स्कूलों में होगा बच्चों का आधार बायोमेट्रिक अपडेट
हाइलाइट्स बॉक्स
देशभर में 7 करोड़ से अधिक बच्चों का बायोमेट्रिक अपडेट जल्दी शुरू
अगले 45-60 दिनों में स्कूलों से बच्चों के आधार बायोमेट्रिक्स अपडेट की सुविधा
5-7 वर्ष की उम्र में अनिवार्य बायोमेट्रिक अपडेट निःशुल्क
अगर 7 साल बाद तक अपडेट नहीं हुआ, तो आधार नंबर हो सकता है निष्क्रिय
डिजिटल प्रवेश, छात्रवृत्ति, सरकारी योजनाओं के लाभ उठाने में होगी आसानी
जिला स्तर पर स्कूलों में भेजी जाएंगी बायोमेट्रिक मशीनें
माता-पिता की सहमति से ही बच्चों का डेटा लिया जाएगा
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) बच्चों का आधार बायोमेट्रिक अपडेट अभियान देशभर में स्कूलों के माध्यम से शुरू करने जा रहा है। यह महत्वपूर्ण कदम बच्चों की डिजिटल पहचान को मजबूत करने और सरकारी एवं शैक्षिक सेवाओं का लाभ सहज रूप से दिलाने के लिए उठाया गया है। इस योजना से उन करोड़ों बच्चों को विशेष फायदा मिलेगा, जिनका बायोमेट्रिक डेटा अब तक अपडेट नहीं हुआ है।
क्यों जरूरी है बायोमेट्रिक अपडेट?
आधार पर निर्भर सेवाओं में परेशानी से बचाव: पांच वर्ष की उम्र के बाद बच्चों के आधार में फिंगरप्रिंट और आंखों की स्कैन अनिवार्य रूप से अपडेट करनी होती है, ताकि आगे किसी भी सरकारी सेवा का लाभ लेने में दिक्कत न हो।
डुप्लीकेट और गलत पहचान से सुरक्षा: अपडेटेड बायोमेट्रिक्स आधार की विश्वसनीयता और सटीकता सुनिश्चित करता है, जिससे बच्चों की असली पहचान बनी रहती है।
समय पर न कराने पर परिणाम: यदि 7 वर्ष की उम्र तक भी अपडेट नहीं होता है, तो UIDAI के नियमों के अनुसार आधार नंबर निष्क्रिय हो सकता है।
स्कूलों से होगा बायोमेट्रिक डेटा अपडेट: प्रक्रिया
परियोजना की शुरुआत: अगले 45-60 दिनों में यह अभियान चरणबद्ध ढंग से शुरू हो जाएगा।
मशीनों की तैनाती: UIDAI हर जिले में बायोमेट्रिक मशीनें भेजेगा और इन्हें विभिन्न स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा।
माता-पिता की सहमति: बच्चों के बायोमेट्रिक डेटा लेने से पहले अभिभावकों से लिखित सहमति ली जाएगी।
फ्री सर्विस: 5-7 साल की उम्र के बीच बायोमेट्रिक अपडेट निःशुल्क है, जबकि उसके बाद ₹100 का शुल्क लगता है।
बच्चों को क्या होगा लाभ?
आसान प्रवेश प्रक्रिया: स्कूल में दाखिला या प्रवेश परीक्षा के लिए फॉर्म भरने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
छात्रवृत्ति और सरकारी योजनाएं: स्कॉलरशिप, डीबीटी एवं अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ सरलता से मिलेंगे।
डिजिटल इंडिया की दिशा में बड़ा कदम: बच्चों की डिजिटल पहचान मजबूत होने से पूरे परिवार को विभिन्न योजनाओं और सुविधाओं का लाभ सुगमता से मिलेगा।
तकनीकी और सामाजिक पक्ष
तकनीक का परीक्षण: फिलहाल संबंधित तकनीकी व्यवस्थाओं का परीक्षण चल रहा है। UIDAI ने भरोसा जताया है कि तय समय में यह तकनीक सभी स्कूलों में उपलब्ध होगी।
स्थानीय सहभागिता: शिक्षक, अभिभावक और बच्चों की सहभागिता से योजना को पारदर्शी और सुरक्षित बनाया जाएगा।
भविष्य की सुविधा: 5 साल के बाद पहली बार और फिर 15 साल की उम्र में भी एक बार बायोमेट्रिक अपडेट जरूरी है, जिससे बढ़ते बच्चों की पहचान अद्यतित और सटीक बनी रहे।
स्कूलों के माध्यम से बच्चों का आधार बायोमेट्रिक अपडेट कराना एक शानदार पहल है, जो डिजिटल शासन, पारदर्शिता और बच्चों के अधिकारों की दिशा में एतिहासिक कदम माना जाएगा। उचित समय पर बायोमेट्रिक अपडेट करना न सिर्फ जरूरी, बल्कि बच्चों के समग्र विकास, शिक्षा और सरकारी लाभों की निरंतरता के लिए अनिवार्य है। अभिभावकों को चाहिए कि वे इस अभियान में उत्साहपूर्वक भाग लें और भविष्य की संभावनाओं को सशक्त बनाएं।