शिक्षकों की प्रदेशव्यापी चॉकडाउन हड़ताल कल से
हाइलाइट्स बॉक्स
राजकीय शिक्षक संघ से जुड़े सभी शिक्षक कल सोमवार से चॉकडाउन हड़ताल पर
पदोन्नति एवं तबादलों में देरी से नाराजगी चरम पर
हड़ताल का नेतृत्व संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान
मांग न माने जाने तक आंदोलन जारी रहेगा
दुर्गम-अति दुर्गम क्षेत्रों में 20-25 साल से डटे शिक्षक तबादला न होने पर आक्रोशित
शिक्षकों पर हड़ताल न करने का दबाव, लेकिन संघ ने पीछे हटने से किया इनकार
उत्तराखंड के राजकीय शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सीधा सवाल उठाते हुए 18 अगस्त, सोमवार से प्रदेश भर में चॉकडाउन हड़ताल की घोषणा की है। संगठन के नेता राम सिंह चौहान के अनुसार, यह आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक शिक्षक मांगों पर अमल नहीं देखेंगे। मुख्य बिंदु पदोन्नति और तबादले में सुस्त कार्यवाही व प्रशासनिक उपेक्षा है।
पदोन्नति में देरी – शिक्षकों की गहराती निराशा
राज्य के हजारों शिक्षक पदोन्नति के इंतजार में सेवा कार्य कर रहे हैं। संघ के अध्यक्ष चौहान ने बताया –
“बहुत से शिक्षक एक ही पद पर नौकरी पूरी करके सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जबकि विभाग में प्राचार्य समेत अनेक पद खाली हैं। इन पदों को पदोन्नति से ही भरा जाए।”
पदोन्नति की सुस्त प्रक्रिया के चलते शिक्षक अपने विकास और करियर ग्रोथ को लेकर निराश हैं। इससे उनका न सिर्फ मनोबल गिरता है, बल्कि योग्य अभ्यर्थी भी अवसर से वंचित रह जाते हैं।
तबादलों में भेदभाव – विभागीय अनदेखी
इस सत्र में अन्य विभागों के कर्मचारियों-अधिकारियों के तबादले कर दिए गए, लेकिन शिक्षा विभाग में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कई शिक्षक 20 से 25 साल से दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में नियुक्त हैं। तबादला एक्ट बनने के बावजूद, उन्हें सुगम क्षेत्र में आने का अवसर नहीं मिला।
“ऐसे शिक्षक वर्षों से घर-परिवार और सुविधाओं से दूर रहकर सेवा कर रहे हैं, लेकिन विभाग उनकी मानसिक, शारीरिक और सामाजिक चुनौतियों को अनदेखा कर रहा है।”
सरकारी दबाव और संघ का जवाब
आंदोलन के पूर्व शिक्षकों को हड़ताल न करने का दबाव भी दिया गया है। लेकिन राजकीय शिक्षक संघ ने साफ किया है –
“मांगों पर कार्यवाही नहीं होने की स्थिति में कोई दबाव अब स्वीकार नहीं किया जाएगा। शिक्षकों के अधिकार और सम्मान के लिए आंदोलन जारी रहेगा।”
परिस्थितियाँ और सामाजिक प्रभाव
सरकारी स्कूलों में हड़ताल से शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
इस हड़ताल का असर सबसे ज्यादा छात्रों, अभिभावकों और विभागीय कार्य पर पड़ेगा।
संघ ने स्पष्ट किया – यह आंदोलन शिक्षक सम्मान, सहूलियत और कर्मचारी नीति को लेकर है।
उत्तराखंड में शिक्षकों की यह चॉकडाउन हड़ताल सिस्टम में रुकी पदोन्नतियों और तबादलों को लेकर भारी नाराजगी का प्रतीक है। विभागीय उपेक्षा के खिलाफ एकजुटता दिखा शिक्षकों ने अधिकारों की लड़ाई का बिगुल फूंक दिया है। अब देखना है कि सरकार शिक्षक हित के मुद्दों पर कितना संजीदा संवाद करती है और समाधान का रास्ता तलाशती है।



