उत्तराखंड में शिक्षकों का चॉकडाउन आंदोलन: 60 शिक्षक दो साल के लिए निष्कासित
हाइलाइट्स
राजकीय शिक्षक संघ ने 60 शिक्षकों को दो साल के लिए संगठन से निष्कासित किया है
चमोली जिले के आठ, टिहरी के 32, रुद्रप्रयाग के दो और बागेश्वर के नौ शिक्षक निष्कासित
प्रधानाचार्य सीधी भर्ती के विरोध में हड़ताल जारी, लगभग 2000 प्रभारी प्रधानाचार्य भी शामिल
शिक्षा विभाग ने राजकीय शिक्षक संघ को नोटिस जारी किया, कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त बताया
प्रदेश के हजारों छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित
उत्तराखंड में माध्यमिक शिक्षकों की चॉकडाउन हड़ताल का व्यापक असर दिखने लगा है। राजकीय शिक्षक संघ ने हड़ताल से अलग रहने वाले 60 शिक्षकों को संगठन से दो साल के लिए निष्कासित करने की कड़ी कार्रवाई की है। इसी के साथ करीब दो हजार प्रभारी प्रधानाचार्यों को भी पद छोड़कर हड़ताल में शामिल होने के लिए कहा गया है।
हड़ताल का व्यापक प्रभाव
18 अगस्त से शुरू हुई यह चॉकडाउन हड़ताल अब चौथे दिन में प्रवेश कर चुकी है। राज्यभर के माध्यमिक स्कूलों में पठन-पाठन पूरी तरह ठप हो गया है। हल्द्वानी जिले में अकेले 45 हजार छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिक्षकों के इस आंदोलन का प्रभाव बोर्ड परीक्षा अंक सुधार मूल्यांकन के काम पर भी पड़ा है।
राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने कहा कि करीब दो हजार प्रभारी प्रधानाचार्य भी पदोन्नति प्रक्रिया शुरू होने तक पदभार ग्रहण नहीं करेंगे। संगठन का यह निर्णय हड़ताल की तीव्रता को और भी बढ़ा देता है।
संगठन की सख्त कार्रवाई
प्रदेश महामंत्री रमेश पैन्यूली ने बताया कि संघ विरोधी गतिविधियों के चलते 60 शिक्षकों को दो साल के लिए संगठन से निष्कासित कर दिया गया है। इसमें चमोली जिले के आठ, टिहरी के 32, रुद्रप्रयाग के दो और बागेश्वर के नौ शिक्षक शामिल हैं। ये शिक्षक प्रधानाचार्य सीधी भर्ती का खुले तौर पर समर्थन कर रहे थे और खुद को हड़ताल से अलग रखे हुए थे।
पैन्यूली ने स्पष्ट किया कि ऐसे शिक्षकों की संख्या काफी कम है और सभी शिक्षक एकजुटता के साथ मांगों को लेकर हड़ताल में शामिल हैं। वहीं, भर्ती समर्थक शिक्षकों में संगठन की कार्रवाई से आक्रोश दिख रहा है।
मुख्य मांगें और विरोध के कारण
शिक्षकों का मुख्य विरोध प्रधानाचार्य सीधी भर्ती परीक्षा नियमावली 2022 को लेकर है। संघ की मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:
प्रधानाचार्य सीमित विभागीय सीधी भर्ती परीक्षा नियमावली को निरस्त करना
सभी स्तरों पर शत प्रतिशत पदोन्नति की व्यवस्था
स्थानांतरण की प्रक्रिया को विधिवत संचालन करना
वरिष्ठता के आधार पर प्रधानाचार्य पदों की भर्ती
राजकीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष गिरीश चंद्र जोशी ने बताया कि लंबे समय से पदोन्नति की मांग उठाई जा रही है, लेकिन शासन और विभाग की ओर से सिर्फ आश्वासन दिया जाता है। कई शिक्षक वर्षों से एक ही पद पर कार्यरत हैं, जिससे न केवल वे पदोन्नति के लाभों से वंचित हैं बल्कि मानसिक दबाव भी महसूस कर रहे हैं।
प्रधानाचार्य भर्ती विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद कोई नया नहीं है। राजकीय शिक्षक संघ का कहना है कि प्रधानाचार्य का पद शतप्रतिशत पदोन्नति का पद है और यूपी के समय से यह व्यवस्था चली आ रही है। वर्ष 2008 तक सहायक अध्यापक एलटी पदोन्नति पाकर जिला शिक्षा अधिकारी तक बनते रहे हैं।
संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान का कहना है कि सरकार का यह फैसला अधिकतर शिक्षकों के हितों की अनदेखी कर रहा है। 90 प्रतिशत एलटी और प्रवक्ता संवर्ग के शिक्षकों को भर्ती परीक्षा में शामिल होने से वंचित किया जा रहा है।
चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति
शिक्षक संघ ने एक चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति अपनाई है:
18-24 अगस्त: विद्यालयों में चॉकडाउन हड़ताल और कार्यबहिष्कार
25 अगस्त: विकासखंड मुख्यालयों पर धरना और घेराव
27 अगस्त: जिला मुख्यालयों पर धरना और घेराव
29 अगस्त: मंडल मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन
1 सितंबर से: शिक्षा निदेशालय देहरादून में जिलेवार धरना प्रदर्शन
शिक्षा विभाग का कड़ा रुख
इस बीच शिक्षा विभाग ने भी कड़ा रुख अपनाया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान और महामंत्री रमेश चंद्र पैन्यूली को नोटिस जारी किया है।
नोटिस में कहा गया है कि प्रांतीय कार्यकारिणी अभी प्रभावी नहीं है, क्योंकि कार्यकारिणी का कार्यकाल जुलाई माह में खत्म हो चुका है। साथ ही गढ़वाल मंडल और कई जिला कार्यकारिणियों का भी कार्यकाल समाप्त हो चुका है।
शिक्षा निदेशक ने कहा कि पहले ही पंचायत चुनाव और आपदा, बारिश की वजह से शिक्षण कार्य प्रभावित हुआ है। ऐसे वक्त पर हड़ताल जैसा कदम उठाने से छात्रों का भविष्य प्रभावित हो रहा है।
राजनीतिक समर्थन
इस मुद्दे पर राजनीतिक समर्थन भी शिक्षकों को मिला है। रुद्रप्रयाग से भाजपा विधायक भरत सिंह चौधरी भी शिक्षकों के समर्थन में हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर प्रधानाचार्य के पदों को पदोन्नति से भरने की मांग की है।
विधायक ने कहा है कि विभागीय सीधी भर्ती के निर्णय पर फिर से विचार करते हुए इन पदों को पदोन्नति से भरा जाए।
प्रभावित क्षेत्र और स्थिति
विकासनगर, सहसपुर, कालसी और चकराता विकासखंड के राजकीय इंटर कॉलेजों में शिक्षकों ने प्रदर्शन किए हैं। उन्होंने कहा कि पदोन्नति के इंतजार में वरिष्ठ शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं। प्रधानाचार्य के पदों को सीधी भर्ती के बजाए वरिष्ठता के आधार पर शिक्षकों को पदोन्नति देकर भरे जाने चाहिए।
चमोली जिले में भी स्थिति समान है। गोपेश्वर में राजकीय शिक्षकों ने चॉकडाउन हड़ताल शुरू कर दी है। प्रांतीय कार्यकारिणी के आह्वान पर सभी शिक्षक विद्यालय तो पहुंचे लेकिन पठन-पाठन कार्य नहीं किया।
आगे की चुनौतियां
यह आंदोलन न केवल शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है बल्कि सामाजिक-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण है। 90 प्रतिशत विद्यालय स्थाई प्रधानाचार्य विहीन हैं और विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक शिक्षण कार्य के साथ-साथ प्रभारी प्रधानाचार्य, लिपिक और अन्य कार्य दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।
शिक्षकों का संघर्ष न केवल अपने अधिकारों के लिए है बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था के लिए भी है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो इसका प्रभाव राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर दूरगामी हो सकता है।
संगठन के नेताओं का कहना है कि जब तक उनकी न्यायसंगत मांगों का समाधान नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। यह स्थिति न केवल वर्तमान शैक्षणिक सत्र को प्रभावित कर रही है बल्कि भविष्य की योजनाओं पर भी असर डाल रही है।
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा नुकसान छात्र-छात्राओं का हो रहा है, जिनकी शिक्षा में व्यवधान पैदा हो रहा है। समय रहते यदि इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया, तो यह राज्य की शैक्षणिक प्रगति के लिए घातक साबित हो सकता है।



