विमान दुर्घटना और बीमा: यात्री सुरक्षा से जुड़े नियम और अधिकार
अहमदाबाद विमान हादसे के बाद उठा सवाल – क्या हवाई यात्रा के दौरान यात्रियों का बीमा होता है?
अहमदाबाद | 13 जून 2025
हाल ही में अहमदाबाद हवाई अड्डे पर हुई एक छोटी विमान दुर्घटना ने हवाई यात्राओं से जुड़े सुरक्षा और बीमा नियमों को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। भले ही इस घटना में किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई, लेकिन लोगों के मन में यह स्वाभाविक सवाल उठने लगे हैं कि यदि कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाए तो यात्रियों के लिए क्या बीमा प्रावधान होते हैं? कौन जिम्मेदार होता है, और कितना मुआवजा दिया जाता है?
हवाई यात्रियों के लिए बीमा: कानूनी नियम क्या कहते हैं?
भारतीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) की मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक विमानन कंपनी को अपने यात्रियों के लिए बीमा सुरक्षा देना अनिवार्य है।
यह बीमा केवल दुर्घटना के बाद मृत्यु या घायल होने की स्थिति में ही लागू नहीं होता, बल्कि सामान की क्षति, फ्लाइट में देरी या रद्द होने की स्थिति में भी कुछ मामलों में मुआवजा निर्धारित होता है।
विमान दुर्घटना में मुआवजे की राशि कितनी होती है?
भारत में लागू कारपथेन कन्वेंशन (Carpathian Convention) और मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के तहत, किसी विमान दुर्घटना में यात्री की मृत्यु या गंभीर चोट की स्थिति में एयरलाइन को यात्री के आश्रितों को मुआवजा देना होता है।
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के अनुसार,
✈ ₹1.15 करोड़ रुपये (लगभग 1,60,000 SDR*) तक मुआवजा बिना किसी विवाद के दिया जाता है।
✈ यदि एयरलाइन दुर्घटना के लिए जिम्मेदार मानी जाती है, तो यह राशि और भी अधिक हो सकती है।
(*SDR = Special Drawing Rights, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक विशेष यूनिट)
क्या यात्रियों को खुद से अतिरिक्त बीमा लेना चाहिए?
हालांकि विमानन कंपनियां एक न्यूनतम बीमा देती हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यात्री खुद भी यात्रा बीमा ले सकते हैं। यह बीमा आमतौर पर 100 से 300 रुपये के बीच में होता है और इसमें शामिल होते हैं:
- व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा
- फ्लाइट रद्द होने या लेट होने पर मुआवजा
- मेडिकल सहायता
- सामान गुम होने पर बीमा लाभ
मार्च 2021 में कोझिकोड में हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसे में कई यात्रियों की मौत हुई थी। इस हादसे में मृतकों के परिजनों को सरकारी सहायता के अलावा बीमा कंपनियों से भी मुआवजा मिला था।
किन मामलों में बीमा दावा खारिज हो सकता है?
बीमा कंपनियां आमतौर पर निम्नलिखित स्थितियों में दावा खारिज कर सकती हैं:
- यात्री ने जानबूझकर जोखिम लिया हो
- बीमा पॉलिसी में झूठी जानकारी दी गई हो
- बीमा प्रीमियम का भुगतान समय पर नहीं किया गया हो
- दुर्घटना बीमा की शर्तों के बाहर हो (जैसे आतंकी हमला, युद्ध की स्थिति आदि)
सरकारी नियम और DGCA की भूमिका
DGCA भारत में विमानन सुरक्षा की निगरानी करती है। एयरलाइंस को निम्न शर्तें अनिवार्य रूप से पूरी करनी होती हैं:
- सभी कमर्शियल उड़ानों के लिए पायलटों, क्रू और यात्रियों का बीमा
- यात्रियों को फ्लाइट टिकट के साथ बीमा की जानकारी देना
- किसी भी दुर्घटना की स्थिति में 24 घंटे के भीतर संबंधित एजेंसियों और बीमाकर्ताओं को सूचित करना
यात्रियों को अपने अधिकार जानना ज़रूरी
हवाई यात्रा सुविधाजनक और तेज़ माध्यम जरूर है, लेकिन जोखिम रहित नहीं। ऐसे में यात्रियों को यह जानकारी होनी चाहिए कि किसी भी आपात स्थिति में उन्हें कौन-कौन से अधिकार प्राप्त हैं और बीमा के माध्यम से उन्हें क्या लाभ मिल सकता है।
इसलिए सलाह दी जाती है कि हर बार टिकट बुक करते समय ‘यात्रा बीमा’ को नजरअंदाज न करें। यह एक छोटा निवेश है, जो किसी भी आपदा की स्थिति में बड़ा सहारा बन सकता है।
स्रोत:
- DGCA INDIA
- मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999