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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर 24 व 28 जुलाई को उत्तराखंड में सार्वजनिक अवकाश घोषित

🗳️ त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर 24 व 28 जुलाई को उत्तराखंड में सार्वजनिक अवकाश घोषित


📌 हाइलाइट्स:

  • उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के पहले चरण के लिए 24 जुलाई को अवकाश
  • दूसरे चरण का मतदान 28 जुलाई को, इस दिन भी संबंधित क्षेत्रों में छुट्टी
  • सरकारी और निजी संस्थानों के कर्मचारी, मजदूर, और कारीगरों को मिलेगा मतदान का अवसर
  • चुनाव क्षेत्र के कोषागार और उपकोषागार भी रहेंगे बंद
  • आदेश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी

उत्तराखंड में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती देने और पंचायत चुनाव में अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने दो महत्वपूर्ण दिनों – 24 जुलाई और 28 जुलाई – को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। यह निर्णय त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले और दूसरे चरण में मतदान के मद्देनजर लिया गया है। इससे संबंधित सभी विकासखंड क्षेत्रों में कार्यालय, स्कूल, कोषागार और अन्य संस्थान बंद रहेंगे ताकि मतदाता बिना किसी कार्यगत बाधा के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।


📆 चरणबद्ध मतदान का कार्यक्रम:

राज्य में पंचायत चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे:

  1. पहला चरण – 24 जुलाई 2025 (बुधवार)
  2. दूसरा चरण – 28 जुलाई 2025 (सोमवार)

इन दोनों तिथियों को उन क्षेत्रों में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है जहाँ उस दिन मतदान होगा। अवकाश की यह व्यवस्था केवल चुनाव क्षेत्र तक सीमित रहेगी।


🏢 किन-किन संस्थानों में रहेगा अवकाश?

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, जिन विकास खंडों में मतदान होगा, वहां निम्नलिखित संस्थान और संगठन बंद रहेंगे:

  • सभी शासकीय (सरकारी) कार्यालय
  • अशासकीय (निजी) कार्यालय और संस्थान
  • सभी प्रकार के शैक्षणिक संस्थान – स्कूल, कॉलेज, प्रशिक्षण केंद्र
  • अर्द्धशासकीय निकाय – नगर पालिका, नगर पंचायत, आदि
  • वाणिज्यिक प्रतिष्ठान – जैसे दुकानें, फैक्ट्रियाँ, निर्माण स्थल
  • कोषागार और उपकोषागार

यह आदेश वहाँ कार्यरत कर्मचारियों, मजदूरों और कारीगरों को बिना बाधा मतदान का अवसर देने के उद्देश्य से लिया गया है

सचिव सामान्य प्रशासन विभाग विनोद कुमार सुमन ने स्पष्ट किया कि यह अवकाश सिर्फ चुनाव क्षेत्रों के लिए प्रभावी होगा और इसका उद्देश्य लोकतांत्रिक सहभागिता को प्रोत्साहित करना है।
उन्होंने बताया:

“चुनाव प्रक्रिया में हर मतदाता की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु 24 और 28 जुलाई को संबंधित क्षेत्रों में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। यह छुट्टी सभी प्रकार के संस्थानों और कर्मियों पर लागू होगी।”


🗳️ मतदाता सहभागिता बढ़ाने का उद्देश्य:

अक्सर देखा गया है कि मतदान प्रतिशत कम होने के पीछे कामकाज की बाधाएं, लंबी दूरी, और समय की कमी प्रमुख कारण होते हैं। ऐसे में सरकार द्वारा चुनाव तिथि पर अवकाश प्रदान करना न केवल मतदान को आसान बनाता है, बल्कि नागरिकों को अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रेरित भी करता है।


🧑‍🏫 शिक्षण संस्थानों पर प्रभाव:

राज्य के प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा संस्थानों में भी इन दो तिथियों को अवकाश रहेगा। इससे विद्यार्थियों, शिक्षकों, और शिक्षण कर्मियों को मतदान में भाग लेने का पूरा अवसर मिलेगा।


💼 निजी क्षेत्र और व्यापारिक प्रतिष्ठान:

राज्य सरकार का यह आदेश केवल सरकारी दफ्तरों तक सीमित नहीं है। निजी क्षेत्र जैसे दुकानों, फैक्ट्रियों, और निर्माण कार्यों में कार्यरत कर्मचारियों को भी इन दिनों अवकाश देना अनिवार्य किया गया है ताकि उन्हें मतदान का अवसर मिल सके।


💰 कोषागार भी रहेंगे बंद:

अधिसूचना के अनुसार, संबंधित क्षेत्रों में स्थित कोषागार और उपकोषागार भी इन दोनों तिथियों को बंद रहेंगे। इसका अर्थ यह है कि उस दिन नकद भुगतान, वेतन, या अन्य वित्तीय लेन-देन की कोई प्रक्रिया नहीं होगी।

मतदान से पूर्व स्थानीय प्रशासन द्वारा मतदाता सूची का अंतिम सत्यापन, पोलिंग पार्टियों का गठन, ईवीएम मशीनों की जांच, और सुरक्षा प्रबंधों को लेकर तैयारियाँ शुरू कर दी गई हैं। विकास खंड अधिकारी, तहसीलदार, और ग्राम पंचायत स्तर पर संबंधित कार्मिकों को निर्देशित किया गया है कि वे चुनाव से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं को समय से सुनिश्चित करें।


🌐 लोकतंत्र की नींव – पंचायत चुनाव:

त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था – ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत – लोकतंत्र की सबसे बुनियादी और स्थानीय इकाई होती है। इसके माध्यम से स्थानीय प्रशासन, विकास योजनाओं और जनकल्याण कार्यों में जनता की भागीदारी सुनिश्चित होती है।


📌 महत्वपूर्ण सूचना – ध्यान दें:

  • यदि आप 24 या 28 जुलाई को चुनाव क्षेत्र में रहते हैं और किसी भी संस्थान में कार्यरत हैं, तो आपको मतदान के लिए वैधानिक अवकाश मिलेगा।
  • यदि आपका संस्थान अवकाश देने से इनकार करता है, तो आप जिला निर्वाचन अधिकारी या स्थानीय तहसील कार्यालय में शिकायत कर सकते हैं।

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