🌲 पाखरो घोटाले में वन अधिकारियों की संपत्तियों पर ईडी की बड़ी कार्रवाई: पत्नियों और बेटों के नाम खरीदी गई संपत्तियां कुर्क
📌 मुख्य बिंदु (हाइलाइट्स):
- पाखरो रेंज घोटाले में 1.75 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क
- संपत्तियां आरोपियों की पत्नियों और बेटों के नाम पर थीं
- ईडी ने हरिद्वार और बिजनौर में की कुर्की की कार्रवाई
- मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत संपत्ति जब्त
- वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदार जांच के घेरे में
- अवैध निर्माण और पेड़ों की कटान से हुआ राजस्व नुकसान
उत्तराखंड के चर्चित पाखरो रेंज घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए लगभग 1.75 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्तियों को कुर्क किया है। यह संपत्तियां आरोपियों की पत्नी और बेटों के नाम पर खरीदी गई थीं। जांच एजेंसी का दावा है कि इन संपत्तियों की खरीद में उपयोग की गई धनराशि अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार से अर्जित की गई थी।
🕵️♂️ ईडी की कार्रवाई: क्या-क्या हुआ कुर्क?
प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने बताया कि कुर्क की गई संपत्तियों में:
- हरिद्वार जिले में स्थित आवासीय प्लॉट और फ्लैट्स
- बिजनौर (उत्तर प्रदेश) में स्थित जमीनें शामिल हैं
इन अचल संपत्तियों को मुख्य आरोपी किशनचंद और बृज बिहारी शर्मा ने क्रमशः अपने बेटों और पत्नी के नाम पर खरीदा था, ताकि भ्रष्टाचार की कमाई को छुपाया जा सके।
🌳 कौन हैं मुख्य आरोपी?
1️⃣ किशनचंद:
पूर्व में कालागढ़ टाइगर रिजर्व (देहरादून) के डीएफओ (वन प्रभागीय अधिकारी) रह चुके हैं। पाखरो रेंज के समय इन्हीं के कार्यकाल में अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया गया।
2️⃣ बृज बिहारी शर्मा:
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन रेंजर के पद पर कार्यरत रहे। इन्होंने भी ठेकेदारों और अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर नियमों को ताक पर रख कर निर्माण कार्य कराए।
🏗️ कैसे हुआ घोटाला? – अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई:
कॉर्बेट नेशनल पार्क, जो कि एक संरक्षित वन क्षेत्र है, वहां बिना किसी वैधानिक अनुमति के रिजॉर्ट जैसे अवैध ढांचे, गेस्ट हाउस, चौकियां और सड़कों का निर्माण कराया गया। इस दौरान हजारों पेड़ काटे गए और पर्यावरणीय नियमों की खुली अवहेलना की गई।
इन कार्यों के लिए वन विभाग से न कोई तकनीकी स्वीकृति ली गई और न ही संबंधित पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति प्राप्त की गई। इससे वन संपदा को भारी नुकसान हुआ और राजस्व की भी भारी हानि हुई।
💰 मनी लॉन्ड्रिंग के तहत संपत्तियां खरीदी गईं:
ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि इन अवैध गतिविधियों से एकत्रित धन को पत्नी और बेटों के नाम पर संपत्ति खरीदने के लिए उपयोग किया गया। यह क्लासिक मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता है, जिसमें भ्रष्टाचार की राशि को वैध संपत्ति के रूप में परिवर्तित किया जाता है।
उदाहरण के लिए:
- राजलक्ष्मी शर्मा (बृज बिहारी की पत्नी) के नाम पर हरिद्वार में दो अचल संपत्तियां
- अभिषेक कुमार सिंह और युगेंद्र कुमार सिंह (किशनचंद के बेटे) के नाम पर बिजनौर में भूमि क्रय की गई
ईडी की यह कार्रवाई भारत सरकार के प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA) के तहत की गई है। इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी अवैध आय से खरीदी गई संपत्ति को ‘अपराध से अर्जित संपत्ति’ (Proceeds of Crime) माना जाता है, जिसे सरकार जब्त कर सकती है।
पाखरो रेंज, जो कि कॉर्बेट नेशनल पार्क का हिस्सा है, लंबे समय से पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। यहां किए गए निर्माण कार्य न केवल वन संरक्षण अधिनियम, बल्कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का भी उल्लंघन करते हैं।
इस पूरे घोटाले का खुलासा तब हुआ जब कुछ पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में याचिकाएं दाखिल कीं।
ईडी के अनुसार इस घोटाले में न केवल दो बड़े अधिकारी शामिल हैं, बल्कि:
- कई ठेकेदार
- वन विभाग के अन्य कर्मचारी
- स्थानीय प्रशासनिक सहयोगी भी संदिग्ध हैं
इन सबकी संलिप्तता की जांच के लिए बैंक ट्रांजैक्शन, संपत्ति रजिस्ट्रेशन, मोबाइल डेटा और कॉल रिकॉर्ड्स को खंगाला जा रहा है।
कॉर्बेट जैसे महत्वपूर्ण संरक्षित वन क्षेत्र में इस प्रकार की अवैध गतिविधियां:
- वन्यजीवों के आवास को नुकसान पहुंचाती हैं
- पारिस्थितिकी संतुलन बिगाड़ती हैं
- पर्यावरणीय कानूनों की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाती हैं
इसके अलावा, आम नागरिकों में सरकार और वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर विश्वास की कमी भी उत्पन्न होती है।