स्कूलों में सप्ताह में एक बार होगी स्थानीय बोली-भाषा में भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं
उत्तराखंड में स्थानीय बोलियों और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय
देहरादून, 10 जून 2025: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड भाषा संस्थान की सचिवालय में आयोजित साधारण सभा एवं प्रबंध कार्यकारिणी समिति की बैठक में स्थानीय बोलियों, लोक कथाओं, लोकगीतों और साहित्य के संरक्षण और प्रचार के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं।
स्कूलों में स्थानीय बोली में प्रतियोगिताएं
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि स्कूलों में सप्ताह में एक बार स्थानीय बोली-भाषा में भाषण और निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इसके साथ ही, उत्तराखंड साहित्य भूषण पुरस्कार की राशि को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख 51 हजार रुपये करने का निर्णय लिया गया। दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान भी शुरू किया जाएगा, जिसकी राशि 5 लाख रुपये होगी।
साहित्य और बोलियों का डिजिटल संरक्षण
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि उत्तराखंड की बोलियों, लोक कथाओं, लोकगीतों और साहित्य को डिजिटल स्वरूप में संरक्षित किया जाए। इसके लिए एक ई-लाइब्रेरी स्थापित की जाएगी। लोक कथाओं पर आधारित संकलनों को बढ़ाने और इनके ऑडियो-विजुअल निर्माण पर जोर दिया जाएगा। साथ ही, उत्तराखंड की बोलियों का एक भाषाई मानचित्र तैयार किया जाएगा।
बुके के बदले बुक को बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि भेंट के रूप में बुके के बजाय बुक देने की परंपरा को बढ़ावा दिया जाए। इसके अलावा, राजभाषा हिन्दी के प्रति युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए 18-24 और 25-35 आयु वर्ग के लिए युवा कलमकार प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
सचल पुस्तकालय और प्रकाशकों का सहयोग
राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक साहित्य पहुंचाने के लिए सचल पुस्तकालयों की व्यवस्था की जाएगी। विभिन्न विषयों पर पुस्तकें और साहित्य उपलब्ध कराने के लिए बड़े प्रकाशकों का सहयोग लिया जाएगा। बच्चों में स्थानीय बोलियों के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे वीडियो तैयार किए जाएंगे।
पंडवाणी गायन ‘बाकणा’ का अभिलेखीकरण
बैठक में निर्णय लिया गया कि जौनसार बावर क्षेत्र में प्रचलित पौराणिक पंडवाणी गायन ‘बाकणा’ को संरक्षित करने के लिए इसका अभिलेखीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही, प्रख्यात नाटककार गोविन्द बल्लभ पंत के समग्र साहित्य का संकलन, 50-100 वर्ष पुराने उत्तराखंड के साहित्यकारों के प्रकाशनों का संकलन, और उच्च हिमालयी व जनजातीय भाषाओं के संरक्षण के लिए शोध परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।
दो साहित्य ग्रामों की स्थापना
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि प्रकृति के बीच साहित्य सृजन, गोष्ठियों और चर्चा-परिचर्चा के लिए राज्य में दो साहित्य ग्राम स्थापित किए जाएंगे। साथ ही, उत्तराखंड भाषा और साहित्य का एक भव्य महोत्सव आयोजित किया जाएगा, जिसमें देशभर के साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाएगा।
बैठक में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
बैठक में भाषा मंत्री सुबोध उनियाल, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव वी.षणमुगम, श्रीधर बाबू अदांकी, निदेशक भाषा स्वाति भदौरिया, अपर सचिव मनुज गोयल, दून विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, और संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
इन निर्णयों से उत्तराखंड की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को संरक्षित करने और नई पीढ़ी में इसके प्रति रुचि जगाने में महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है।