भारत में रॉटविलर और पिटबुल जैसी खतरनाक कुत्तों की नस्लों पर प्रतिबंध, जानिए क्या हैं नियम और जोखिम
भारत सरकार ने हाल ही में रॉटविलर (Rottweiler) और पिटबुल (Pitbull) जैसी खूंखार और आक्रामक विदेशी कुत्तों की नस्लों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि इन प्रजातियों से मानव जीवन और अन्य जानवरों की सुरक्षा को खतरा रहता है। यूरोप और अमेरिका में पहले से ही इन नस्लों को पालने पर कई स्थानों पर रोक है। भारत में अब इन कुत्तों की पालना, बिक्री, प्रजनन और आयात सब पर पूर्ण रोक लगा दी गई है।
रॉटविलर और पिटबुल – क्यों मानी जाती हैं ये नस्लें खतरनाक?
रॉटविलर:
- यह नस्ल मूलतः जर्मनी की है।
- रॉटविलर के पास अत्यंत शक्तिशाली जबड़े होते हैं, जिससे उनका काटना जानलेवा साबित हो सकता है।
- इनका आक्रामक व्यवहार इन्हें असुरक्षित बनाता है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, ये कुत्ते सालभर आक्रामक रहते हैं और कई बार मालिकों पर भी हमला कर देते हैं।
“रॉटविलर प्रजाति के कुत्ते आनुवंशिक रूप से जंगली होते हैं, और आक्रामक होने पर पालक को ही नुकसान पहुँचा सकते हैं।”
—वरिष्ठ पशु रोग विशेषज्ञ
पिटबुल:
- पिटबुल कुत्तों की उत्पत्ति अमेरिका और ब्रिटेन में हुई थी।
- इन्हें मूल रूप से फाइटिंग डॉग के रूप में पाला गया था।
- यह नस्ल बहुत तेज़, फुर्तीली और सहनशील होती है।
- कई देशों में इन पर घातक हमलों के बाद प्रतिबंध लगा दिया गया।
भारत सरकार का नया आदेश – क्या-क्या है प्रतिबंधित?
भारत सरकार द्वारा पारित दिशा-निर्देशों के अनुसार:
- रॉटविलर और पिटबुल की सभी शुद्ध नस्लें प्रतिबंधित हैं।
- इनकी क्रॉसब्रीड और मिक्स्ड ब्रीड को भी पालना या बेचना अवैध होगा।
- पालतू जानवरों की दुकानों और ब्रीडरों को इन नस्लों की बिक्री करने से मना किया गया है।
- आयात पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
“भारत में रॉटविलर और पिटबुल जैसी 23 नस्लों पर रोक है। ये नियम सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होंगे।”
— केंद्र सरकार का निर्देश
देहरादून नगर निगम की सक्रियता
राजधानी देहरादून में इस प्रतिबंध के पालन को सुनिश्चित करने के लिए नगर निगम ने जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है।
“पालतू कुत्तों का पंजीकरण अनिवार्य है। सभी मालिकों को नगर निगम से लाइसेंस लेना होगा।”
— नमामी बंसल, नगर आयुक्त
- उपनगर आयुक्त संतोष कुमार पांडे को जिम्मेदारी दी गई है कि वे यह जांच करें कि नगर क्षेत्र में रॉटविलर या पिटबुल बिना पंजीकरण के न पाले जाएं।
23 प्रतिबंधित नस्लें – केवल रॉटविलर और पिटबुल ही नहीं
भारत सरकार ने केवल रॉटविलर और पिटबुल ही नहीं, बल्कि 23 विदेशी कुत्तों की नस्लों पर प्रतिबंध लगाया है। इनमें शामिल हैं:
- पिटबुल टेरियर
- टोसा इनु
- अमेरिकन स्टैफोर्डशायर टेरियर
- फिला ब्रासीलेरो
- डोगो अर्जेंटीनो
- अमेरिकन बुलडॉग
- बोअरबोएल
- कांगल
- मध्य एशियाई शेफर्ड डॉग
- कोकेशियन शेफर्ड डॉग
- दक्षिण रूसी शेफर्ड डॉग
- टॉरनेजैक
- सरप्लानिनैक
- जापानी टोसा
- अकिता
- मास्टिफ
- टेरियर
- रोडेशियन रिजबैक
- वुल्फ डॉग
- कैनारियो
- मॉस्को गार्ड डॉग
- केन कोर्सो
- बैंडोग
खतरनाक नस्लों के विरुद्ध कार्रवाई क्यों ज़रूरी है?
पिछले वर्षों में बढ़े हैं हमले के मामले:
- देश के कई हिस्सों में पालतू कुत्तों द्वारा बच्चों और बुजुर्गों पर हमले के केस सामने आए।
- पिटबुल और रॉटविलर से जुड़े कई मामलों में गंभीर चोटें और मौतें तक हुई हैं।
- सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोज़ ने जनता की चिंता और प्रशासन की सतर्कता बढ़ा दी।
पशुपालकों के लिए आवश्यक निर्देश
- यदि आपके पास रॉटविलर या पिटबुल है, तो:
- तुरंत नगर निगम में पंजीकरण करवाएं।
- इन्हें सार्वजनिक स्थानों पर बिना मुँहपट्टी (muzzle) के न घुमाएं।
- इनका प्रजनन कराना पूरी तरह से अवैध है।
- नई खरीददारी पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
क्या है पशु प्रेमियों की प्रतिक्रिया?
कुछ पशुप्रेमियों का मानना है कि समस्या प्रशिक्षण की कमी और गैर-जिम्मेदार मालिकों से उत्पन्न होती है, न कि नस्लों से। वहीं दूसरी ओर, कई लोग इसे सुरक्षा के लिए जरूरी कदम बता रहे हैं।
वैकल्पिक नस्लें – क्या पालें?
यदि आप सुरक्षा और वफादारी के लिए कुत्ता पालना चाहते हैं, तो कुछ कम आक्रामक लेकिन भरोसेमंद भारतीय नस्लें हैं:
- राजापालयम
- कन्नी
- हिमालयन शीपडॉग
- भारतीय पैरियाह डॉग
- गड्डी कुत्ता (हिमालय क्षेत्रीय)