वर्णमाला अनुसार मिलेंगे पंचायत चुनाव में चुनाव चिह्न
स्थान: अल्मोड़ा | प्रकाशन तिथि: 14 जुलाई 2025
- पंचायत चुनाव के पहले चरण में छह विकासखंडों में शुरू हुई प्रक्रिया
- चुनाव आयोग ने 40 प्रतीकों की सूची जारी की
- हिंदी वर्णमाला के क्रम (अ, आ, इ, ई…) के आधार पर होगा आवंटन
- ग्राम पंचायत से जिला पंचायत तक के लिए विभिन्न प्रतीक तय
- उगता सूरज, आम, अनार, अन्नानास, फूलों की टोकरी जैसे प्रतीक शामिल
पहले चरण में छह ब्लॉकों में चुनाव चिह्नों का आवंटन शुरू
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के अंतर्गत चुनाव चिह्न आवंटन की प्रक्रिया आज से प्रारंभ हो गई है। पहले चरण में ताकुला, धौलादेवी, ताड़ीखेत, भैंसियाछाना, लमगड़ा और चौखुटिया विकासखंडों के प्रत्याशियों को चिह्न बांटे जा रहे हैं।
चुनाव आयोग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इस बार चिह्नों का आवंटन हिंदी वर्णमाला के अनुसार किया जाएगा। प्रत्याशियों के नाम का पहला अक्षर (जैसे ‘अ’, ‘आ’, ‘इ’) देखकर चिह्न तय होगा।
क्या है हिंदी वर्णमाला आधारित चुनाव चिह्न वितरण प्रणाली?
सहायक निर्वाचन अधिकारी संतोष सिंह बोरा के अनुसार, “इस बार उम्मीदवारों के नाम के पहले अक्षर के आधार पर ही चिह्न दिए जाएंगे।” इसका उद्देश्य पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है।
इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रत्याशियों को मनपसंद प्रतीक मिलने की संभावना कम होती है, लेकिन सभी को निष्पक्ष रूप से क्रम अनुसार प्रतीक मिलते हैं। यह प्रणाली विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण हो जाती है जब प्रत्याशी निर्दलीय होते हैं और किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थन नहीं होता।
किन प्रतीकों का किया गया चयन?
जिला निर्वाचन कार्यालय ने बताया कि कुल 40 प्रतीकों की सूची बनाई गई है। इनमें शामिल हैं:
- ग्राम पंचायत सदस्य: आम, ओखली
- ग्राम प्रधान: अनाज की बाली, अन्नास
- क्षेत्र पंचायत सदस्य: अनार, अंगूठी
- जिला पंचायत सदस्य: उगता सूरज, कप-प्लेट, फूलों की टोकरी आदि
यह प्रतीक सामान्यतः स्थानीय मतदाताओं के लिए आसानी से पहचान में आने वाले होते हैं, जिससे वे साक्षर-असाक्षर सभी वर्गों के लिए सुविधाजनक बनते हैं।
प्रत्याशियों के लिए चुनौती: चिह्न को पहुंचाना मतदाता तक
प्रत्याशियों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती अपने चिह्न को गांव-गांव और घर-घर तक पहुंचाना है। ग्राम पंचायत सदस्य और प्रधान पद के प्रत्याशियों को क्षेत्र सीमित होने के कारण प्रचार में सहूलियत रहती है, लेकिन जिला पंचायत सदस्य जैसे बड़े क्षेत्रों में चुनाव चिह्न को मतदाताओं तक पहुंचाना एक बड़ी जिम्मेदारी बन जाता है।
इन उम्मीदवारों को पंपलेट, दीवार लेखन, हाथों से बने पोस्टर और डिजिटल प्रचार माध्यमों से अपने चिह्न को प्रचारित करना होगा।
दूसरे चरण में इन विकासखंडों में होगा आवंटन
दूसरे चरण में सल्ट, स्याल्दे, भिकियासैंण, हवालबाग और द्वाराहाट विकासखंडों के प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे। यह प्रक्रिया अगले सप्ताह प्रारंभ होने की संभावना है।
इस चरण में भी हिंदी वर्णमाला का ही पालन किया जाएगा और प्रक्रिया जिला निर्वाचन कार्यालय के निगरानी में होगी।
जनता की भूमिका और चुनावी पहचान
चुनाव चिह्न लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विशेष महत्व रखते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां कई मतदाता नाम से अधिक प्रतीकों के आधार पर मतदान करते हैं।
ऐसे में यह आवश्यक है कि प्रत्याशी अपना चुनाव चिह्न प्रचार सामग्री, जनसभाओं, दीवार लेखन और सोशल मीडिया के माध्यम से जनता तक सही ढंग से पहुंचाएं।
अल्मोड़ा में शुरू हुई यह प्रक्रिया राज्य के अन्य जिलों के लिए भी एक उदाहरण बन सकती है। मतदाताओं को भी चाहिए कि वे प्रतीक और प्रत्याशी दोनों के बारे में पूरी जानकारी लेकर मतदान करें, ताकि पंचायतें मजबूत और लोकतांत्रिक बन सकें।