विदेशी लड़कियों का ‘विमल प्रेम’
देसी झोले से विदेशी कनेक्शन: विमल बैग और सोशल मीडिया की शक्ति
भारत की सड़कों पर अक्सर दिखने वाले साधारण कपड़े के झोले जिन्हें हम किराने की दुकानों से 30-40 रुपये में खरीदते हैं, वह अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं। खास बात यह है कि इस बार इन झोलों को चर्चा में लाया है दो विदेशी लड़कियों ने, जिन्होंने ‘विमल’ गुटखा ब्रांड के झोले को स्टाइल स्टेटमेंट बना दिया। इंस्टाग्राम रील्स पर शेयर किए गए इस मजेदार और चौंकाने वाले वीडियो ने देसी उत्पादों को एक नया वैश्विक मंच दिया है।
जब ‘गुच्ची’ और ‘प्राडा’ को पीछे छोड़ गया ‘विमल’
विमल गुटखा का झोला अब सिर्फ किराने की दुकान या बाजार तक सीमित नहीं रहा। दो विदेशी महिलाएं – रोजाल्बा पेरेज़ और जैकलीन मोरालेस – भारत भ्रमण के दौरान इस झोले को स्टाइल के साथ लेकर सड़क पर घूमती नजर आईं। इस वीडियो के साथ उन्होंने एक कैप्शन लिखा, “ना गुच्ची, ना प्राडा, ना एलवी, सिर्फ विमल।” इस वाक्य ने ही सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया।
यह वीडियो न केवल वायरल हुआ, बल्कि विमल झोले को एक नए परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया। आमतौर पर हम इस झोले को देसीपन और सस्तेपन से जोड़ते हैं, लेकिन जब यही चीज़ विदेशी संस्कृति के संदर्भ में आती है, तो वह फैशन स्टेटमेंट बन जाती है।
वीडियो की वायरल यात्रा: करोड़ों व्यूज़, हज़ारों प्रतिक्रियाएं
रोजाल्बा और जैकलीन द्वारा साझा किया गया यह वीडियो तीन करोड़ से अधिक बार देखा जा चुका है। इंस्टाग्राम पर उनके हैंडल @namasterosy और @jaqueline_morales_ के ज़रिए यह वीडियो एक ट्रेंड बन गया है। वीडियो में वे दिल्ली की गलियों में रंगीन कपड़ों में घूमती नजर आ रही हैं और बड़े गर्व से विमल के झोले को लहरा रही हैं।
कुछ ही दिनों में इस झोले को लेकर तरह-तरह के मीम्स और प्रतिक्रियाएं आने लगीं। एक यूजर ने चुटकी लेते हुए लिखा, “अब मैं ऑफिस विमल झोला लेकर ही जाऊंगा, Calvin Klein या Guess से तो काम नहीं चलता!” वहीं दूसरे ने मज़ाक में कहा, “इन्हें अजय देवगन के घर ठहराया गया है क्या?” क्योंकि अजय देवगन विमल के ब्रांड एम्बेसडर हैं।
विमल का झोला: एक देसी उत्पाद की विदेशी लोकप्रियता
भारत में ये झोले दुकानों पर मामूली कीमत में मिलते हैं, लेकिन सोशल मीडिया वायरलिटी ने इस उत्पाद को एक नई ऊंचाई दी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशों में इन्हीं झोलों की कीमत करीब ₹4,200 तक लगाई जा रही है और इन्हें “Indian Souvenir Bags” के नाम से ब्रांड किया जा रहा है।
विदेशी पर्यटक इन्हें भारत से स्मृति के तौर पर ले जा रहे हैं। यह एक उदाहरण है कि भारत की रोज़मर्रा की चीजें भी वैश्विक आकर्षण का केंद्र बन सकती हैं यदि उन्हें सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए।
संस्कृति का संगम: देसी अंदाज़, विदेशी प्रस्तुति
इन विदेशी महिलाओं ने यह सिर्फ मनोरंजन या ट्रेंड के लिए नहीं किया, बल्कि उन्होंने यह दिखाया कि भारतीय संस्कृति का सरलतम पक्ष भी कला और स्टाइल बन सकता है।
वे मेट्रो स्टेशन पर चाय का प्याला हाथ में लिए, विमल का झोला कंधे पर डाले हुए नजर आईं। कैप्शन था, “नेक्स्ट स्टेशन… चाय और रंग!” यह पूरा दृश्य भारतीय संस्कृति की सहजता, विविधता और आकर्षण को दर्शाता है।
विमल का झोला या सामाजिक संदेश?
हालांकि यह मामला देखने में हल्का-फुल्का और मज़ेदार लगता है, लेकिन इसके पीछे एक गहरा सामाजिक संदेश भी छिपा है – स्थानीय उत्पादों की ताकत। आज जब भारत आत्मनिर्भर भारत की बात करता है, ऐसे में इस तरह के वीडियो यह दिखाते हैं कि भारत की हर छोटी चीज़ में वैश्विक पहचान की क्षमता है।
‘मेक इन इंडिया’ की भावना को यह वीडियो अप्रत्यक्ष रूप से आगे बढ़ाता है। जब विदेशियों को हमारे उत्पाद स्टाइलिश लगते हैं, तो हमें भी अपने देसीपन पर गर्व करना चाहिए।
स्थानीयों की प्रतिक्रिया: गर्व या व्यंग्य?
भारत में सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर दो तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। एक वर्ग इसे गर्व की नजर से देख रहा है – कि हमारे देश की साधारण चीजें अब विश्व स्तर पर पहचान बना रही हैं। वहीं दूसरा वर्ग इसे हास्य या विडंबना की तरह देखता है – कि जो चीज़ हम उपेक्षित मानते थे, वही अब विदेशी पसंद कर रहे हैं।
उत्तराखंड निवासी पूनम रावत, जो दिल्ली में पढ़ाई कर रही हैं, कहती हैं, “मैंने विमल के झोले को हमेशा मज़ाक में लिया, लेकिन अब लगता है कि यह भी फैशन का हिस्सा बन सकता है।”
क्या अब देसी ब्रांड्स होंगे ग्लोबल?
इस ट्रेंड ने एक सवाल भी खड़ा कर दिया है – क्या अब भारत के लोकल ब्रांड्स को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में नई पहचान मिल सकती है? उत्तर शायद हां है। यदि इन ब्रांड्स को सही मार्केटिंग और प्रस्तुति दी जाए, तो विमल झोले की तरह कई देसी उत्पादों को वैश्विक मंच मिल सकता है।
दुनिया भर में ‘बेसिक इज ब्यूटीफुल’ की अवधारणा चल रही है। ऐसे में यह वीडियो एक केस स्टडी बन सकता है कि सोशल मीडिया के माध्यम से साधारण चीज़ें भी खास बन सकती हैं।
यह सिर्फ वीडियो नहीं, एक ट्रेंड की शुरुआत है
यह घटना सिर्फ एक वीडियो तक सीमित नहीं है। यह दर्शाती है कि भारत की संस्कृति, शैली और उत्पादों में वह ताकत है जो किसी भी वैश्विक मंच को प्रभावित कर सकती है। सोशल मीडिया की दुनिया में यह एक वायरल ट्रेंड नहीं बल्कि एक नए सोच की शुरुआत है।
भारत के युवाओं और ब्रांड्स के लिए यह एक प्रेरणा है – अपने आस-पास की चीजों को छोटा न समझें। कभी-कभी सबसे साधारण चीज़ ही सबसे खास बन जाती है।
इंस्टाग्राम हैंडल @namasterosy पर वीडियो
