नई किताबों के साथ उत्तराखंड स्कूलों का टाइम टेबल बदलेगा
उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की दिशा में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। शैक्षिक सत्र 2025-26 की शुरुआत नई किताबों और नए टाइम टेबल के साथ होगी। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि इन नई पुस्तकों को ध्यान में रखते हुए अब स्कूलों में विषयवार कक्षाओं का समय पुनः निर्धारित किया जाएगा। इस बदलाव का उद्देश्य बच्चों में न केवल ज्ञान वृद्धि करना है, बल्कि उन्हें स्थानीय संस्कृति, कौशल और खेल से भी जोड़ना है।
नई किताबें, नया नजरिया
इस वर्ष कक्षा 6 के छात्रों के लिए एनसीईआरटी और उत्तराखंड सरकार की ओर से हिन्दी, अंग्रेज़ी, गणित, विज्ञान और संस्कृत विषयों की किताबों में बदलाव किया गया है। साथ ही कुछ नई पुस्तकें पाठ्यक्रम में जोड़ी गई हैं:
- कौशल बोध
- खेल यात्रा
- हमारी विरासत, हमारी विभूतियां
इन पुस्तकों के साथ शिक्षा केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह छात्रों की रुचियों, व्यक्तिगत कौशल और सामाजिक समझ को भी विकसित करने का माध्यम बनेगी।
टाइम टेबल में आएगा बदलाव
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों (CEOs) को निर्देश जारी किए हैं कि वे नए पाठ्यक्रम के अनुसार स्कूलों का टाइम टेबल पुनः निर्धारित करें। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2025 से राज्य के सभी स्कूलों में औपचारिक रूप से नया शैक्षिक सत्र शुरू होगा।
“नई किताबों के साथ विषयों की पढ़ाई के लिए समय निर्धारण आवश्यक है ताकि छात्र संतुलित रूप से सभी क्षेत्रों में विकास कर सकें।” – डॉ. मुकुल सती, माध्यमिक शिक्षा निदेशक
खेल, कौशल और संस्कृति को भी मिलेगा समय
नई व्यवस्था के तहत अब गेम्स के पीरियड में तीन दिन ‘खेल यात्रा’ और शेष तीन दिन ‘कौशल बोध’ पढ़ाया जाएगा। इससे छात्रों को व्यायाम, नेतृत्व, टीम वर्क और रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलेगा।
वहीं ‘हमारी विरासत, हमारी विभूतियां’ पुस्तक को हिन्दी या सामाजिक विज्ञान के पीरियड में पढ़ाया जाएगा। यह किताब राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक विभूतियों और परंपराओं की जानकारी देती है, जिससे छात्रों में स्थानीय पहचान की भावना विकसित होगी।
संस्कृत की किताबों में भी बदलाव
कक्षा 6 के लिए ‘आमोदनी’ और ‘दीपकम’, तथा कक्षा 7 और 8 के लिए ‘रूचिरा’ और ‘आमोदनी’ नामक किताबें दी गई हैं। इनका वितरण स्कूलों के बोर्ड के अनुसार तय किया गया है:
- CBSE से संबद्ध अटल उत्कृष्ट विद्यालयों व राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों में ‘दीपकम’ और ‘रूचिरा’ पढ़ाई जाएंगी।
- उत्तराखंड बोर्ड के स्कूलों में केवल ‘आमोदनी’ लागू होगी।
इससे शिक्षा में एकरूपता के साथ स्थानीय आवश्यकताओं को भी महत्व दिया जा सकेगा।
उच्च कक्षाओं में भी होगा विस्तार
हालांकि इस समय केवल कक्षा 6 से 8 तक के टाइम टेबल में बदलाव किया जा रहा है, परंतु शिक्षा विभाग ने संकेत दिया है कि आने वाले वर्षों में यह प्रक्रिया कक्षा 9 से 12 तक भी लागू की जाएगी। इससे छात्रों को धीरे-धीरे नई व्यवस्था के अनुरूप ढालने में सुविधा होगी।
इस बार पाठ्यक्रम में केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि छात्रों के समग्र विकास को महत्व दिया गया है। ‘कौशल बोध’ जैसी किताबें विद्यार्थियों को जीवन कौशल, संवाद क्षमता, नेतृत्व और उद्यमिता की ओर प्रेरित करेंगी। वहीं ‘हमारी विरासत’ जैसे विषय बच्चों को अपने राज्य के इतिहास, साहित्य और संस्कृति से जोड़ेंगे।
यह बदलाव विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों के छात्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां अक्सर शहरी बच्चों के मुकाबले संसाधनों की कमी होती है। लेकिन नई किताबें और विषय उन्हें आत्म-विश्वास से भरने का कार्य करेंगी।
क्या बदलेगा छात्रों और शिक्षकों के लिए?
बदलाव | प्रभाव |
---|---|
नई किताबें | पढ़ाई अधिक समकालीन और रोचक होगी |
खेल और कौशल विषय | रचनात्मकता और सामाजिक विकास को बढ़ावा |
टाइम टेबल में लचीलापन | शिक्षकों को वैकल्पिक व्यवस्था की सुविधा |
स्थानीय विषय | छात्रों में सांस्कृतिक चेतना |
उत्तराखंड सरकार का यह प्रयास न केवल शैक्षिक सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, बल्कि यह छात्रों को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करने का संकल्प भी है। नई किताबों के साथ बदला हुआ टाइम टेबल न सिर्फ ज्ञान का विस्तार करेगा, बल्कि बच्चों को उनके जीवन, समाज और संस्कृति से गहराई से जोड़ने में मदद करेगा। यह बदलाव एक आधुनिक और समावेशी शिक्षा प्रणाली की ओर बढ़ता हुआ कदम है।