group of indian village students in school uniform sitting in classroom doing homework

उत्तराखंड के अशासकीय विद्यालयों में शिक्षक भर्ती पर रोक हटी: नई व्यवस्था तक पुराने नियमों से होगी भर्ती

उत्तराखंड के अशासकीय विद्यालयों में शिक्षक भर्ती पर रोक हटी: नई व्यवस्था तक पुराने नियमों से होगी भर्ती

हाइलाइट्स

  • हाईकोर्ट के आदेश के बाद अशासकीय विद्यालयों में शिक्षक भर्ती पर लगी रोक हटी

  • तीन साल से रुकी भर्ती से सैकड़ों शिक्षक पद खाली, अब पुरानी व्यवस्था से होगी भर्ती

  • उच्च शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में नई पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया पर काम जारी

  • हाईकोर्ट ने सरकार को “रंगदार शक्ति का प्रयोग” बताकर कड़ी फटकार लगाई

  • नई व्यवस्था में राज्य लोक सेवा आयोग या अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से भर्ती की सिफारिश

  • सीईओ कार्यालय में टॉप-7 अभ्यर्थियों की सूची तैयार कर साक्षात्कार से चयन


हाईकोर्ट का निर्णायक आदेश

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकारी सहायता प्राप्त अशासकीय शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती पर राज्य सरकार के प्रतिबंध को हटा दिया है। न्यायालय ने अपने फैसले में सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए इस आदेश को “वैधानिक अधिकार के बिना” और “रंगदार शक्ति का प्रयोग” बताया है.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड स्कूल शिक्षा अधिनियम, 2006 के तहत भर्ती का अधिकार प्रबंधन समिति और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को है, राज्य सरकार सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती. याचिकाकर्ताओं ने बताया कि पांच वर्षों से भर्ती पर रोक से इन स्कूलों में शिक्षकों के सैकड़ों पद खाली पड़े हैं.


भर्ती रोक का इतिहास और कारण

प्रदेश के अशासकीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी और अनियमितता की शिकायतें मिलने पर सरकार ने 19 सितंबर 2023 को भर्ती पर रोक लगाई थी. इससे पहले भी 10 नवंबर 2022 को इसी तरह का प्रतिबंध लगाया गया था, जिसे हाईकोर्ट ने 16 अगस्त 2023 को रद्द कर दिया था.

शिक्षा सचिव रविनाथ रामन के अनुसार, “नई पारदर्शी व्यवस्था न बनने तक पुराने नियमों के तहत ही जहां पद खाली हैं, उन स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती होगी”. उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार मिश्रा ने बताया कि अधिकतर अशासकीय विद्यालयों में 4 से 8 या इससे अधिक शिक्षकों के पद कई सालों से खाली हैं।


वर्तमान भर्ती प्रक्रिया और नई व्यवस्था

मौजूदा प्रक्रिया:

  • खाली पदों पर स्कूल की ओर से आवेदन मांगे जाते हैं

  • आवेदन संबंधित जिले के सीईओ कार्यालय में जमा होते हैं

  • टॉप-7 अभ्यर्थियों की सूची तैयार की जाती है

  • साक्षात्कार के लिए बुलाकर शिक्षकों की भर्ती की जाती है

  • साक्षात्कार में स्कूल प्रबंधन 5 अंक तक दे सकता है

नई पारदर्शी व्यवस्था:

प्रदेश के अशासकीय विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती की नई पारदर्शी व्यवस्था के लिए उच्च शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। नई व्यवस्था के तहत अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती की सिफारिश की जा सकती है.


शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव

तीन वर्षों से रुकी भर्ती का छात्र-शिक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। शिक्षकों की कमी से कई विषयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित हुई है। रोक के दौरान संस्थानों को अपने खर्च पर अस्थायी व्यवस्था के माध्यम से पठन-पाठन कराने को कहा गया था.

शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि “नियुक्तियों में पारदर्शिता” के लिए सरकार यह कदम उठा रही है। पूर्व में हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं.


हाईकोर्ट के निर्णायक आदेश के बाद उत्तराखंड के अशासकीय विद्यालयों में शिक्षक भर्ती पर लगी रोक हटने से शिक्षा क्षेत्र में राहत मिली है। पुरानी व्यवस्था से तत्काल भर्ती शुरू होने के साथ ही नई पारदर्शी प्रक्रिया का विकास भी जारी है। यह फैसला न केवल शिक्षकों के हितों की रक्षा करता है बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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