नेक्सा एवरग्रीन स्कैम: दो भाइयों ने ‘स्मार्ट सिटी’ के नाम पर 70,000 निवेशकों को लगाया 2,700 करोड़ का चूना
15 जून 2025 — Enforcement Directorate (ईडी) ने राजस्थान और गुजरात में नेक्सा एवरग्रीन रियल एस्टेट कंपनी के खिलाफ छापेमारी करके एक बड़े निवेशक धोखाधड़ी नेटवर्क का खुलासा किया है। इस मामले में लगभग 70,000 लोगों से मिलाकर ₹2,676–2,700 करोड़ की ठगी की गई है ।
धोखाधड़ी का तरीका और कम्पनी का जाल
- कंपनी के पीछे थे राजस्थान के सीकर जिले के दो सगे भाई — सुभाष बिजारणिया (सेवानिवृत्त भारतीय सेना से) और रणवीर बिजारणिया।
- उन्हें 2021 में अहमदाबाद में Nexa Evergreen नामक कंपनी पंजीकृत की ।
- धोखाधड़ी का तरीका: “धोलेरा स्मार्ट सिटी” प्रोजेक्ट का झांसा देकर फर्जी जमीन/फ्लैट का वादा और बड़े रिटर्न, लैपटॉप, कार-साइकिल जैसे उपहार, साथ ही MLM कमीशन से मोटा इनाम देने का लालच ।
निवेशकों की संख्या, राशि और एजेंट नेटवर्क
- लगभग 70,000 लोग—जिनमें कई सरकारी कर्मचारी, सैनिक और पुलिसकर्मी भी शामिल हैं—इस प्रलोभन में आए ।
- कुल जमा रकम: ₹2,676–2,700 करोड़, जिसमें ₹1,500 करोड़ सस्ते कमीशन के रूप में एजेंटों को बांटे गए ।
- कंपनी ने 1,300 बीघा जमीन खरीदी और ढेरों लक्जरी वाहन, रिसोर्ट, खदान और फ्लैट ख़रीदे; ₹250 करोड़ नकद लिए, बाकी रकम 27 शेल कंपनियों में ट्रांसफर ।
ईडी की कार्यवाही
- 12 जून 2025 को ईडी ने राजस्थान (जयपुर, सीकर, जोधपुर, झुंझुनू) और गुजरात (अहमदाबाद) में 24–25 ठिकानों पर छापेमारी की ।
- नकद जब्त ₹2.03–2.25 करोड़, बैंकों में ₹15 करोड़ फ्रीज, 10 खाते सील, महत्वपूर्ण दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और संपत्ति रिकॉर्ड बरामद ।
- केस की शुरुआत 2024 में कई FIRs के आधार पर बिलकुल हाल में ECIR दर्ज की गई थी ।
- मुख्य आरोपियों—सुभाष और रणवीर—को गिरफ्तार किया जा चुका है। साथ ही एजेंट सलीम खान समेत अन्य सहयोगियों की जांच जारी ।
- इनके ठिकानों से जब्त माल अभी जांच प्रक्रिया में है, और अभी तक मुख्य आरोपी संपत्तियाँ जब्त नहीं की जा सकीं ।
- प्रमुख पीड़ितों में सेवानिवृत्त सैनिक, पुलिसकर्मी, वरिष्ठ नागरिक और आम निवेशक—जिनकी आजीविका भर-भर कर जमा की गई बचत थी।
- कई लोग कानूनी लड़ाई कर रहे हैं, फिर भी अभी तक हुई जब्ती से पीड़ितों की राशि वापस आने की उम्मीद न्यून बनी हुई है ।
Nexa Evergreen स्कैम ने बड़ी मात्रा में धन-प्रबंधन, सोशल इंजीनियरिंग और MLM तंत्र का उपयोग करके निवेशकों को धोखे में रखा। यह मामला एक चेतावनी है कि स्मार्ट सिटी जैसी नई अवधारणा के नाम पर निवेश करने से पहले नियमित दस्तावेजों, प्राधिकृत परियोजनाओं और स्वतंत्र मूल्यांकन की जांच बेहद ज़रूरी है। ईडी की कार्रवाई से रिश्वत और मनी लॉन्ड्रिंग की संभावनाएँ उजागर हो रही हैं, लेकिन सबसे बड़ी परीक्षा पीड़ितों को उचित न्याय और धन-वापसी है।