Screenshot 2025 0814 091100

13 साल बाद बदलेगी उत्तराखंड में शिक्षकों की वरिष्ठता

13 साल बाद बदलेगी उत्तराखंड में शिक्षकों की वरिष्ठता

हाइलाइट्स:

  • उत्तराखंड लोक सेवा अभिकरण ने 13 साल पुरानी वरिष्ठता सूची निरस्त की

  • 1200 से अधिक प्रवक्ताओं की वरिष्ठता में होगा बदलाव

  • संयुक्त मेरिट सूची के आधार पर तैयार होगी नई वरिष्ठता

  • शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने विभाग को भेजा आदेश

  • डॉ. नंदन सिंह बिष्ट के 7 साल के संघर्ष को मिली सफलता

उत्तराखंड के माध्यमिक शिक्षा विभाग में एक युगांतकारी बदलाव आने वाला है। राज्य के 1200 से अधिक प्रवक्ताओं की वरिष्ठता सूची में 13 साल बाद आमूलचूल परिवर्तन होगा। उत्तराखंड लोक सेवा अभिकरण के ऐतिहासिक फैसले के बाद 2012 से चली आ रही विवादास्पद वरिष्ठता व्यवस्था का अंत हो गया है।

अभिकरण का निर्णायक आदेश

18 अक्टूबर 2024 को लोक सेवा अभिकरण, नैनीताल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अभिकरण ने माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा 29 मार्च 2012 को जारी की गई प्रवक्ताओं की वरिष्ठता सूची को पूर्णतः निरस्त कर दिया है। इस आदेश के तुरंत बाद शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने विभाग को निर्देश जारी कर दिया कि अब उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की संयुक्त मेरिट सूची के आधार पर नई वरिष्ठता तैयार की जाए।

विवाद की जड़ें और इतिहास

यह विवाद 2005-2006 में शुरू हुआ था जब उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 19 विषयों के लिए प्रवक्ता भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। आयोग ने 5 अक्टूबर 2003 को परीक्षा का आयोजन किया और चयनित अभ्यर्थियों की संयुक्त मेरिट सूची तैयार की। इस प्रक्रिया में सबसे पहले अंग्रेजी और भौतिकी के प्रवक्ताओं का चयन हुआ, जबकि सबसे अंत में जीवन विज्ञान के प्रवक्ताओं को स्थान मिला।

नवंबर 2005 में अंग्रेजी विषय के प्रवक्ताओं की नियुक्ति से शुरुआत करके जुलाई 2006 तक जीव विज्ञान के प्रवक्ताओं की नियुक्ति पूरी की गई। लोक सेवा आयोग ने 17 मई 2007 को मेरिट के आधार पर वरिष्ठता सूची तैयार करके 5 जनवरी 2009 को शासन को सौंप दी।

विभाग की मनमानी और न्यायिक लड़ाई

समस्या तब शुरू हुई जब माध्यमिक शिक्षा विभाग ने आयोग की मेरिट आधारित वरिष्ठता सूची को खारिज कर दिया। विभाग ने 29 मार्च 2012 को अपनी मर्जी से नई सूची बनाई, जिसमें नियुक्ति की तारीख को वरिष्ठता का आधार बनाया गया। इस फैसले से डॉ. नंदन सिंह बिष्ट जैसे अनेक योग्य प्रवक्ताओं की वरिष्ठता में भारी गिरावट आई।

डॉ. नंदन सिंह बिष्ट, जो आयोग की मेरिट सूची में तीसरे स्थान पर थे, विभाग की नई सूची में 892वें स्थान पर पहुंच गए। इस अन्याय के खिलाफ उन्होंने 2017 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट के निर्देश पर तत्कालीन शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने मामले की सुनवाई की, लेकिन 13 जुलाई 2018 को बिष्ट की याचिका खारिज कर दी।

लोक सेवा अभिकरण में न्याय

हाईकोर्ट के सुझाव पर डॉ. बिष्ट ने 2019 में लोक सेवा अभिकरण में अपील दायर की। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अभिकरण के उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह (न्यायिक) और उपाध्यक्ष एएस रावत (प्रशासनिक) की संयुक्त पीठ ने उनके पक्ष में निर्णय सुनाया।

अभिकरण ने स्पष्ट रूप से कहा कि उत्तराखंड सरकारी सेवक ज्येष्ठता नियमावली 2002 के अनुसार वरिष्ठता का निर्धारण मेरिट के आधार पर होना चाहिए, न कि नियुक्ति की तारीख के आधार पर।

सरकार का तत्काल कार्यान्वयन

अभिकरण के आदेश के तुरंत बाद शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने विभाग को निर्देश जारी किए। सचिव ने स्पष्ट कहा है कि 2005-2006 में लोक सेवा आयोग द्वारा तैयार की गई संयुक्त मेरिट सूची के आधार पर नई वरिष्ठता तैयार की जाएगी।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक को निर्देशित किया गया है कि वे लोक सेवा आयोग के मानकों के अनुरूप वरिष्ठता सूची का पुनर्निर्माण करें।

प्रवक्ता भर्ती में नया मोड़

इस बीच, राज्य में प्रवक्ता भर्ती प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। 30 अप्रैल 2025 को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 18 अक्टूबर 2024 को जारी किए गए 613 प्रवक्ता पदों की भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया।

इसका कारण उत्तराखंड शासन द्वारा संशोधित नियमावली 2025 का जारी होना है, जिसमें स्क्रीनिंग टेस्ट को समाप्त करके केवल विषयवार परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान किया गया है।

शिक्षक संगठनों की प्रतिक्रिया

राजकीय शिक्षक संघ के पूर्व प्रांतीय महामंत्री डॉ. सोहन माजिला ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 23 सितंबर 2021 को हुई त्रिपक्षीय बैठक में 2005-06 की नियुक्ति वाले शिक्षकों को मेरिट के आधार पर वरिष्ठता देने का निर्णय हुआ था।

माजिला ने कहा, “अब विभाग को अभिकरण के आदेश के अनुसार आगे कार्रवाई को जल्द शुरू करना चाहिए।”

पदोन्नति की राह खुली

इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद हजारों प्रवक्ताओं के लिए पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है। संयुक्त मेरिट सूची में शीर्ष पर आने वाले शिक्षकों को अब पदोन्नति की प्राथमिकता मिलेगी। यह निर्णय न केवल न्याय की जीत है बल्कि उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था में एक नए युग की शुरुआत भी है।

भविष्य की चुनौतियां

अब माध्यमिक शिक्षा विभाग के सामने नई वरिष्ठता सूची तैयार करने की चुनौती है। विभाग को 2005-06 के आंकड़ों को फिर से खंगालना होगा और लोक सेवा आयोग की मूल मेरिट सूची के अनुसार वरिष्ठता का पुनर्निर्धारण करना होगा।

इस प्रक्रिया में समय लग सकता है, लेकिन यह न्याय और पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *