उत्तराखंड में भू-कानून उल्लंघन पर शिकंजा: 235 मामलों में खुलासा, 154 पर वाद दर्ज
देहरादून सबसे ऊपर, धामी सरकार ने जमीन घोटालों पर शुरू की सख्त कार्रवाई
📌 हाइलाइट्स
- राज्य में भूमि उपयोग उल्लंघन के 235 मामले उजागर
- 154 मामलों में वाद दर्ज, जांच प्रक्रिया तेज
- अकेले देहरादून जिले में 50 प्रकरण, सबसे अधिक कार्रवाई
- 532 मामलों में भूमि क्रय की अनुमति, पर 88 में मिला नियम उल्लंघन
- धारा 166-167 के तहत 42 मामलों में विधिक कार्रवाई
- मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर चला अभियान, जमीन को सरकार में किया जा रहा निहित
- सशक्त भू-कानून लागू, कृषि व उद्यान भूमि की अनियंत्रित बिक्री पर पूर्ण रोक
🏔️ भूमि कानून के उल्लंघन पर क्यों आई सख्ती?
उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में भूमि की अवैध खरीद-फरोख्त और भू उपयोग के नियमों का उल्लंघन एक लंबे समय से विवादों का विषय रहा है। राज्य की सीमित कृषि योग्य भूमि और तेजी से फैलते शहरीकरण के बीच भूमि के स्वामित्व और उपयोग को लेकर कई अनियमितताएं सामने आती रही हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देश के बाद अब सरकार ने ऐसे मामलों पर सख्त रुख अपनाया है और राजस्व विभाग, जिलाधिकारी कार्यालयों, और विशेष जांच इकाइयों की मदद से राज्यव्यापी अभियान शुरू किया गया है।
📊 अब तक के आंकड़े क्या बताते हैं?
राजस्व विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार:
प्रकार | आंकड़े |
---|---|
कुल भू-कानून उल्लंघन के मामले | 235 |
जिनमें विधिक वाद दर्ज किए गए | 154 |
सबसे अधिक मामले | देहरादून (50 प्रकरण) |
भूमि क्रय की स्वीकृतियाँ | 532 |
जिनमें उल्लंघन पाया गया | 88 |
जिन पर धारा 166-167 में वाद | 42 |
📍 देहरादून क्यों सबसे आगे?
राज्य की राजधानी देहरादून में भू-अधिनियम उल्लंघन के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं।
- शहर में तेजी से हो रहा अतिक्रमण,
- कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग,
- और प्लॉटिंग के ज़रिए अनाधिकृत कॉलोनियां बनाने के मामलों की भरमार है।
स्थानीय प्रशासन द्वारा गठित विशेष जांच टीमों ने उन मामलों की पड़ताल की, जहां जमीन कृषि उद्देश्य से खरीदी गई थी लेकिन उसे निवासीय या व्यावसायिक उपयोग में लाया गया।
📖 उत्तराखंड भू अधिनियम की प्रमुख धाराएं
राज्य में लागू उत्तराखंड भूमि उपबंध एवं सुधार अधिनियम की विभिन्न धाराएं इस प्रकार हैं:
- धारा 154(4)(3) – भूमि क्रय की अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया
- धारा 166 – बिना अनुमति के भूमि उपयोग में परिवर्तन
- धारा 167 – अधिनियम के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई
इन धाराओं के अंतर्गत ही सरकार ने 532 भूमि क्रय प्रकरणों की जांच की, जिनमें से 88 मामलों में अनियमितताएं पाई गईं।
🧑⚖️ जिन्होंने नियम तोड़े, उनके खिलाफ क्या हुआ?
सरकार ने साफ संकेत दिया है कि भूमि अधिनियमों का उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
- 42 मामलों में वाद दायर किए जा चुके हैं।
- शेष मामलों में प्रक्रिया गतिमान है।
- कई जमीनों को सरकार में निहित (Vested in State) किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में एक जनसभा में कहा:
“हम प्रदेश में जनभावना के अनुरूप सशक्त भू-कानून लागू कर चुके हैं। कृषि भूमि की अनियंत्रित बिक्री अब बीते समय की बात हो चुकी है। जो भी उल्लंघन करेगा, उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
🧱 क्या है ‘भू उपयोग उल्लंघन’?
भू उपयोग उल्लंघन तब होता है जब कोई व्यक्ति भूमि को उस उद्देश्य के विपरीत उपयोग करता है, जिसके लिए उसे अनुमति मिली थी। उदाहरण:
- कृषि भूमि को वाणिज्यिक कार्य में बदलना
- आवासीय भूमि को औद्योगिक बनाना
- या बिना अनुमति के जमीन पर निर्माण कार्य करना
इस तरह के कार्य भूमि अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन की श्रेणी में आते हैं और दंडनीय हैं।
🚧 जांच और कानूनी प्रक्रिया कैसी है?
- भूमि क्रय की अनुमति विभाग द्वारा दी जाती है।
- इसके बाद स्थानीय तहसील और राजस्व निरीक्षक जांच करते हैं कि जमीन का उपयोग नियमों के अनुरूप हो रहा है या नहीं।
- यदि उल्लंघन मिलता है तो धारा 166-167 के अंतर्गत वाद दर्ज किया जाता है।
- अंतिम विकल्प के तौर पर सरकार जमीन को जब्त (Vested) कर सकती है।
🏔️ स्थानीय जनभावनाओं का प्रभाव
उत्तराखंड में भू-कानून को लेकर लंबे समय से आंदोलन होते रहे हैं।
- कई सामाजिक संगठनों ने मांग की थी कि स्थानीय निवासियों की भूमि बाहरी लोगों को बेचना सीमित किया जाए।
- विशेषकर पहाड़ी जिलों में खेती योग्य भूमि की अनियंत्रित बिक्री से स्थानीय आबादी की आजीविका पर असर पड़ा है।
सशक्त भू-कानून लागू होने के बाद लोगों में उम्मीद जगी है कि अब बाहरी दखल और प्राकृतिक संसाधनों की लूट पर अंकुश लगेगा।
🔍 भविष्य की दिशा: क्या होगा आगे?
सरकार के संकेत साफ हैं:
- ऐसे मामलों में अब सिस्टमेटिक ट्रैकिंग होगी।
- हर भूमि क्रय अनुमति की जियो टैगिंग होगी।
- भू-अधिकार प्रमाणपत्रों की डिजिटल निगरानी की जाएगी।
- राज्य सरकार जल्द ही ऑनलाइन भू-उपयोग अनुपालन मॉनिटरिंग पोर्टल लॉन्च कर सकती है।
🌄 बदलाव शुरू हो चुका है
उत्तराखंड में भूमि की खरीद-फरोख्त को लेकर वर्षों से जबरदस्त असंतुलन देखा जा रहा था।
- अब सरकार की ओर से भू-कानून के उल्लंघन पर की जा रही कार्रवाई से संकेत मिलता है कि स्थिति में बदलाव शुरू हो चुका है।
- जनभावना के अनुरूप कदम, कानूनी सख्ती, और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से प्रदेश में भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता आने की उम्मीद है।
- जरूरत इस बात की है कि यह अभियान सिर्फ दस्तावेजी न रहे, बल्कि स्थायी सुधार का माध्यम बने।
🔗 संबंधित लेख:
उत्तराखंड में स्कूल प्रवेश नियमों में बदलाव – जानें नए प्रावधान