टीईटी अनिवार्यता से परेशान शिक्षक ने की आत्महत्या
हाइलाइट्स
महोबा जिले के प्रेमनगर उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने टीईटी की अनिवार्यता से परेशान होकर आत्महत्या की
मृतक मनोज कुमार साहू को 1992-93 में मृतक आश्रित कोटे से इंटर पास के आधार पर नौकरी मिली थी
टीईटी अनिवार्यता पर साथी शिक्षकों से चर्चा, उम्र में परीक्षा पास होने की चिंता
घटना के बाद शिक्षक संगठनों में नाराजगी, संघ नेताओं की सरकार से संघर्ष की चेतावनी
पुलिस आत्महत्या के कारणों की जांच में जुटी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने घरेलू कारण की आशंका जताई
सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश: 2 साल में टीईटी पास न करने वाले शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) की अनिवार्यता ने एक शिक्षक की जान ले ली। कबरई ब्लॉक के प्रेमनगर के उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक मनोज कुमार साहू (49 वर्ष) ने मानसिक तनाव के चलते अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना प्रदेश के तमाम शिक्षकों के लिए गहरी चिंता का कारण बनी है।
घटना की विस्तृत जानकारी
मनोज कुमार को वर्ष 1992-93 में मृतक आश्रित कोटे से नौकरी मिली थी। उस समय इंटर पास और विशेष प्रशिक्षण के आधार पर शिक्षक पद पर नियुक्ति संभव थी। मौजूदा समय में प्रदेश में टीईटी अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे मनोज लगातार चिंता से ग्रस्त थे। उनके परिजनों और साथियों के अनुसार, वह पिछले कुछ दिनों से यही पूछते थे कि इस उम्र में टीईटी परीक्षा कैसे पास होगी।
घटना के दिन वह सुबह घर के ऊपर वाले कमरे में चले गए और काफी देर तक वापस नहीं लौटे। परिजन जब ऊपर गए तो उन्हें फंदे से लटका पाया। शिक्षक संघ के पदाधिकारियों के मुताबिक, मनोज टीईटी अनिवार्यता के सवाल पर कई शिक्षकों से बात कर चुके थे।
टीईटी अनिवार्यता और कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने एक सितम्बर 2025 को आदेश दिया है कि कक्षा एक से आठ तक पढ़ा रहे सभी शिक्षक अगर 2 साल में टीईटी पास नहीं करते तो उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। प्रोन्नति के लिए भी टीईटी अनिवार्य होगा। केवल जिनकी नौकरी 5 साल या उससे कम बची है, उन्हें छूट मिलेगी।
2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों में इस फ़ैसले से जबरदस्त दहशत है और शिक्षकों का संगठन विरोध में उतर आया है।
शिक्षक संगठनों की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रमाकांत मिश्रा ने कहा– ‘शिक्षक टीईटी अनिवार्यता को लेकर दहशत में न आएं, संगठन उनके साथ है और सरकार से आर-पार की लड़ाई की रणनीति बनाई जा चुकी है।‘ किसी भी शिक्षक के हितों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी।
शिक्षक साथी और परिजन दिवंगत मनोज की व्यथा से दुखित हैं और सरकार से संवेदनशील निर्णय लेने की मांग कर रहे हैं।
सरकारी पक्ष और पुलिस जांच
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल मिश्रा ने कहा कि
“टीईटी परीक्षा के नियम संबंधी शासनादेश अभी नहीं आया है। कुछ लोग मामले में टीईटी को बीच में ला रहे हैं, जबकि कारण कुछ और भी हो सकते हैं। पुलिस घटना की पूरी जांच कर रही है।”
यह घटना प्रदेश और देश के शिक्षकों के लिए चेतावनी है कि प्रशासनिक बदलावों एवं प्रबंधन के कारण शिक्षकों की मनोदशा पर गहरा असर पड़ सकता है। सरकार को जनहित, शिक्षकहित और शिक्षा की गुणवत्ता के संतुलन को ध्यान रखते हुए संवेदनशील कदम उठाने चाहिए। साथ ही, सभी शिक्षक साथियों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना और आपस में संवाद बनाए रखना चाहिए।



