55 साल के शिक्षक भी सीधी भर्ती से बन सकेंगे प्रधानाचार्य: उत्तराखंड कैबिनेट का फैसला
हाइलाइट्स बॉक्स
प्रधानाचार्य पद के लिए आयु सीमा बढ़ाकर 55 वर्ष की गई
प्रवक्ता के लिए बीएड की अनिवार्यता समाप्त
एलटी शिक्षक को भी 15 साल सेवा पर सीधी विभागीय परीक्षा में अवसर
प्रमुख नियमावली में कैबिनेट ने किया संशोधन, पिछले साल बीच में रुकी थी प्रक्रिया
राज्य में 1180 प्रधानाचार्य पद खाली, अब भरने का रास्ता साफ
उत्तराखंड सरकार ने राजकीय इंटर कॉलेजों में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े शिक्षकों के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। अब 55 वर्ष तक के शिक्षक भी सीधी विभागीय परीक्षा के जरिए प्रधानाचार्य बन सकेंगे। साथ ही प्रवक्ता पद के लिए बीएड डिग्री की अनिवार्यता भी खत्म कर दी गई है। इस फैसले से राज्य में प्रधानाचार्य के खाली पदों को जल्दी भरने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
नियमावली का संशोधन
1. आयु सीमा में छूट
राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य के लिए सीधी भर्ती हेतु अधिकतम आयु अब 55 वर्ष कर दी गई है। पहले यह सीमा 50 वर्ष थी, जिसके चलते कई अनुभवी शिक्षक पात्र नहीं हो पाते थे।
2. बीएड अनिवार्यता समाप्त
अब ऐसे प्रवक्ता भी प्रधानाचार्य भर्ती परीक्षा दे सकेंगे, जिनके पास बीएड डिग्री नहीं है। इससे उच्च शिक्षा हेतु विशेषज्ञता को प्रोत्साहन मिलेगा और योग्य फ़ैकल्टी का लाभ राज्य शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा।
3. एलटी संवर्ग के शिक्षकों को भी मौका
15 साल की सेवा पूरी कर चुके सहायक अध्यापक (एलटी संवर्ग) अब विभागीय परीक्षा से प्रधानाचार्य बनने के पात्र हैं।
ऐसे सहायक अध्यापक (एलटी), जिन्होंने कम-से-कम दो वर्ष की सेवा प्रधानाध्यापक के रूप में पूरी की है, वे भी पात्र होंगे।
जिन शिक्षकों ने सहायक अध्यापक (एलटी) और प्रवक्ता के पदों पर कुल 15 साल की सेवा दी है, वे भी कोविड नियमावली के हिसाब से परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
4. सीमित विभागीय परीक्षा
राज्य के 50% प्रधानाचार्य पद विभागीय सीमित परीक्षा के माध्यम से भरे जाएंगे। भर्ती के लिए पात्रता की शर्तों में भी संशोधन किया गया है।
विभागीय सीधी भर्ती के नियम
पात्रता श्रेणी | सेवा अनुभव/योग्यता | अन्य शर्तें |
---|---|---|
सहायक अध्यापक (एलटी संवर्ग) | 15 वर्ष संपूर्ण सेवा | आयु अधिकतम 55 वर्ष |
प्रवक्ता | 10 वर्ष सेवा | बीएड की आवश्यकता नहीं |
प्रधानाध्यापक | न्यूनतम 2 वर्ष मौलिक सेवा | |
सहायक अध्यापक (एलटी) और प्रवक्ता | सम्मिलित सेवा 15 वर्ष | सीमित विभागीय परीक्षा में पात्र |
क्यों हुआ बदलाव? पूर्व की स्थिति और विरोध
पिछले साल, प्रधानाचार्य के कई पद रिक्त रहते हुए भी भर्ती प्रक्रिया शिक्षकों के विरोध और नियमावली की जटिलताओं के कारण रोक दी गई थी। योग्य शिक्षकों का एक वर्ग पात्रता के विवाद के चलते बाहर हो जाता था तथा बड़ी संख्या में पद अधूरे रह जाते थे।
सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने नियमावली में व्यापक बदलाव की सिफारिश की। अब शिक्षकों को उनके अनुभव और योग्यता के आधार पर ध्यान में रखा गया है।
खाली पदों के संख्यात्मक पहलू
राजकीय इंटर कॉलेज: 1,385
प्राथमिक प्रधानाचार्य पद: 1,180 (85% पद रिक्त)
गत वर्ष सीधी भर्ती के लिए आवेदन: 2,900 से अधिक शिक्षकों ने 682 पदों के लिए किया था
वर्तमान कार्यरत प्रधानाचार्य: केवल 205
नवीनतम फैसले से न केवल शिक्षा विभाग में प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी, बल्कि छात्रों को भी योग्य प्रधानाचार्य का मार्गदर्शन मिलेगा। नए प्रधानाचार्य शिक्षा की गुणवत्ता और अनुशासन बेहतर बनाने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।