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अब प्रधानाचार्य कर सकेंगे शिक्षकों के 15 दिन तक के चिकित्सा अवकाश को स्वीकृत

अब प्रधानाचार्य कर सकेंगे शिक्षकों के 15 दिन तक के चिकित्सा अवकाश को स्वीकृत

हाइलाइट्स

  • प्रधानाचार्य को मिला 15 दिन तक के चिकित्सा अवकाश की मंजूरी का अधिकार

  • अब छुट्टी के लिए खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) कार्यालय नहीं जाना पड़ेगा

  • शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने प्रस्ताव को दी स्वीकृति

  • 15 दिन से अधिक छुट्टी के लिए पूर्ववत प्रक्रिया रहेगी लागू

  • चिकित्सा अवकाश की मंजूरी में अब देरी नहीं होगी, वेतन अटकने की समस्या होगी खत्म

  • विभाग जल्द जारी करेगा औपचारिक आदेश

उत्तराखंड की स्कूल प्रणाली में कार्यरत शिक्षकों को अब छोटे चिकित्सा अवकाश के लिए खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। राज्य सरकार ने एक बड़ा व व्यवहारिक निर्णय लेते हुए प्रधानाचार्यों को 15 दिनों तक के चिकित्सा अवकाश की मंजूरी देने का अधिकार प्रदान किया है। इससे न केवल प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि शिक्षकों के वेतन भुगतान में आ रही बाधाएँ भी दूर होंगी।

अब तक क्या थी प्रक्रिया?

अब तक शिक्षकों के अवकाश, विशेषकर चिकित्सा अवकाश (Medical Leave), को खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) के कार्यालय से ही स्वीकृत कराया जाता था। इसके लिए शिक्षकों को:

  • चिकित्सा प्रमाण पत्र (Medical Certificate) तैयार करना पड़ता था

  • बीईओ कार्यालय जाकर व्यक्तिगत रूप से आवेदन देना पड़ता था

  • अक्सर देर से मंजूरी मिलने के कारण शिक्षक की वेतन प्रक्रिया भी बाधित हो जाती थी

इस व्यवस्था की वजह से खासकर ग्रामीण व दूरस्थ स्कूलों में तैनात शिक्षकों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता था।

नए निर्णय के लाभ

✅ प्रक्रिया में सरलता

अब प्रधानाचार्य स्कूल स्तर पर ही शिक्षकों का 15 दिन तक का चिकित्सा अवकाश मंजूर कर सकेंगे।

✅ समय और श्रम की बचत

शिक्षकों को आवेदन के लिए बीईओ कार्यालय तक जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

✅ वेतन भुगतान में लगेगी रफ्तार

अवकाश मंजूरी में देरी न होने से वेतन समय पर जारी किया जा सकेगा।

✅ स्थानीय प्रशासन की सशक्तता

प्रधानाचार्यों को अधिक प्रशासनिक अधिकार मिलने से स्कूल स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी।

15 दिन से अधिक पर क्या व्यवस्था रहेगी?

डॉ. मुकुल कुमार सती, निदेशक माध्यमिक शिक्षा, के अनुसार:

“प्रधानाचार्य केवल 15 दिन तक का चिकित्सा अवकाश मंजूर कर सकेंगे। उससे अधिक के अवकाश के लिए प्रक्रिया पूर्ववत बीईओ कार्यालय से ही पूरी करनी होगी।”

इसका अर्थ यह है कि यदि कोई शिक्षक 16 दिन या उससे अधिक के अवकाश के लिए आवेदन करता है, तो उसका अंतिम निर्णय खंड शिक्षा अधिकारी ही लेंगे।

चिकित्सा अवकाश पर स्पष्ट दिशा-निर्देश ― जल्द जारी होगी अधिसूचना

शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया है कि इस निर्णय से संबंधित आधिकारिक आदेश बहुत जल्द सभी जिलों, विकासखंडों और विद्यालयों को भेजे जाएंगे। पत्र में यह भी स्पष्ट किया जाएगा:

  • कि किस प्रकार का चिकित्सा प्रमाण पत्र मान्य होगा

  • अवकाश आवेदन की प्रक्रिया क्या होगी (ऑनलाइन/ऑफलाइन)

  • रिकॉर्ड कैसे संधारित किया जाएगा

  • प्रधानाचार्य द्वारा की गई मंजूरी का लेखा-जोखा कहाँ दर्ज होगा

विद्यालय स्तर पर प्रशासनिक भूमिका का विस्तार

इस पहल से यह संकेत मिलता है कि राज्य सरकार विद्यालय के प्रशासनिक ढांचे को सशक्त बना रही है। पहले जहां प्रधानाचार्य केवल सीमित मामलों में अनुमति दे सकते थे, अब उन्हें मानव संसाधन प्रबंधन में भी अधिकार मिल रहा है। इससे विद्यालयों की स्वायत्तता भी बढ़ेगी।

शिक्षक संगठनों ने किया स्वागत

राज्य शिक्षक परिषदशिक्षक महासंघ जैसे विभिन्न संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनके अनुसार:

“यह शिक्षकों की वर्षों पुरानी मांग थी, जिसे सरकार ने समझदारी से पूरा किया है। इससे व्यवस्था सुगम और शिक्षक हितों की रक्षा होगी।”

उत्तराखंड सरकार का यह कदम शिक्षकों के प्रशासनिक अनुभव को ध्यान में रखकर लिया गया एक मौलिक और उपयोगी निर्णय है। अब केन्द्रों पर भीड़, अवकाश मंजूरी में देरी और वेतन न मिलने जैसे मुद्दों से शिक्षकों को राहत मिलेगी। यह न केवल शिक्षकों की सुविधा बढ़ाएगा, बल्कि विद्यालय संचालन की दक्षता में सुधार भी लाएगा।

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