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पीएम मोदी की साइप्रस यात्रा का तुर्किए से क्या है कनेक्शन?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस पहुंचे, G7 समिट से पहले रणनीतिक और सांस्कृतिक रिश्तों को गहराने की तैयारी


🌍 विदेश नीति में नया अध्याय: मोदी का साइप्रस दौरा

15 जून 2025
स्थान: निकोसिया / नई दिल्ली


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को साइप्रस की राजधानी निकोसिया पहुंचे। यह दौरा उनकी G7 शिखर सम्मेलन में भागीदारी से ठीक पहले हो रहा है। मोदी की इस यात्रा का उद्देश्य भारत और साइप्रस के बीच रणनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्तों को मजबूत करना है।

यह दौरा न केवल राजनयिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की यूरोपीय नीति के विस्तार की दिशा में एक अहम कदम भी माना जा रहा है।


🇮🇳🇨🇾 भारत-साइप्रस संबंधों में नई ऊर्जा

भारत और साइप्रस के रिश्ते दशकों पुराने हैं। साइप्रस, भारत की अग्नि-शांति, संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समर्थन देने वाला एक प्रमुख यूरोपीय साझेदार रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब दोनों देशों के बीच डिजिटल तकनीक, रक्षा, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को लेकर नई संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय वार्ता संभावित है, जिसमें व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।


⚠️ तुर्की से संबंधों की पृष्ठभूमि में रणनीतिक संकेत

प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा का एक राजनयिक संदेश तुर्की को भी माना जा रहा है। तुर्की ने हाल के वर्षों में कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी रुख अपनाया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान का समर्थन किया है। इसके विपरीत, साइप्रस और तुर्की के बीच लंबे समय से भू-राजनैतिक तनाव रहा है, खासकर उत्तर साइप्रस पर तुर्की के कब्ज़े को लेकर। ऐसे में भारत द्वारा साइप्रस के साथ संबंधों को मजबूत करना एक प्रकार से यह दर्शाता है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए संतुलित लेकिन स्पष्ट कूटनीतिक संकेत देने से पीछे नहीं हटता। यह यात्रा एक तरफ़ जहां भारत-साइप्रस सहयोग को बढ़ावा देती है, वहीं यह तुर्की को यह भी दर्शाती है कि भारत वैश्विक मंचों पर एकपक्षीय समर्थन को नज़रअंदाज़ नहीं करता।


🎯 G7 सम्मेलन से पहले राजनयिक संतुलन

मोदी का यह दौरा G7 शिखर सम्मेलन में भागीदारी से पहले हो रहा है, जो 16 जून से इटली में आयोजित होना है।

भारत, भले ही G7 समूह का सदस्य न हो, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस समूह की बैठकों में विशेष आमंत्रित देश के रूप में भाग लेता रहा है। साइप्रस में मोदी की मौजूदगी को एक रणनीतिक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है – यूरोप में भारत की सक्रियता को प्रदर्शित करने वाला कदम


🌐 वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका

प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्राएं भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में मानी जाती हैं। साइप्रस जैसे छोटे मगर रणनीतिक महत्व रखने वाले देशों के साथ रिश्ते मजबूत करना भारत की बहुपक्षीय कूटनीति (multi-alignment policy) की पुष्टि करता है।

मोदी का यह दौरा यह संकेत भी देता है कि भारत सिर्फ बड़ी ताकतों के साथ नहीं, बल्कि क्षेत्रीय और छोटे देशों के साथ भी संतुलित कूटनीतिक साझेदारी चाहता है।


📌 सांस्कृतिक और प्रवासी भारतीय समुदाय से संवाद

सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी साइप्रस में रहने वाले प्रवासी भारतीयों से भी मुलाकात कर सकते हैं। साइप्रस में एक छोटा लेकिन सक्रिय भारतीय समुदाय है, जो शिक्षा, चिकित्सा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में योगदान दे रहा है।

इससे न केवल प्रवासी भारतीयों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि जन कूटनीति (People-to-People Diplomacy) को भी बल मिलेगा।


प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा भारत की सक्रिय और संतुलित विदेश नीति का प्रतीक है। यह दौरा न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करेगा, बल्कि भारत की यूरोप नीति को भी नया आयाम देगा।

G7 सम्मेलन से पहले साइप्रस की जमीन पर भारत की मौजूदगी यह दर्शाती है कि भारत सभी मोर्चों पर संतुलन बैठाने वाली विश्वशक्ति बनने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।

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