प्रदेश में क्लस्टर विद्यालय योजना के विरोध में शिक्षक
देहरादून। प्रदेश में क्लस्टर विद्यालय योजना के खिलाफ शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है। शिक्षकों का कहना है कि इस योजना से न केवल उनके पद समाप्त होने का खतरा है, बल्कि तबादलों और पदोन्नतियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
शिक्षा विभाग ने प्रदेश में लगभग 550 विद्यालयों को क्लस्टर विद्यालय के रूप में चयनित किया है। विभाग का दावा है कि इन विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षकों की तैनाती और सभी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। हालांकि, शिक्षक इस योजना को शिक्षकों और छात्रों के हित में नहीं मानते। राजकीय शिक्षक संघ की देहरादून इकाई ने इस संबंध में प्रांतीय कार्यकारिणी को पत्र लिखकर अपनी आपत्तियां दर्ज की हैं।
संघ का कहना है कि प्रत्येक विद्यालय की स्थापना क्षेत्रीय आवश्यकताओं, भौगोलिक दूरी और जनसंख्या के आधार पर की गई थी। क्लस्टर विद्यालयों के तहत कई स्कूलों का एकीकरण करने से स्थानीय बच्चों की शिक्षा तक पहुंच सीमित हो जाएगी। इससे ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं, विशेषकर बालिकाओं की स्कूल में नियमित उपस्थिति पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
शिक्षकों का यह भी तर्क है कि इस योजना से विद्यालयों के विलय के कारण कई पद समाप्त हो सकते हैं, जिससे स्थानांतरण, पदोन्नति और स्थायित्व की संभावनाएं प्रभावित होंगी। यह शिक्षकों के अधिकारों का उल्लंघन है। इसके अलावा, एक ही विद्यालय में कई स्कूलों के छात्रों और स्टाफ को समायोजित करने से भवन, कक्ष, पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।
संघ के जिलाध्यक्ष अर्जुन पंवार ने मांग की है कि क्लस्टर विद्यालय योजना को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाए। उन्होंने कहा कि 16 जून को शिक्षा निदेशालय में आयोजित धरने में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा। शिक्षक संघ ने सरकार से इस योजना पर पुनर्विचार करने की अपील की है, ताकि शिक्षकों और छात्रों के हितों की रक्षा हो सके।
क्या कहते हैं संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष
क्लस्टर विद्यालयों से प्रदेश में शिक्षकों के पद समाप्त होंगे। आगे चलकर इसका असर दिखेगा। इन विद्यालयों के स्थान पर मौजूदा विद्यालयों में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। -राम सिंह चौहान, प्रांतीय अध्यक्ष, राजकीय शिक्षक संघ