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रेबीज: कैसे बचें– जानिए सम्पूर्ण जानकारी

रेबीज: कैसे बचें– जानिए सम्पूर्ण जानकारी

 

हाल ही में एक राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु ने पूरे देश को झकझोर दिया। एक छोटे से पिल्ले को बचाते समय उसकी उंगली में मामूली खरोंच आई थी। कुछ दिनों बाद लक्षण उभरे और अंततः यह केस क्लासिकल रेबीज के रूप में सामने आया। यह घटना न सिर्फ दुखद है, बल्कि हमें चेतावनी देती है कि एक मामूली खरोंच भी जानलेवा हो सकती है। आइए, रेबीज को पूरी तरह से समझें और जानें इससे कैसे बचा जा सकता है।


रेबीज क्या है?

रेबीज एक वायरल इन्फेक्शन जनित बीमारी है जो Lyssavirus नामक वायरस से होती है। यह वायरस संक्रमित जानवरों की लार में पाया जाता है और खरोंच या काटने के माध्यम से यह मानव शरीर में प्रवेश करता है।

रेबीज का संक्रमण कैसे फैलता है?

भारत में रेबीज के 95% केस कुत्ते के काटने से होते हैं। लेकिन यह बीमारी बिल्ली, चमगादड़, लोमड़ी, भेड़िया, गीदड़ जैसे अन्य जानवरों से भी फैल सकती है। संक्रमण का तरीका:

  • संक्रमित जानवर द्वारा काटे जाने से
  • खरोंच (जिसमें लार का संपर्क हो)
  • संक्रमित लार का घाव पर लगना

रेबीज का शरीर में प्रसार

रेबीज का वायरस शरीर में रक्त के माध्यम से नहीं, बल्कि तंत्रिकाओं के ज़रिये मस्तिष्क तक पहुँचता है। यही कारण है कि इसके लक्षण प्रकट होने में कुछ दिन या सप्ताह लगते हैं। लक्षणों की शुरुआत के बाद इसका कोई इलाज संभव नहीं होता।

लक्षण क्या हैं?

प्रारंभिक लक्षण:

  • बुखार, थकान
  • घाव वाली जगह पर जलन, खुजली, सनसनाहट

उग्र लक्षण (Furious Rabies):

  • पानी, हवा और रोशनी से डर
  • भ्रम, चिल्लाना
  • अत्यधिक लार का बनना

पक्षाघात (Paralytic Rabies):

  • मांसपेशियों की कमजोरी
  • लकवा
  • अंततः मृत्यु

इलाज क्यों संभव नहीं है?

लक्षण आने के बाद रेबीज का कोई इलाज नहीं होता। निदान केवल लक्षणों के आधार पर किया जाता है। यही कारण है कि इसका बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है।

रेबीज से बचाव कैसे करें?

  1. तुरंत घाव को धोना:
    • साबुन और पानी से 15–20 मिनट तक घाव को धोएं।
    • फिर povidone iodine जैसे एंटीसेप्टिक लगाएं।
    • घाव पर पट्टी न करें।
  2. टेटनस का टीका लगवाएं
  3. डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक लें
  4. PEP (Post Exposure Prophylaxis) वैक्सीन कोर्स शुरू करें

WHO की Exposure Categories

  • Category I: जानवर का सिर्फ छूना या चाटना (कोई घाव नहीं) – कोई इलाज नहीं ज़रूरी।
  • Category II: खरोंच, लेकिन खून नहीं – वैक्सीन जरूरी।
  • Category III: खून निकला, गहरा घाव – वैक्सीन + RIG (Rabies Immunoglobulin) जरूरी।

वैक्सीनेशन शेड्यूल

IM (मांसपेशी में):

  • Day 0 – 04.07.2025
  • Day 3 – 07.07.2025
  • Day 7 – 11.07.2025
  • Day 14 – 18.07.2025
  • Day 28 – 01.08.2025

ID (त्वचा में):

  • Day 0 – 04.07.2025
  • Day 3 – 07.07.2025
  • Day 7 – 11.07.2025
  • Day 28 – 01.08.2025

RIG की जानकारी

Category III घाव में RIG केवल एक बार – Day 0 पर – घाव के अंदर और आसपास लगाया जाता है। यदि उस दिन उपलब्ध नहीं हो, तो 7 दिन के अंदर लगवा लें। उसके बाद प्रभाव नहीं होता।

गलत धारणाएँ और सच्चाई

  • “अगर खून नहीं निकला तो कोई खतरा नहीं”गलत। लार से वायरस प्रवेश कर सकता है।
  • “पालतू कुत्ता है, कुछ नहीं होगा”गलत। पालतू जानवर भी संक्रमित हो सकते हैं।
  • “झाड़-फूंक से ठीक हो जाएगा”गलत। लक्षण आने के बाद कोई इलाज नहीं।
  • “वैक्सीन से कमजोरी या साइड इफेक्ट होता है”गलत। यह पूरी तरह सुरक्षित है।

पालतू जानवर के काटने पर क्या करें?

अगर काटने वाला जानवर:

  • वैक्सीनेटेड है
  • स्वस्थ है
  • और 10 दिन तक जीवित रहता है

तो WHO गाइडलाइन्स के अनुसार PEP की जरूरत नहीं होती। लेकिन वैक्सीन कोर्स तुरंत शुरू कर दें और 10वें दिन यदि जानवर स्वस्थ है तो 14वें या 28वें दिन की डोज रोकी जा सकती है।

भारत में स्थिति

  • हर साल लगभग 1.7 करोड़ लोग जानवरों द्वारा काटे जाते हैं।
  • 18,000 से 20,000 लोग रेबीज से मरते हैं।
  • यह सभी मौतें रोकी जा सकती हैं।
  • भारत सरकार ने 2030 तक रेबीज मुक्त भारत का लक्ष्य रखा है।

रेबीज 100% जानलेवा रोग है लेकिन इससे बचाव भी 100% संभव है – बस सही जानकारी, सजगता और समय पर इलाज से। किसी भी खरोंच, काटने या लार के संपर्क को हल्के में न लें। जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।

महत्वपूर्ण सुझाव

  • किसी भी काटने या खरोंच के बाद 15–20 मिनट तक साबुन से धोना न भूलें।
  • तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
  • पूरा वैक्सीन कोर्स लें।
  • अफवाहों से दूर रहें।

 

राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम – स्वास्थ्य मंत्रालय

 

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