🟩 मुख्य बिंदु (हाइलाइट्स)
- पंचायत चुनाव में दो मतदाता सूचियों में नाम होना बना विवाद का कारण
- हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद याचिकाकर्ता ने निर्वाचन आयोग को सौंपा प्रत्यावेदन
- शक्ति बर्तवाल ने चेताया – आदेश का पालन न हुआ तो दाखिल होगी अवमानना याचिका
- पंचायतीराज अधिनियम की धारा-9 की उपधाराएं 6 और 7 का उल्लंघन बताया
- न्यायालय के आदेश के अनुपालन की मांग को लेकर आयोग पर दबाव
दो मतदाता सूचियों में नाम: आदेश की अनदेखी पर अवमानना याचिका की चेतावनी
देहरादून | 13 जुलाई 2025: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव प्रक्रिया के बीच एक गंभीर संवैधानिक और नैतिक सवाल खड़ा हो गया है। दो विभिन्न मतदाता सूचियों में नाम दर्ज होने के मामले में याचिकाकर्ता शक्ति बर्तवाल ने राज्य निर्वाचन आयोग को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि हाईकोर्ट के स्थगन आदेश का पालन नहीं किया गया, तो वे अवमानना याचिका दाखिल करेंगे।
⚖ क्या है मामला?
उत्तराखंड पंचायत चुनाव में कुछ ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जहां नगर निकाय और पंचायत क्षेत्र – दोनों की मतदाता सूचियों में एक ही व्यक्ति का नाम दर्ज पाया गया है। यह न केवल चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि पंचायतीराज अधिनियम-2016 की धारा-9(6) और 9(7) का भी स्पष्ट उल्लंघन है।
📑अधिनियम क्या कहता है?
धारा 9(6): कोई भी व्यक्ति एक से अधिक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में एक से अधिक बार पंजीकृत होने का पात्र नहीं होगा।
धारा 9(7): यदि किसी व्यक्ति का नाम एक से अधिक नामावलियों में दर्ज पाया जाता है, तो उसे अवैध मानते हुए नाम हटाने की कार्रवाई की जा सकती है।
📌 याचिकाकर्ता का पक्ष
शनिवार को याचिकाकर्ता शक्ति बर्तवाल ने राज्य निर्वाचन आयोग कार्यालय में पहुंचकर कोर्ट आदेश के अनुपालन को लेकर एक आधिकारिक प्रत्यावेदन सौंपा। उन्होंने बताया कि कई ऐसे मामले हैं जहां एक ही व्यक्ति पंचायत और नगर निकाय दोनों की मतदाता सूची में शामिल है, और इसके बावजूद ऐसे लोग पंचायत चुनाव में प्रत्याशी बन रहे हैं।
“यह नियमों का खुला उल्लंघन है। यदि आयोग ने समय रहते अदालत के आदेश का पालन नहीं किया, तो मैं अवमानना याचिका दाखिल करूंगा।”
📣 निर्वाचन आयोग पर बढ़ा दबाव
हाईकोर्ट ने पहले ही इस विषय पर स्थगन आदेश जारी किया था, जिसमें दोहरी मतदाता पंजीकरण को गलत ठहराते हुए जांच और नामांकन रद्द करने की बात कही गई थी। लेकिन अब तक निर्वाचन आयोग की ओर से इस पर कोई स्पष्ट कार्रवाई या दिशा-निर्देश सामने नहीं आए हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि आयोग को न केवल न्यायालय के आदेश का पालन करना चाहिए, बल्कि ऐसी विसंगतियों की जांच कर दोषियों के नामांकन निरस्त करने चाहिए।
🧾 चुनावी निष्पक्षता पर प्रश्न
चुनाव की विश्वसनीयता और निष्पक्षता की बुनियाद मतदाता सूची की शुद्धता पर टिकी होती है। यदि एक ही व्यक्ति दो निर्वाचन क्षेत्रों में पंजीकृत है और दोनों में मतदान या नामांकन कर रहा है, तो यह न केवल चुनावी धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है बल्कि इससे लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन भी होता है।
🚨 आयोग की जिम्मेदारी
- आदेशों का तत्काल पालन सुनिश्चित करना
- संशोधित मतदाता सूची प्रकाशित कराना
- ऐसे मामलों की स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करना
- समस्त निर्वाचन अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करना
शक्ति बर्तवाल द्वारा उठाया गया यह मुद्दा न केवल एक तकनीकी खामी को उजागर करता है, बल्कि यह पूरे राज्य में चुनावी पारदर्शिता और वैधानिक अनुशासन की परीक्षा भी है। यदि आयोग अब भी निष्क्रिय रहा, तो यह न केवल न्यायालय की अवमानना होगा, बल्कि राज्य में लोकतंत्र की नींव को भी कमजोर करेगा।
इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अब पूरी नजर राज्य निर्वाचन आयोग की आगामी कार्रवाई पर है।
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