वांगचुक के एनजीओ से निकलकर कंपनी और फिर निजी खातों में पहुंची करोड़ों की रकम
- केंद्र सरकार ने वित्तीय अनियमितताओं के कारण वांगचुक के एनजीओ का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया।
- दान के नाम पर जुटाई रकम एनजीओ से निकलकर निजी कंपनी और खातों में पहुंची।
- वांगचुक के पास 9 निजी खाते, जिनमें से 8 छिपाए गए।
- 2018-2024 के बीच निजी खातों में 1.68 करोड़ की विदेशी रकम आई।
- 2021-2024 तक अपने खातों से 2.3 करोड़ रुपये विदेश भेजे।
- HIAL संस्था को 2023-24 में 6 करोड़ से बढ़कर 15 करोड़ चंदा मिला।
- सीबीआई दो माह से जांच कर रही, ईडी भी कसेगी शिकंजा।
- लद्दाख हिंसा की साजिश से जुड़ते दिख रहे तार।
नई दिल्ली। पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की विदेशी फंडिंग के जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उनसे करोड़ों की फंडिंग, खातों को छिपाने के मामले में उनकी नीयत और लद्दाख में हालात बिगाड़ने की साजिश के सूत्र जुड़ते दिख रहे हैं। केंद्र सरकार ने वित्तीय अनियमितताओं के चलते वांगचुक के एनजीओ का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया है।
दान से निजी खातों तक का सफर
दान और आंदोलन के नाम पर जुटाई गई रकम गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) से निकलकर निजी कंपनी में पहुंची, और वहां से सीधे निजी खातों व विदेशों तक। वांगचुक दावा जनहित का करते रहे हैं, पर हकीकत में पैसों का खेल सामने आया है। सीबीआई दो माह से FCRA उल्लंघन मामले की जांच कर रही है।
सबसे पहले बात सोनम वांगचुक की संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट्स ऑफ अल्टरनेटिव्स (HIAL) की करते हैं। दस्तावेज बताते हैं कि इस संस्था को 2023-24 में करीब 6 करोड़ रुपये का चंदा मिला था, पर अगले ही साल यह रकम बढ़कर 15 करोड़ से भी ज्यादा हो गई। मतलब एक साल में दान दोगुना।
छिपे हुए खाते और संदिग्ध लेन-देन
जांच एजेंसियों ने सोनम वांगचुक के निजी खातों को भी खंगाला तो रिकॉर्ड चौंकाने वाले आए। वांगचुक के पास कुल 9 व्यक्तिगत बैंक खाते हैं। इनमें से 8 छिपाए गए। 2018 से 2024 के बीच इन खातों में 1.68 करोड़ रुपये की विदेशी रकम आई।
साल 2021 से मार्च 2024 तक वांगचुक ने अपने निजी खातों से 2.3 करोड़ रुपये विदेश भी भेजे। यह पैसा किन संस्थाओं या व्यक्तियों को गया, इसका कोई साफ रिकॉर्ड नहीं है। इससे हवाला के शक पुख्ता होते हैं।
संस्था के पास 7 बैंक खाते पाए गए, लेकिन इनमें से 4 की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई। यही नहीं, HIAL ने बिना FCRA पंजीकरण कराए ही 1.5 करोड़ रुपये से अधिक का विदेशी चंदा लिया जो कानून का सीधा उल्लंघन है।
FCRA नियमों के गंभीर उल्लंघन
गृह मंत्रालय ने SECMOL का FCRA लाइसेंस रद्द करते समय कई गंभीर उल्लंघनों का हवाला दिया:
- स्थानीय फंड का FCRA खाते में जमा: 2021-22 में वांगचुक ने 3.5 लाख रुपये FCRA खाते में जमा किए
- विदेशी योगदान की गलत रिपोर्टिंग: पुरानी बस की बिक्री का पैसा विदेशी दान दिखाया गया
- राष्ट्रीय हित के विरुद्ध फंडिंग: स्वीडन से 4.93 लाख रुपये “राष्ट्रीय संप्रभुता” के अध्ययन के लिए
- तीन व्यक्तियों से 54,600 रुपये गलत तरीके से FCRA खाते में जमा
निजी कंपनी में फंड डायवर्जन
सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 6.5 करोड़ रुपये वांगचुक की निजी फर्म शेशयान इनोवेशन में भेज दिए गए। यह स्पष्ट FCRA उल्लंघन है क्योंकि विदेशी चंदे का इस्तेमाल केवल पंजीकृत गतिविधियों के लिए हो सकता है, निजी व्यापारिक कंपनी के लिए नहीं।
शेशयान कंपनी के 3 खातों में से 2 छुपाए गए हैं। SECMOL के 9 खातों में से 6 घोषित नहीं किए गए। यह पैटर्न दिखाता है कि व्यवस्थित रूप से वित्तीय लेन-देन छुपाने की कोशिश की गई है।
लद्दाख हिंसा से जुड़ते तार
FCRA लाइसेंस रद्द करने का फैसला लद्दाख में हुई हिंसक घटनाओं के ठीक 24 घंटे बाद आया है। बुधवार को लेह में राज्य का दर्जा मांगने वाले प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पों में 4 लोग मारे गए और 80 से अधिक घायल हुए।
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वांगचुक के “भड़काऊ भाषणों” ने भीड़ को उकसाया। उन्होंने अरब स्प्रिंग और नेपाल के जेन Z प्रोटेस्ट का हवाला देकर हिंसा को बढ़ावा दिया। इसके बाद भीड़ ने BJP कार्यालय और सरकारी दफ्तरों पर हमला किया।
जांच एजेंसियों का शिकंजा
सीबीआई गृह मंत्रालय के अनुरोध पर FCRA उल्लंघन की जांच कर रही है। साथ ही आयकर विभाग अन्य वित्तीय अनियमितताओं की जांच में लगा है। अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी FEMA के तहत विदेशी मुद्रा के अवैध लेन-देन की जांच कर सकती है।
जांच एजेंसी को FCRA की धारा 11 और 17 का उल्लंघन साफ दिख रहा है। कंपनी अधिनियम की शर्तों की अनदेखी और भारतीय दंड संहिता की धारा 467 यानी फर्जी दस्तावेज और धोखाधड़ी से जुड़े अपराध भी जुड़ गए हैं।
वांगचुक की सफाई
वांगचुक ने अपनी सफाई में कहा है कि ये “नॉलेज शेयरिंग सर्विसेज” के लिए पेमेंट थे UN, स्विस यूनिवर्सिटी और इतालवी संगठन से। उन्होंने दावा किया कि इन पर टैक्स भी भरा गया है। लेकिन जांच एजेंसियों के अनुसार इसका कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं मिला है।
सोनम वांगचुक के मामले में जो तथ्य सामने आए हैं, वे व्यवस्थित वित्तीय अनियमितता की तस्वीर पेश करते हैं। दान के नाम पर जुटाए गए पैसे का एनजीओ से निजी कंपनी और फिर व्यक्तिगत खातों में पहुंचना गंभीर कानूनी उल्लंघन है।
अब जब वांगचुक की संस्थाएं विदेश से वित्तीय लेन-देन नहीं कर सकतीं, तो आने वाले समय में सीबीआई और ईडी का शिकंजा भी सोनम वांगचुक पर कसना तय है। यह मामला सिर्फ FCRA उल्लंघन का नहीं, बल्कि लद्दाख में अस्थिरता फैलाने की साजिश से भी जुड़ता दिख रहा है।
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