सरकारी स्कूलों के सिलेबस में बड़ा बदलाव:
अब पढ़ाई जाएगी उत्तराखंड की विरासत, कौशल और आपदा प्रबंधन
बच्चों की सोच को समृद्ध बनाने के लिए शिक्षा विभाग का नया कदम
उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षा अब केवल किताबों और परीक्षा तक सीमित नहीं रहेगी। 2025-26 शैक्षणिक सत्र में प्रदेश के कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए कई नई ज्ञानवर्धक पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल की गई हैं। इन पुस्तकों के ज़रिए न सिर्फ छात्रों को स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और विभूतियों से परिचित कराया जाएगा, बल्कि उन्हें जीवन कौशल, आपदा प्रबंधन और योग जैसे महत्वपूर्ण विषयों की भी जानकारी दी जाएगी।
नई किताबें – ज्ञान, जिज्ञासा और कौशल को मिलाएंगी नई दिशा
इस बार उत्तराखंड शिक्षा विभाग द्वारा जिन नई पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, उनमें प्रमुख हैं –
- हमारी विभूतियां एवं विरासत
- जिज्ञासा
- कौशल बोध
- आपदा प्रबंधन
- संबोधिनी
- बाँसुरी
- खेल-योग
इन किताबों को कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए क्रमशः तैयार किया गया है ताकि बच्चे अपनी उम्र और समझ के अनुसार इन विषयों को आत्मसात कर सकें।
हमारी विभूतियां एवं विरासत – स्थानीय नायकों से सीख
‘हमारी विभूतियां एवं विरासत’ नामक पुस्तक में उत्तराखंड की महान विभूतियों की प्रेरणादायक जीवन गाथाएं बच्चों को पढ़ने को मिलेंगी।
इसमें सम्मिलित हैं –
- लोकदेवता गोल्ज्यू – न्याय के प्रतीक और कुमाऊं के आस्था केंद्र।
- शहीद जसवंत सिंह रावत – 1962 भारत-चीन युद्ध के वीर सैनिक।
- वीर माधो सिंह भंडारी – ऐतिहासिक नहर के निर्माता।
- तीलू रौतेली – मात्र 15 वर्ष की उम्र में युद्धभूमि में उतरने वाली वीरांगना।
इन जीवनियों से बच्चों को साहस, सेवा, और समर्पण की सीख मिलेगी, साथ ही वे अपनी जड़ों से जुड़ेंगे।
जिज्ञासा – वैज्ञानिक सोच और प्रकृति से संवाद
‘जिज्ञासा’ पुस्तक में बच्चों की प्राकृतिक और वैज्ञानिक जिज्ञासाओं को बढ़ावा देने वाले विषयों को सम्मिलित किया गया है।
इसमें मिलेगा –
- विद्यालयी रसोई उद्यान की जानकारी – बच्चे स्कूल में खुद छोटे-छोटे पौधे लगाकर खेती की समझ पाएंगे।
- जैव विविधता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता।
- एनिमेशन और खेल जैसे रोचक एवं व्यावहारिक विषय।
इससे छात्रों में रचनात्मकता और खोज की प्रवृत्ति को बल मिलेगा।
कौशल बोध – आत्मनिर्भरता की ओर कदम
‘कौशल बोध’ पुस्तक का उद्देश्य बच्चों को विभिन्न जीवन कौशल और व्यावसायिक दक्षताओं से परिचित कराना है।
इसमें हाथ से काम करने की आदत, छोटे प्रयोग, सामाजिक व्यवहार और नेतृत्व कौशल जैसे पहलुओं को महत्व दिया गया है। यह नई शिक्षा नीति 2020 के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में सहायक होगी।
आपदा प्रबंधन – जीवन रक्षा का पाठ
उत्तराखंड एक भूकंप, भूस्खलन और वर्षा जैसे प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है।
‘आपदा प्रबंधन’ नामक नई पुस्तक में बच्चों को आपातकालीन स्थिति में खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखने के तरीके सिखाए जाएंगे।
इसमें प्राथमिक चिकित्सा, सुरक्षित निकासी की प्रक्रिया, बचाव के उपाय और सतर्कता जैसे व्यावहारिक पहलुओं पर जोर दिया गया है।
खेल-योग – स्वस्थ शरीर और सशक्त मन की पाठशाला
‘खेल-योग’ पुस्तक के ज़रिए अब विद्यार्थियों को केवल खेलों के नियम ही नहीं, बल्कि योग के लाभ, स्वास्थ्यवर्धक दिनचर्या और तनाव प्रबंधन के उपाय भी सिखाए जाएंगे। इससे बाल्यावस्था में ही फिटनेस और मानसिक संतुलन की आदत विकसित होगी।
- बाँसुरी और संबोधिनी – रचनात्मकता और संवाद कौशल को निखारेगी
- बाँसुरी – यह पुस्तक संगीत की प्रारंभिक जानकारी देने के साथ बच्चों को भारतीय संगीत परंपरा से जोड़ने का प्रयास है।
संबोधिनी – इसमें संवाद, वाक् कला, कहानी लेखन, और अभिव्यक्ति के अन्य रूपों पर ध्यान दिया गया है। यह विद्यार्थियों के भाषा विकास और संचार क्षमता को बढ़ावा देगी।
बच्चे सीखेंगे जीवन के पाठ
मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) जीआर जायसवाल ने जानकारी देते हुए कहा –
“इन किताबों को बच्चों की उम्र और समझ के अनुसार तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य है कि विद्यार्थी केवल अकादमिक विषयों तक सीमित न रहें, बल्कि समाज, संस्कृति, विज्ञान और आपदा जैसे विषयों की गहराई को भी समझें।”
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की दिशा में एक ठोस कदम
यह परिवर्तन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) की सिफारिशों के अनुरूप है, जिसमें बहुआयामी, कौशल-आधारित और रचनात्मक शिक्षा पर बल दिया गया है। इससे बच्चों का समग्र विकास होगा – शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और नैतिक।
उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में पाठ्यक्रम में हुआ यह बदलाव केवल किताबों का नहीं, बल्कि दृष्टिकोण का बदलाव है।
इन पुस्तकों से छात्र न केवल अपने क्षेत्र, विरासत और संस्कृति को पहचानेंगे, बल्कि जीवन जीने के कौशल, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, योग और रचनात्मकता में भी प्रवीण बनेंगे।
यह पहल शिक्षा को जीवंत, प्रासंगिक और वास्तविक जीवन से जोड़ने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।