पौड़ी जिला पंचायत में भ्रष्टाचार
: दो कनिष्ठ अभियंता बर्खास्त
मुख्य बिंदु (हाइलाइट्स)
शासन के निर्देश पर जांच के बाद पौड़ी जिला पंचायत के दो कनिष्ठ अभियंताओं को सेवा से हटाया गया
मैसर्स बुटोला इंटरप्राइजेज नामक फर्म को अवैध रूप से करोड़ों का भुगतान, जिसमें अभियंताओं की पत्नियों की 25-25% हिस्सेदारी थी
दोनों अभियंताओं ने फर्म से संबंध और पद का दुरुपयोग कर नियमों की अनदेखी की
नियमों के अनुसार कर्मचारी और उनके स्वजन जिला पंचायत कार्यों की नीलामी-ठेकेदारी में भाग नहीं ले सकते
आरटीआई और स्थायी जनता के दबाव पर खुली पोल, वित्तीय अनियमितता की जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई
पौड़ी जिला पंचायत में लंबे समय से भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आती रही हैं। हाल ही में शासन के निर्देश पर व्यापक जांच हुई, जिसमें मिलीभगत कर ठेके व भुगतान संबंधी मामलों में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुईं। जांच में दो कनिष्ठ अभियंताओं की पत्नियों की हिस्सेदारी वाले ठेकेदार फर्म को करोड़ों की रकम त्रुटिपूर्ण रूप से आवंटित किए जाने की पुष्टि हुई।
जांच में क्या हुआ खुलासा?
फर्म से रिश्ते और आर्थिक लाभ
फर्म का नाम: मैसर्स बुटोला इंटरप्राइजेज
भुगतान की राशि: ₹1,47,94,346 (एक करोड़ सैंतालीस लाख चौपन हजार तीन सौ छियालिस रुपये)
हिस्सेदारी: अभियंता आलोक रावत और सुदर्शन सिंह रावत की पत्नियों की 25-25% हिस्सेदारी
सूचना का छुपाया जाना: दोनों अभियंताओं ने जिला पंचायत को इस रिश्ते की जानकारी नहीं दी
नियमों का उल्लंघन
सेवा नियमावली का स्पष्ट उल्लंघन: जिला पंचायत सेवा नियमावली के अनुसार, कर्मचारी, अधिकारी और उनके परिवारवाले नीलामी/ठेकेदारी में भाग नहीं ले सकते
मानचित्र स्वीकृति में अनियमितता: सुदर्शन रावत ने प्रभारी अभियंता रहते स्वयं भवन व होटल के मानचित्र स्वीकृत किए—यह अधिकार एएमए (अपर मुख्य अधिकारी) का था
परिवार के अन्य सदस्यों को लाभ: आलोक रावत के भाई ने भी ठेके प्राप्त किए
आरटीआई और जन-सक्रियता का असर
आरटीआई का अहम किरदार: पौड़ी के करन रावत द्वारा दायर आरटीआई के माध्यम से वित्तीय लेनदेन व हिस्सेदारी का खुलासा हुआ
सामाजिक दबाव: सदन में सदस्यों ने लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, सड़क से सदन तक विरोध-धरना चला
जन आक्रोश: स्थानीय निवासियों ने मैसर्स बुटोला इंटरप्राइजेज को ब्लैक लिस्ट करने और गलत भुगतान की वसूली की मांग की
विगत में भी उजागर हुई अनियमितताएं
2022 की जांच: सीडीओ की अध्यक्षता वाली समिति ने ₹1.61 करोड़ की वित्तीय अनियमितता उजागर की थी
सोलर लाइट, गेस्ट हाउस, भवन निर्माण समेत अनेक कार्यों में गड़बड़ी
विजिलेंस जांच: अभियंताओं के परिवार खातों में संदिग्ध लेन-देन
प्रशासनिक कार्रवाई का संक्षिप्त विवरण
अभियंता का नाम | पद | कार्रवाई | आरोप/कारण |
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आलोक रावत | कनिष्ठ अभियंता (तदर्थ) | सेवा समाप्त (बर्खास्त) | पद का दुरुपयोग, पत्नी की हिस्सेदारी वाली फर्म को ठेका |
सुदर्शन सिंह रावत | कनिष्ठ अभियंता (तदर्थ) | पूर्व में निलंबित, अब सेवा समाप्त | नियम विरुद्ध फर्म को सरकारी काम, स्वीकृति में नियमों का उलंघन |
कानूनी और नियमगत संदर्भ
सेवा नियमावली: बंगाल जिला पंचायत सेवा नियमावली व उत्तर प्रदेश जिला पंचायत सेवा नियमावली में स्पष्ट प्रावधान है कि जिला पंचायत कर्मचारी, अधिकारी, स्वजन या रिश्तेदार कोई भी ठेकेदारी या नीलामी प्रक्रिया में सीधे-परोक्ष रूप से भाग नहीं ले सकते
- शासनादेश 1993: इस प्रावधान का भी उल्लंघन, जिसमें स्पष्ट तौर पर पारिवारिक सदस्यों को लाभ पहुंचाने से प्रतिबंधित किया गया है।
कार्यवाही की मांग
फर्म की ब्लैक लिस्टिंग: स्थानीय जनप्रतिनिधि व पंचायत सदस्य मैसर्स बुटोला इंटरप्राइजेज को ब्लैक लिस्ट करने की मांग कर रहे हैं
गलत लाभ की वसूली: अवैध रूप से लिए गए सरकारी धन की वसूली
सघन जांच और पारदर्शिता: भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए निगरानी और पारदर्शी तंत्र की आवश्यकता
पौड़ी जिला पंचायत में हुए भ्रष्टाचार के इस बड़े खुलासे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासनिक पदों पर बैठे व्यक्तियों का पद का दुरुपयोग न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज की विश्वसनीयता व विकासशील योजनाओं को भी सीधा नुकसान पहुंचाता है। शासन ने सख्त रवैया दिखाते हुए दोषियों को नौकरी से हटाकर अनुशासनिक व्यवस्था को मजबूत किया है। आम जनता की मांग है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए कड़ा संदेश दे, ताकि भविष्य में कोई भी सार्वजनिक पदाधिकारी भ्रष्टाचार की ओर न बढ़ सके।