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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में ऐतिहासिक उपलब्धि – देश की सबसे लंबी रेल सुरंग बनी, बना विश्व रिकॉर्ड

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में ऐतिहासिक उपलब्धि – देश की सबसे लंबी रेल सुरंग बनी, बना विश्व रिकॉर्ड

भारतीय रेलवे और उत्तराखंड के विकास के लिए 2 जुलाई 2025 का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के तहत देवप्रयाग से जनासू के बीच 14.58 किलोमीटर लंबी दोहरी रेल सुरंग का निर्माण पूरा हुआ। यह अब तक की देश की सबसे लंबी परिवहन रेल सुरंग बन गई है, जो उत्तराखंड की चारधाम रेल संपर्क योजना में मील का पत्थर है। इस सफलता को और भी उल्लेखनीय बनाता है लार्सन एंड टूब्रो (L&T) द्वारा टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) तकनीक से बनाया गया नया विश्व रिकॉर्ड


क्या है ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना?

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों को रेल नेटवर्क से जोड़ने के उद्देश्य से बनी यह परियोजना 125 किलोमीटर लंबी है, जो ऋषिकेश से लेकर कर्णप्रयाग तक फैली है। यह परियोजना राज्य के आर्थिक, धार्मिक और पर्यटन विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  • परियोजना लम्बाई: 125 किमी
  • राज्य: उत्तराखंड
  • लाभार्थी क्षेत्र: ऋषिकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग
  • निर्माण एजेंसी: लार्सन एंड टूब्रो (L&T)
  • लक्ष्य तिथि: दिसंबर 2026

सुरंग निर्माण में रिकॉर्ड – 14.58 किमी लंबी भारत की सबसे बड़ी रेल सुरंग

इस परियोजना में देवप्रयाग से जनासू के बीच बनी सुरंग की लंबाई 14.58 किलोमीटर है। यह दोहरी सुरंग है जिसमें एक अपलाइन (14.57 किमी) और एक डाउनलाइन (13.09 किमी) सुरंग शामिल है। दोनों सुरंगें आपस में 25 मीटर की दूरी पर समानांतर हैं।


TBM तकनीक से विश्व रिकॉर्ड – 31 दिन में 790 मीटर खुदाई

इस सुरंग निर्माण में ‘शिव’ और ‘शक्ति’ नामक दो टनल बोरिंग मशीनों (TBM) का उपयोग किया गया। इनमें से ‘शिव’ ने मात्र 31 दिनों में 790 मीटर खुदाई कर एक विश्व रिकॉर्ड कायम किया।

मुख्य तकनीकी तथ्य:

मशीनकार्यपरिणाम
शक्ति (TBM-1)अपलाइन सुरंग10.47 किमी खुदाई, 12 दिन पहले पूर्ण
शिव (TBM-2)डाउनलाइन सुरंग10.29 किमी खुदाई, 1 दिन पहले पूर्ण

इस रिकॉर्ड को L&T के निदेशक एस.वी. देसाई ने पीटीआई को साझा करते हुए कहा –

“यह टीबीएम तकनीक के इतिहास में एक मील का पत्थर है।”


सुरंग निर्माण का विभाजन – TBM और ब्लास्टिंग तकनीक का संयोजन

पूरी सुरंग निर्माण प्रक्रिया को दो प्रमुख तकनीकों में बांटा गया:

  • 70% (21 किमी): टनल बोरिंग मशीन (TBM) के माध्यम से
  • 30% (9 किमी): ड्रिल और ब्लास्ट तकनीक के माध्यम से

इस तकनीकी संयोजन ने निर्माण कार्य को तेज, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल बनाया।


उत्तराखंड में विकास की नई रेखा – चारधाम यात्रा को मिलेगा बड़ा लाभ

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल संपर्क परियोजना उत्तराखंड के चारधाम यात्रा मार्गों को आधुनिक रेल कनेक्टिविटी से जोड़ने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह परियोजना:

  • यात्रा समय में भारी कटौती करेगी
  • वाहन दुर्घटनाओं को कम करेगी
  • आपातकालीन राहत पहुंचाने में मददगार होगी
  • स्थानीय रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा देगी

2026 तक होगा चालू

परियोजना से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, पूरी लाइन को दिसंबर 2026 तक चालू करने का लक्ष्य है। निर्माण कार्य युद्धस्तर पर जारी है और सुरंगों के अलावा पुल, स्टेशन और रेल पटरी बिछाने का कार्य भी समानांतर रूप से हो रहा है।


परियोजना की प्रमुख विशेषताएं –

बिंदुविवरण
कुल लंबाई125 किमी
कुल सुरंगें17
सबसे लंबी सुरंग14.58 किमी (देवप्रयाग–जनासू)
निर्माण एजेंसीL&T
लक्ष्य पूर्णतादिसंबर 2026
TBM से निर्माण70%
विश्व रिकॉर्ड790 मीटर/31 दिन खुदाई (शिव)

पर्यावरणीय और संरचनात्मक चुनौतियां

इस परियोजना में पर्वतीय भूगोल, जलधारा संरक्षण, और भूस्खलन प्रबंधन जैसे जटिल मुद्दे शामिल हैं। L&T और रेलवे इंजीनियरों की टीम ने इन चुनौतियों का सफलता से समाधान कर आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए कार्य को समय पर पूरा किया।

 

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल संपर्क परियोजना न केवल एक बुनियादी ढांचा निर्माण है, बल्कि यह उत्तराखंड के लिए विकास, समावेशिता और नवाचार की नई रेल रेखा बन चुकी है। देश की सबसे लंबी सुरंग और सुरंग निर्माण में बना विश्व रिकॉर्ड इसे वैश्विक स्तर पर भी विशिष्ट बना देता है।

 

भारतीय रेलवे की आधिकारिक साइट पर जानकारी

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