उत्तराखंड के इंटर कॉलेजों में अब होगी प्रधानाचार्य की सीधी भर्ती: नई नियमावली पर सरकार ने लगाई मुहर
🗂️ हाइलाइट्स:
- राज्य के 1385 सरकारी इंटर कॉलेजों में 1180 पद रिक्त
- प्रधानाचार्य भर्ती के लिए तय हुई नई पात्रता शर्तें
- हाईस्कूल प्रधानाध्यापक, वरिष्ठ प्रवक्ता और एलटी शिक्षकों को मिलेगा मौका
- विभागीय चयन परीक्षा 29 सितंबर 2024 को होनी थी, अब निरस्त
- शिक्षा सचिव ने नियमावली पर मुहर की पुष्टि की
- नई नियमावली को अब कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा
उत्तराखंड सरकार ने सरकारी इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य पद की सीधी भर्ती की राह साफ कर दी है। लंबे समय से रिक्त पड़े इन पदों को भरने को लेकर शिक्षकों में असमंजस और असंतोष की स्थिति बनी हुई थी। अब सरकार की ओर से स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और नियमावली के संशोधित प्रारूप को मंजूरी भी मिल गई है। शिक्षा विभाग के इस फैसले से हजारों शिक्षकों की उम्मीदें फिर से जाग उठी हैं।
🏛️ रिक्त पदों की गंभीर स्थिति:
वर्तमान में उत्तराखंड के कुल 1385 सरकारी इंटर कॉलेजों में से करीब 1180 संस्थानों में प्रधानाचार्य का पद रिक्त है। यह स्थिति शिक्षा के प्रशासनिक संचालन और शैक्षणिक गुणवत्ता दोनों के लिए चुनौती बन चुकी थी। कई विद्यालयों में वरिष्ठ प्रवक्ताओं या जूनियर प्रधानाध्यापकों के भरोसे ही संस्था चल रही थी।
📋 नई पात्रता शर्तें क्या होंगी?
नई नियमावली में प्रमुख रूप से तीन प्रकार के शिक्षकों को सीधी भर्ती के लिए पात्र माना गया है:
- हाईस्कूल प्रधानाध्यापक – जिनकी कम से कम दो वर्ष की नियमित सेवा पूर्ण हो चुकी हो।
- प्रवक्ता (PGT) – जिनके पास 10 वर्षों की सेवा का अनुभव हो।
- एलटी ग्रेड शिक्षक (LT) – जिन्होंने कम से कम 15 वर्ष तक सेवाएं दी हों।
यह शर्तें उस पारदर्शिता और वरिष्ठता की भावना को ध्यान में रखकर तय की गई हैं, जो विभागीय पदोन्नति प्रक्रिया में अपेक्षित होती है।
🧾 वित्त विभाग की आपत्तियां और उनका निपटारा:
वित्त विभाग ने एलटी ग्रेड के शिक्षकों को ‘निचले ग्रेड पे’ का कर्मचारी मानते हुए आपत्ति जताई थी। उनका तर्क था कि प्रधानाचार्य जैसे उच्च पद पर इन शिक्षकों की नियुक्ति वेतन संरचना और प्रशासनिक क्षमताओं के अनुसार नहीं बैठती। इस पर उच्च स्तरीय समिति ने संतुलित समाधान देते हुए एलटी शिक्षकों के लिए लंबी सेवा (15 वर्ष) को अनिवार्य किया, जिससे अनुभव और योग्यता दोनों का समायोजन हो सके।
🗣️ शिक्षा सचिव की पुष्टि:
शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने जानकारी दी कि,
“राज्य शैक्षिक (अध्यापन संवर्ग) राजपत्रित सेवा नियमावली के संशोधित प्रारूप को सहमति मिल चुकी है और इसे शीघ्र ही कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा।”
उनके इस कथन से स्पष्ट हो गया है कि अब सरकार की ओर से किसी तरह का संशय या अड़चन नहीं बची है और शीघ्र ही भर्ती प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो सकती है।
📆 पहले परीक्षा हुई थी रद्द :
सरकार ने पहले 29 सितंबर 2024 को प्रधानाचार्य पद हेतु चयन परीक्षा आयोजित करने की योजना बनाई थी। लेकिन शिक्षकों द्वारा की जा रही आपत्तियों और नियमावली को लेकर उठे सवालों के चलते सरकार ने इस परीक्षा को निरस्त कर दिया था। अब संशोधित नियमावली के साथ एक नई तिथि और प्रक्रिया तय की जाएगी।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि विद्यालयों में स्थायी प्रधानाचार्यों की नियुक्ति से विद्यालय प्रशासन, परीक्षा प्रबंधन, शिक्षक निगरानी और विद्यार्थियों के अनुशासन पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। स्थानीय स्कूलों के उदाहरणों से यह भी स्पष्ट होता है कि जिन स्कूलों में पूर्णकालिक प्रधानाचार्य हैं, वहां बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम भी बेहतर रहा है।
नई नियमावली की मंजूरी के साथ उत्तराखंड के सरकारी इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। सरकार के इस फैसले से न केवल प्रशासनिक जटिलताएं कम होंगी, बल्कि विद्यालयों की शैक्षणिक गुणवत्ता भी सुधरेगी। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि कैबिनेट से मंजूरी के बाद इसकी प्रक्रिया कितनी शीघ्रता से आगे बढ़ती है।