। निमिषा पर अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का आरोप है। इस मामले ने भारत और यमन में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है, और निमिषा की जान बचाने के लिए कई स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं।
मामले की पृष्ठभूमि
निमिषा प्रिया 2008 में अपने परिवार का आर्थिक सहारा बनने के लिए यमन गई थीं। उन्होंने वहां कई अस्पतालों में नर्स के रूप में काम किया और 2015 में अपनी खुद की क्लिनिक शुरू करने का फैसला किया। यमनी कानून के अनुसार, विदेशी नागरिकों को व्यवसाय शुरू करने के लिए स्थानीय साझेदार की आवश्यकता होती है, जिसके लिए निमिषा ने तलाल अब्दो मेहदी के साथ साझेदारी की। हालांकि, उनके बीच रिश्ते खराब हो गए। निमिषा के अनुसार, तलाल ने उनके पासपोर्ट को जब्त कर लिया, उनके साथ मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न किया, और यहां तक कि जाली दस्तावेजों के जरिए खुद को उनका पति घोषित कर दिया। 2017 में, निमिषा ने कथित तौर पर अपने पासपोर्ट को वापस लेने के लिए तलाल को बेहोश करने की कोशिश की और उन्हें सेडेटिव्स दिए, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, निमिषा और उनकी एक सहयोगी हनान ने तलाल के शव को टुकड़ों में काटकर एक पानी के टैंक में फेंक दिया। निमिषा को देश छोड़ने की कोशिश के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। 2018 में, यमन की एक अदालत ने उन्हें हत्या का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई, जिसे 2023 में यमन के सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने बरकरार रखा।
ब्लड मनी: आखिरी उम्मीद
यमनी कानून के तहत, मृतक के परिवार को “ब्लड मनी” (दिया) का भुगतान करके फांसी की सजा को माफ किया जा सकता है। निमिषा के परिवार और “सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल” ने तलाल के परिवार को 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.6 करोड़ रुपये) की पेशकश की है। हालांकि, तलाल का परिवार अब तक इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए राजी नहीं हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बास्करन, जो यमन में इस मामले में मध्यस्थता कर रहे हैं, ने कहा, “हमने परिवार को पिछली बैठक में एक प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया। मैं बातचीत फिर से शुरू करने के लिए यमन जा रहा हूं।”
भारतीय सरकार और परिवार के प्रयास
निमिषा की मां, प्रेमा कुमारी, जो कोच्चि में एक घरेलू कामगार हैं, ने अपनी बेटी को बचाने के लिए अपनी सारी संपत्ति बेच दी और पिछले एक साल से यमन में डेरा डाले हुए हैं। वह तलाल के परिवार से माफी मांगने और ब्लड मनी के जरिए सजा माफ कराने की कोशिश कर रही हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि वे इस मामले पर नजर रखे हुए हैं और स्थानीय अधिकारियों तथा निमिषा के परिवार के साथ नियमित संपर्क में हैं। मंत्रालय ने सभी संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है।10 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने निमिषा के मामले में भारत सरकार से जवाब मांगा और 14 जुलाई को इसकी सुनवाई की। निमिषा के वकील ने कोर्ट को बताया कि ब्लड मनी के जरिए माफी ही उनकी जान बचाने का आखिरी रास्ता है।
राजनीतिक और सामाजिक समर्थन
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के राज्यसभा सांसद सांदोश कुमार ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर तत्काल राजनयिक हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि यमनी कानून में ब्लड मनी के प्रावधान के तहत निमिषा की जान बचाने का अवसर है, बशर्ते भारत सरकार इस दिशा में तेजी से कदम उठाए।केरल के कांग्रेस विधायक चांडी ओम्मेन ने भी इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा, “यह एक मानवीय मुद्दा है। हमें निमिषा की मां, पति और बेटी के दुख को खत्म करने के लिए तेजी से काम करना होगा।”
क्या बचेगी निमिषा की जान?
यमन में चल रहे गृहयुद्ध और हूती विद्रोहियों के नियंत्रण के कारण भारत के पास वहां कोई औपचारिक राजनयिक चैनल नहीं है, जिससे यह मामला और जटिल हो गया है। फिर भी, निमिषा के समर्थक और परिवार अंतिम क्षण तक उम्मीद नहीं छोड़ रहे हैं। सैमुअल जेरोम ने कहा, “यमनी कानून के तहत, फांसी से एक घंटे पहले भी अगर मृतक का परिवार माफी दे देता है, तो सजा रद्द हो सकती है।” निमिषा की कहानी न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि उन भारतीय प्रवासी श्रमिकों की कठिनाइयों को भी उजागर करती है, जो बेहतर भविष्य की तलाश में विदेशों में जोखिम उठाते हैं। जैसे-जैसे 16 जुलाई की तारीख नजदीक आ रही है, निमिषा की जान बचाने की उम्मीदें अब भारत सरकार के राजनयिक प्रयासों और तलाल के परिवार की माफी पर टिकी हैं।
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