सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: वाहन सार्वजनिक जगह पर नहीं तो मोटर वाहन कर नहीं लगेगा
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया: मोटर वाहन कर (Motor Vehicle Tax) तभी वसूला जा सकता है जब वाहन सार्वजनिक स्थान (Public Place) पर उपयोग हो या उपयोग के लिए रखा गया हो
निजी परिसर या प्रतिबंधित क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले वाहनों पर कर नहीं लगाया जाएगा
अदालत ने आंध्र प्रदेश मोटर वाहन कराधान अधिनियम, 1963 की धारा-3 का हवाला देते हुए यह व्याख्या दी
मोटर वाहन कर की प्रकृति मुआवजा स्वरूप (Compensatory in nature) है, यानी इसका सीधे तौर पर सड़कों, राजमार्गों जैसी सार्वजनिक संरचना के उपयोग से संबंध है
यदि किसी वाहन का इस्तेमाल सिर्फ फैक्ट्री, प्राइवेट कैंपस, या रिसोर्ट जैसे बंद क्षेत्र में होता है, तो वाहन मालिक पर कर का बोझ नहीं डाला जाएगा
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने अपने 29 अगस्त 2025 के फैसले में यह स्पष्ट किया कि “अगर कोई मोटर वाहन ‘पब्लिक प्लेस’ में उपयोग नहीं हो रहा या उपयोग के लिए रखा नहीं गया है, तो वाहन मालिक सार्वजनिक अवसंरचना का लाभ नहीं ले रहा है। इस स्थिति में उसे मोटर वाहन कर से बोझिल नहीं किया जा सकता।”
इस फैसले में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के दिसंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें एक कंपनी के वाहन विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के निजी क्षेत्र में ही चलते थे और आम जनता का प्रवेश निषिद्ध था.
निर्णय का आधार
मोटर वाहन कर का उद्देश्य सार्वजनिक संसाधनों के उपयोग के लिए शुल्क लेना है। यदि वाहन सार्वजनिक सड़कों या बुनियादी ढांचे का उपयोग नहीं कर रहा, तो टैक्स अवैध है। कानून बनाते वक्त विधायिका ने जानबूझकर “पब्लिक प्लेस” शब्द का इस्तेमाल किया ताकि कराधान का दायरा सीमित हो सके.
फैसले में उदाहरण के तौर पर कहा गया है –
म्यूजियम में शोकेस के लिए रखे वाहन
रिसोर्ट/फिल्म सिटी/प्राइवेट कैंपस/फैक्ट्री के अंदर उपयोग
प्रतिबंधित सुरक्षा क्षेत्रों में चलने वाले वाहन
इन सब पर मोटर वाहन कर नहीं लगेगा.
व्यावहारिक प्रभाव
इस फैसले से अब उन लोगों या कंपनियों को राहत मिलेगी, जो अपने वाहन सिर्फ निजी क्षेत्र, फैक्ट्री, प्लांट या गेटेड कैंपस तक सीमित रखते हैं। सार्वजनिक सड़कों पर वाहन लाने या रखने पर ही राज्य मोटर वाहन कर लगा सकेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है – यदि वाहन कोई सार्वजनिक स्थान पर इस्तेमाल नहीं होता, तो उसके मालिक पर मोटर वाहन कर का बोझ नहीं डाला जा सकता। इस फैसले से वाहन मालिकों, उद्योगों और लॉजिस्टिक कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी। कराधान अब सिर्फ वही वाहनों पर, जो वास्तव में सार्वजनिक संरचना का उपयोग करते हैं।



