शिक्षकों के धरने-प्रदर्शन पर शासन ने लगाई रोक – कड़ी कार्रवाई के निर्देश, संघ बोला: डरने वाले नहीं
हाइलाइट्स बॉक्स
शासन ने शिक्षकों के धरना व प्रदर्शन को पूरी तरह प्रतिबंधित किया
शिक्षा सचिव रविनाथ रामन ने महानिदेशक को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए
18 अगस्त से राजकीय शिक्षक संघ चॉकडाउन हड़ताल पर
मूल्यांकन, बीएलओ ड्यूटी समेत विभागीय कार्यों का बहिष्कार
संघ का बयान – जब तक मांगों का समाधान नहीं, आंदोलन जारी रहेगा
शिक्षक नेतृत्व ने सरकारी निर्देश को डराने की कोशिश करार दिया
उत्तराखंड में लंबित पदोन्नति, तबादला, और अन्य मुद्दों को लेकर शिक्षकों का आंदोलन राज्य प्रशासन के निशाने पर आ गया है। शिक्षा सचिव रविनाथ रामन ने शिक्षकों के धरना-प्रदर्शन पर सख्त रोक लगाते हुए शिक्षा महानिदेशक को निर्देश दिए हैं कि अगर कोई शिक्षक विरोध प्रदर्शन या धरना करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
आंदोलन की पृष्ठभूमि
राजकीय शिक्षक संघ पिछले कई दिनों से शिक्षा विभाग की कार्यशैली के खिलाफ चॉकडाउन हड़ताल पर है।
शिक्षकों ने बोर्ड अंक सुधार परीक्षा के मूल्यांकन, विद्या समीक्षा केंद्र की उपस्थिति भेजने, बीएलओ ड्यूटी समेत कई कामों का बहिष्कार किया है।
संघ के नेतृत्व ने साफ कहा है कि कार्य बहिष्कार और आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक न्यायोचित मांगों का समाधान नहीं होता।
शासन का निर्देश
विद्यालयी शिक्षा विभाग के सभी शासकीय परिसर में धरना, प्रदर्शन, या हड़ताल पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई है।
आदेश के अनुसार, यदि किसी भी स्तर या जगह पर शिक्षक धरना-प्रदर्शन करते पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही का आदेश है।
शिक्षा विभाग के महानिदेशक को निर्देश दिए गए हैं कि शासन के इस आदेश का सख्ती से पालन कराया जाए।
संघ की प्रतिक्रिया
यूनियन अध्यक्ष राम सिंह चौहान और महामंत्री रमेश पैन्युली ने बयान दिया कि शिक्षक दबाव या डर में आने वाले नहीं हैं।
सरकारी निर्देश की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा –
“हमारे हक और मांगों का निस्तारण नहीं हुआ तो आंदोलन जारी रहेगा।
शिक्षा सचिव का पत्र शिक्षकों को डराने की कोशिश है, लेकिन शिक्षक पीछे नहीं हटेंगे।”
आगे क्या?
सरकारी सख्ती और शिक्षक संघ के टकराव से शिक्षा व्यवस्था पर असर पड़ना तय है।
यदि धरने और प्रदर्शन पूरी तरह नहीं रुके तो राज्य सरकार की ओर से अनुशासनात्मक, वित्तीय और कानूनी कार्रवाई संभव।
इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई, सरकारी मूल्यांकन कार्य, और विभागीय कार्य प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है।
उत्तराखंड में शिक्षकों और राज्य शिक्षा प्रशासन के बीच अब खुला टकराव दिख रहा है। शिक्षक संघ की अडिग मांगें और सरकार का सख्त रुख आने वाले दिनों में शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा असर डाल सकते हैं।
यह परिस्थितियां शिक्षा सचिव, शिक्षक संघ, और विभागीय नेतृत्व– तीनों के समन्वय, संवाद और संवेदनशीलता की असली परीक्षा है।



