सड़क सुरक्षा—बिना बीमा वाहन चालकों पर 5 गुना जुर्माने की सख्त तैयारी
हाइलाइट्स
बिना बीमा वाहन चलाने पर अब बीमा प्रीमियम का तीन से पांच गुना तक जुर्माना।
पहली बार पकड़े जाने पर तीन गुना प्रीमियम, दोबारा गलती पर पांच गुना जुर्माना प्रस्तावित।
सरकार मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन कर रही है—पुराना जुर्माना: ₹2,000 (पहली बार) व ₹4,000 (दूसरी बार)।
सख्त नियम से सड़क सुरक्षा व दुर्घटना के बाद मुआवजे की व्यवस्था मजबूती।
शराब पीकर/तेज गति से गाड़ी चलाने वालों पर भी लाइसेंस रिन्यूअल में अनिवार्य टेस्ट।
55 वर्ष से ऊपर के लोगों को भी लाइसेंस रिन्यू के लिए ड्राइविंग टेस्ट पास करना होगा।
राष्ट्रीय राजमार्ग/एक्सप्रेस-वे के लिए गति सीमा केंद्र सरकार तय करेगी; राज्य सड़क व स्थानीय सड़कों के लिए राज्य सरकार।
प्रस्तावों को अब अन्य मंत्रालयों से राय के लिए भेजा गया—कैबिनेट की मंजूरी के बाद नए नियम लागू होंगे।
देश में सड़क सुरक्षा को प्रभावी बनाने के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय मोटर वाहन अधिनियम में बड़ा संशोधन करने जा रहा है। प्रस्तावित नए नियमों के अनुसार, बिना बीमा के वाहन चलाने वालों पर अब पहले से बहुत अधिक जुर्माना लगेगा। इसके पीछे स्पष्ट उद्देश्य है—बिना बीमा वाहनों की संख्या में कमी लाना और दुर्घटना की स्थिति में पीड़ित को त्वरित मुआवजा दिलाना।
जुर्माने का नया प्रावधान—क्या बदलेगा?
पहली बार बिना बीमा वाहन पकड़े जाने पर बीमा प्रीमियम का तीन गुना जुर्माना।
दूसरी बार गलती पर प्रीमियम का पांच गुना जुर्माना।
वर्तमान में जुर्माना पहली बार ₹2,000, दूसरी बार ₹4,000 और 3 महीने तक जेल/सामुदायिक सेवा का प्रावधान है।
नए नियमों के मुताबिक, जुर्माना की राशि वाहन के बीमा प्रीमियम पर निर्भर होगी, इससे महंगी/मोटे वाहन रखने वालों को कड़ा सबक मिलेगा।
मकसद: दुर्घटना के मामले में हर वाहन का बीमा होना अनिवार्य ताकि मुआवजा कोई मुश्किल न हो।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव सुरक्षा और जिम्मेदारी के लिए मील का पत्थर साबित होगा—अब सड़क पर हर वाहन की वैधता और कवर तय हो सकेगा।
शराब/तेज गति से गाड़ी चलाने पर क्या सख्ती बढ़ेगी?
नई प्रस्तावना में:
शराब पीकर या तेज गति से गाड़ी चलाने के अपराधियों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल में टेस्ट अनिवार्य।
55 वर्ष से अधिक उम्र वाले सभी चालकों को लाइसेंस रिन्यू के पहले ड्राइविंग टेस्ट देना अनिवार्य होगा।
लाइसेंस के लिए चिकित्सा परीक्षण, ड्राइविंग कौशल जांच—सुलभ, पारदर्शी व्यवस्था का लक्ष्य।
ऑनलाइन प्रशिक्षण अनिवार्य, लाइसेंस प्रक्रिया से बिचौलियों की भूमिका खत्म करने की पहल।
ये बदलाव सड़क पर सिर्फ कानून पालन ही नहीं, जागरूकता और ट्रेनिंग में भी सुधार लाएंगे।
गति सीमा—अब सड़क पर परेशानी नहीं
राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) और एक्सप्रेस-वे की गति सीमा अब सिर्फ केंद्र सरकार को तय करने का अधिकार।
फिलहाल कई राज्यों की गति सीमा अलग-अलग, जिससे चालकों को confusion और जुर्माना (challan) की समस्या।
बदलाव के बाद—NH/Expressway पर गति सीमा स्पष्ट व एक समान होगी (उदा. 120km/h तक), राज्य हाईवे और स्थानीय सड़कों पर सीमा राज्य सरकारें तय करेंगी।
सभी एक्सप्रेस-वे/राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्पीड लिमिट के बोर्ड/चिन्ह हर 5-10 किमी पर लगाने के निर्देश।
स्थानीय व सामाजिक प्रभाव
वाहन बीमा कानून सख्त होने से दुर्घटना के बाद सहायता सुगम—बिना बीमा वाले वाहन के कारण मुआवजा अटकता नहीं।
लाइसेंस प्रक्रिया में सख्ती से अयोग्य या गैर-जिम्मेदार चालक बाहर होंगे, जिससे दुर्घटनाओं में कमी।
स्पीड लिमिट की स्पष्टता से चालाकों का confusion खत्म, चालन/धन वसूलने का अनुचित दबाव कम।
नए नियमों से सड़क सुरक्षा, पारदर्शिता और जिम्मेदार ड्राइविंग को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार का यह कदम सार्वजनिक सुरक्षा, पारदर्शिता और न्यायपूर्ण मुआवजा की दिशा में अहम पड़ाव है। बिना बीमा वाहन रखने की प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी और हर वाहन दुर्घटना में पीड़ित को न्याय मिलेगा। लाइसेंस और गति सीमा के नए नियम सड़क उपयोगकर्ताओं को जिम्मेदार, सतर्क और प्रशिक्षित बनाएंगे।



