शिक्षकों के तबादलों के लिए सरकार ने हाईकोर्ट से मांगी अनुमति
उत्तराखंड में शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर बनी अनिश्चितता के बीच सरकार ने हाईकोर्ट में शपथपत्र के साथ एक प्रार्थनापत्र दाखिल किया है, जिसमें बताया गया कि वर्तमान में स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं। स्कूल खुलने से पहले तबादलों की अनुमति देने की मांग की गई है। यह मुद्दा न केवल शिक्षकों के हित से जुड़ा है, बल्कि छात्रों की पढ़ाई व्यवस्था पर भी सीधा असर डालता है।
तबादला प्रक्रिया समय से शुरू नहीं हो सकी
उत्तराखंड तबादला अधिनियम (Transfer Act) के अनुसार, शिक्षकों के तबादलों की प्रक्रिया हर साल मार्च माह से प्रारंभ हकर 10 जून तक पूरी हो जानी चाहिए। लेकिन इस वर्ष सुगम और दुर्गम विद्यालयों के निर्धारण को लेकर दायर याचिका के चलते हाईकोर्ट ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
इस वजह से अब तक शिक्षकों के तबादलों की प्रक्रिया रुकी हुई है।
विभाग ने मांगी न्यायिक अनुमति
शिक्षा विभाग ने न्याय विभाग से सलाह लेकर यह तय किया कि तबादला प्रक्रिया शुरू करने के लिए हाईकोर्ट से अनुमति लेना जरूरी है। विभाग का कहना है कि एक ही परिसर में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय होने के बावजूद उनकी सुगम-दुर्गम श्रेणियां अलग-अलग हैं, जो स्थानांतरण नीति को प्रभावित करता है।
शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक का उल्लेख भी शामिल
शिक्षा सचिव रविनाथ रामन की ओर से हाईकोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा के अलग-अलग कैडर होने के कारण विद्यालयों की श्रेणी अलग-अलग हो सकती है।
इस तर्क को और मज़बूती देने के लिए हाईकोर्ट में दाखिल शपथपत्र में शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक के कार्यवृत्त को भी प्रस्तुत किया गया है।
एक जुलाई से खुलेंगे स्कूल, शिक्षकों में चिंता
गौरतलब है कि राज्य के सरकारी विद्यालयों में एक जुलाई से कक्षाएं पुनः शुरू होने जा रही हैं। ऐसे में यदि स्थानांतरण की प्रक्रिया जल्द शुरू नहीं हुई तो कई शिक्षक अपनी पुरानी तैनाती पर ही लौटने को मजबूर होंगे, जिससे उन्हें पारिवारिक और भौगोलिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
शिक्षा महानिदेशक का बयान
शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने पुष्टि की है कि शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए सरकार की ओर से हाईकोर्ट में विधिवत याचिका दायर की गई है। उन्होंने कहा:
“शिक्षकों के तबादलों के लिए हाईकोर्ट से अनुमति मांगी गई है। इस संबंध में याचिका दाखिल की गई है।” — दीप्ति सिंह, शिक्षा महानिदेशक
सामाजिक और शैक्षिक असर
स्थानांतरण नीति पर रोक से दुर्गम क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों को बड़ी असुविधा हो रही है। न केवल शिक्षकों को पारिवारिक अलगाव झेलना पड़ता है, बल्कि छात्रों की पढ़ाई पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि स्थानांतरण में देरी से शिक्षकों की कार्यक्षमता और मनोबल पर असर पड़ता है।
उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में स्थानांतरण नीतियों का प्रभाव केवल प्रशासनिक नहीं, सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर भी पड़ता है।
अब जब शिक्षण सत्र शुरू होने को है, सरकार और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि न्यायालय से शीघ्र अनुमति लेकर तबादला प्रक्रिया को यथाशीघ्र प्रारंभ करें। इससे न केवल शिक्षकों को राहत मिलेगी, बल्कि शैक्षिक सत्र की शुरुआत भी व्यवस्थित ढंग से हो सकेगी। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
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