शिक्षक संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्ति के करीब, छह जिलों में चुनाव बाकी
देहरादून। उत्तराखंड में राजकीय शिक्षक संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी का कार्यकाल 7 जुलाई 2025 को समाप्त हो रहा है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक प्रदेश के छह जनपदों में चुनाव नहीं हो पाए हैं, जिससे संघ के आगामी चुनावों को लेकर संशय बना हुआ है।
इन जिलों में नहीं हो सके हैं चुनाव
अब तक हरिद्वार, रुद्रप्रयाग, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत और बागेश्वर जनपदों में नई कार्यकारिणी का गठन हो चुका है। लेकिन ऊधम सिंह नगर, टिहरी, देहरादून, पौड़ी, चमोली और उत्तरकाशी जैसे महत्वपूर्ण जिलों में चुनाव अभी लंबित हैं।
शिक्षक संघ की परंपरागत प्रक्रिया के अनुसार, पहले सभी जनपदों में जनपदीय कार्यकारिणी का गठन होता है। इसके पश्चात गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडल के चुनाव कराए जाते हैं। अंतिम चरण में प्रांतीय कार्यकारिणी का गठन होता है।
नेताओं में सक्रियता, लेकिन सवाल भी
हालांकि कई शिक्षक नेता आगामी चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन प्रांतीय स्तर पर चुनाव की घोषणा न होने से संगठन के अंदर ही सवाल उठने लगे हैं। कुछ शिक्षकों का मानना है कि कार्यकाल समाप्त होने के निकट होते हुए भी निर्वाचन प्रक्रिया का पूरा न होना संघ की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
क्या कहते हैं प्रान्तीय महामंत्री
राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री रमेश चंद्र पैन्यूली ने बताया कि चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए मई माह में पत्राचार किया जा चुका है। उन्होंने विश्वास जताया कि सितंबर के अंतिम सप्ताह तक प्रांतीय कार्यकारिणी के चुनाव संपन्न करा लिए जाएंगे।
राजकीय शिक्षक संघ प्रदेश में शिक्षकों की सबसे प्रभावशाली प्रतिनिधि संस्था है। कार्यकारिणी का समय पर गठन संगठन की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों की दिशा में आवश्यक कदम है। ऐसे में चुनावों में हो रही देरी से न केवल संगठन की छवि प्रभावित हो रही है, बल्कि शिक्षकों के बीच असंतोष और असमंजस भी बढ़ता जा रहा है। अब देखना यह है कि सितंबर तक प्रांतीय चुनाव सम्पन्न हो पाते हैं या नहीं