पढ़े-लिखे सांसद संसद में सबसे सक्रिय: अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर विश्लेषण
हाइलाइट्स
संसद में स्नातक और पोस्टग्रेजुएट सांसद बहसों और सवालों में सबसे अधिक सक्रिय रहे
कम शिक्षा प्राप्त सांसदों की भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही
युवा महिला सांसदों ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा सवाल पूछे
लोकसभा ने मानसून सत्र के दौरान केवल 29% और राज्यसभा ने 34% निर्धारित समय का उपयोग किया
47% मंत्रियों के खिलाफ हैं गंभीर आपराधिक मामले, 26% मामले हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े
शिक्षा स्तर का संसद पर प्रभाव
संसदीय आंकड़ों के अनुसार, भारत के सांसदों में शिक्षा का स्तर उनकी संसदीय सक्रियता के साथ सीधे जुड़ा हुआ पाया गया है। वे सांसद जिनके पास स्नातक और पोस्टग्रेजुएट डिग्री है, वे बहसों और सवाल पूछने में सबसे अधिक सक्रिय बने रहे। जबकि जिन सांसदों की शिक्षा उच्चतर माध्यमिक या उससे कम है, उनकी भागीदारी इसके मुक़ाबले कम देखी गई.
विशेष रूप से, पोस्टग्रेजुएट सांसद औसतन 126 सवाल अधिक करते हैं और बहसों में वे 30 बार अधिक भाग लेते हैं, जो शिक्षा के महत्व को दर्शाता है. यह बात दिखाती है कि लिखित जानकारी और नीति विषयों का गहरा ज्ञान संसद के कामकाज में प्रभावी भूमिका निभाता है।
महिला सांसदों की भागीदारी
युवा महिला सांसदों ने सवाल पूछने में पुरुष सांसदों से बेहतर प्रदर्शन किया है। आंकड़ों के अनुसार, महिला सांसदों ने लगभग पुरुषों के बराबर सवाल उठाए, जबकि कुल महिला सांसदों की संख्या मात्र 10% है. यह दर्शाता है कि महिलाओं की संख्या कम होते हुए भी वे अपनी भूमिका में उत्साही और सशक्त हैं।
राजनीतिक दलों का प्रदर्शन
संसद में विभिन्न दलों की तुलना पर भी एक रोचक चित्र सामने आता है। क्षेत्रीय दलों जैसे शिव सेना, एनसीपी, तेलुगू देशम पार्टी के सांसदों ने बहस और सवाल दोनों में बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि राष्ट्रीय दलों के सांसदों की सक्रियता तुलनात्मक रूप से कम रही है.
उदाहरण के लिए, शिव सेना के सांसद औसतन 107.7 बहसों में हिस्सा लेते हैं और एनसीपी के सांसद 98.9 सवाल पूछते हैं। दूसरी ओर, भाजपा और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दल औसतन क्रमशः 44 और 51 सवाल पूछते हैं. भाजपा सांसदों की उपस्थिति (91%) उच्च रही है, जो उनके सत्र में सक्रिय रहने की ओर इंगित करती है.
लोकसभा और राज्यसभा के सत्र संचालन की समीक्षा
2025 के मानसून सत्र में लोकसभा ने अपने निर्धारित समय का केवल 29% और राज्यसभा ने 34% समय का उपयोग किया, जो कार्यकुशलता के मामले में चिंता का विषय है. इससे संसदीय कामकाज में और सुधार की आवश्यकता जाहिर होती है।
हालांकि कुछ सत्रों में लोकसभा का संचालन अपने निर्धारित समय से भी अधिक हुआ है, लेकिन औसत कार्यक्षमता अभी भी सुधार की मांग करती है.
आपराधिक मामलों का बढ़ता आंकड़ा
एडीआर (आशंका और जवाबदेही संस्थान) द्वारा किये गए विश्लेषण में पाया गया कि वह मंत्री जिनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं, वे कुल मंत्रियों का 47% हैं। इनमें से लगभग 26% मामले हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित हैं. यह स्थिति लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगाती है।
अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर संसदीय आंकड़ों ने स्पष्ट किया है कि शिक्षित सांसदों की सक्रियता अधिक होती है, जिससे संसद की कार्यकुशलता बढ़ती है। इसके साथ ही इस तथ्य का समर्थन होता है कि युवा महिला सांसद भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बहुमूल्य योगदान कर रही हैं।
इसी बीच, संसद के सत्रों के संचालन और समय प्रबंधन में सुधार आवश्यक है, साथ ही सांसदों के आपराधिक मामलों पर देशव्यापी चिंता बरकरार है। क्षेत्रीय दल संसद में अधिक सक्रिय दिखते हैं, जो लोकतंत्र की विविधता और जनप्रतिनिधित्व की गहराई को दर्शाता है।



