20 साल बाद शिक्षा विभाग में शिक्षकों की वरिष्ठता बदलने की तैयारी
हाइलाइट्स
20 साल बाद उत्तराखंड शिक्षा विभाग में शिक्षकों की वरिष्ठता सूची बदलने की प्रक्रिया शुरू
पहले चरण में 2005-06 बैच के करीब 1200 प्रवक्ता प्रभावित
कुल मिलाकर करीब 8000 शिक्षक होंगे संशोधित वरिष्ठता सूची से प्रभावित
शासन ने 2024 के ट्रिब्यूनल आदेश के आधार पर नई वरिष्ठता सूची बनाने का निर्देश दिया
वरिष्ठता विवाद पर कई शिक्षक कोर्ट और ट्रिब्यूनल पहुंचे हैं
महिला संवर्ग, 25% अतिरिक्त चयन से आई प्रवक्ताओं का नाम सूची में नहीं, शिक्षक असंतुष्ट
शासनादेश 2158 व वरिष्ठता निर्धारण के नियमों की समीक्षा व जांच मांगी जा रही
प्रक्रिया और कानूनी पृष्ठभूमि
उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने 20 साल बाद शिक्षकों की वरिष्ठता में बदलाव के लिए नई सूची तैयार करने का निर्णय लिया है। संशोधन का मुख्य आधार उत्तराखंड ट्रिब्यूनल के 2024 के आदेश को बताया गया है। इसके तहत 2005-06 बैच के लगभग 1200 प्रवक्ताओं की वरिष्ठता बदल जाएगी, और आगे चलकर करीब 8000 शिक्षकों पर असर पड़ेगा।
विवाद के केंद्र में शासनादेश 2158 (2001) है, जिसके तहत एलटी से प्रवक्ता पद पर तदर्थ पदोन्नति दी गई थी। सीधी भर्ती वाले प्रवक्ता शिक्षकों की वरिष्ठता तदर्थ पदोन्नति वाले शिक्षकों से प्रभावित हो रही थी। हालांकि कई शिक्षक तर्क दे रहे हैं कि महिला संवर्ग या 25% अतिरिक्त चयन वाले प्रवक्ताओं का नाम सूची में नहीं है, जिससे सूची अधूरी मानी जा रही है.
बहुत से शिक्षकों ने इस बदलाव के विरोध में कोर्ट और ट्रिब्यूनल का सहारा लिया है। चयनित प्रवक्ताओं का दावा है कि विसंगतिपूर्ण वरिष्ठता सूची को 2014 में कोर्ट ने स्टे (रोक) दे दी थी। वर्तमान में मामला कोर्ट में विचाराधीन है, और शिक्षा विभाग को समिति बना कर जांच करने का आदेश मिला है।
वरिष्ठता निर्धारण के नियम और शासनादेश
उत्तराखंड की वरिष्ठता निर्धारण नियमावली 2002 अनुसार, प्रवक्ता पद पर नियुक्ति दो तरीकों से होती है:
सीधी भर्ती
पदोन्नति
यदि भर्ती का स्रोत अलग हो तो नियम 8, एक जैसा हो तो नियम 7 लागू होता है। लेकिन शिक्षा विभाग ने कई मामलों में नियम 7 को नियम 8 के स्थान पर लागू कर दिया, जिससे वरिष्ठता निर्धारण पर विवाद पैदा हुआ।
शासनादेश संख्या 2158 के आधार पर 2001-02 से 2007-08 तक करीब 1000 शिक्षकों को तदर्थ पदोन्नति दी गई थी। उन्हें मौलिक पदोन्नति बाद में मिली, लेकिन वरिष्ठता तदर्थ पदोन्नति के अनुसार तय कर दी गई। इसी कारण 2005-06 की सीधी भर्ती से आए प्रवक्ता शिक्षकों की वरिष्ठता पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
विभागीय समीक्षा और निर्णय
वरिष्ठता सूची में विसंगतियों के चलते शिक्षकों के प्रमोशन और अन्य लाभ भी अटके हुए हैं। शिक्षा विभाग ने फिलहाल अंतरिम प्रमोशन (तदर्थ पदोन्नति) देने का निर्णय लिया है, ताकि पात्र शिक्षकों को लाभ मिल सके। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वरिष्ठता विवाद पर न्याय विभाग से परामर्श लेकर कोर्ट में ठोस जवाब दाखिल किया जाए, ताकि जल्दी समाधान निकाला जा सके.
शिक्षक समाज की चिंता और मांग
शिक्षक संगठनों का कहना है कि ऐसी सूची में महिला संवर्ग, विषयवार अंकों के आधार पर चयनित और 25% अतिरिक्त नियुक्त प्रवक्ताओं को शामिल करने के बिना वरिष्ठता सूची अधूरी है। असंतुष्ट शिक्षक उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं और उच्च न्यायिक स्तर पर राहत की कोशिश में लगे हैं.
उत्तराखंड शिक्षा विभाग में वरिष्ठता विवाद पिछले दो दशक से लंबित है। अद्यतन आदेश के अनुसार करीब आठ हजार शिक्षकों की वरिष्ठता प्रभावित होगी। फिलहाल विभाग ने तदर्थ पदोन्नति और अंतरिम प्रमोशन की नीति अपनाई है, परंतु कोर्ट के स्टे के चलते अंतिम निष्कर्ष और न्यायिक समीक्षा का इंतजार है। यह बदलाव शिक्षकों की प्रशासनिक स्थिति, प्रमोशन और सेवा सुरक्षा पर सीधा प्रभाव डालेगा।



