नैनीताल में 1,500 से अधिक शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के वेतन पर रोक: ऑनलाइन उपस्थिति न दर्ज करना पड़ा भारी
हाइलाइट्स
नैनीताल जिले के 351 स्कूलों के 1,500+ शिक्षक-शिक्षिकाओं और प्रधानाचार्यों का जुलाई का वेतन रोका गया
कार्रवाई का मुख्य कारण: ‘विद्या समीक्षा केंद्र’ पोर्टल पर ऑनलाइन उपस्थिति और एमडीएम जानकारी न देना
सीईओ का आदेश—यदि खंड या उप शिक्षाधिकारी ने वेतन आहरण किया तो उनका भी वेतन रोका जाएगा
अधिकांश शिक्षकों/संघों ने इसे अव्यावहारिक व उत्पीड़नकारी बताया; खासकर जिन स्कूलों में इंटरनेट या मोबाइल नेटवर्क नहीं
शिक्षा विभाग में आदेश के बाद हड़कंप, विरोध करने की तैयारी
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नैनीताल जनपद के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत एक हजार से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं और प्रधानाचार्यों को ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज न करना भारी पड़ गया है। मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) गोविंद जायसवाल ने 25 जुलाई 2025 को 351 स्कूलों के करीब 1,500 शिक्षकों का जुलाई माह का वेतन रोकने का आदेश दिया है। इससे जिले भर के शिक्षकों में तनाव व आक्रोश का माहौल है।
क्या है पूरा मामला?
‘विद्या समीक्षा केंद्र’ पोर्टल पर कक्षा 1 से 12 तक सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों, छात्रों की दैनिक ऑनलाइन उपस्थिति और मिड-डे मील सहित अन्य आवश्यक सूचना दर्ज की जाती है।
सीईओ के मुताबिक, लगातार निर्देशित किया गया था कि शिक्षक अपनी व छात्रों की उपस्थिति नियमित दर्ज करें। 5 जुलाई को इस संबंध में विद्यालयों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया था।
21 जुलाई तक अपेक्षित जानकारी न देने के चलते जिल में 351 स्कूलों के लगभग 1,500 शिक्षकों, प्रधानाचार्यों का वेतन रोकने का आदेश जारी किया गया।
यदि बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) अथवा उप शिक्षा अधिकारी आदेश का पालन नहीं करेंगे तो उनका भी वेतन रोका जाएगा।
किन स्कूलों पर पड़ी गाज?
ब्लॉक | प्रभावित स्कूलों की संख्या |
---|---|
भीमताल | 68 |
बेतालघाट | 41 |
धारी | 16 |
हल्द्वानी | 48 |
कोटाबाग | 27 |
ओखलकांडा | 61 |
रामगढ़ | 45 |
रामनगर | 45 |
कुल विद्यालय: 1,320
जिनमें जानकारी नहीं दी: 351 (लगभग 27%)
वेतन रोके गए शिक्षक/प्रधानाचार्य: 1,500+
प्रतिक्रिया व नाराजगी
शिक्षक संघ व कई शिक्षक नेताओं ने इस कदम को उत्पीड़न करार दिया है।
खासकर दूरस्थ और पर्वतीय क्षेत्रों के स्कूलों में मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या, जिससे पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज करना संभव नहीं।
राजकीय शिक्षक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने चेतावनी दी, “जहां नेटवर्क और साधनों की अनुपलब्धता है, वहां यह आदेश अव्यावहारिक और अन्यायपूर्ण है। संगठन इसका विरोध करेगा।”
CEओ का पक्ष
मुख्य शिक्षाधिकारी, गोविंद जायसवाल ने कहा—
“351 विद्यालयों के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक व शिक्षकों ने छात्रों और अपनी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज नहीं कराई। पूर्व में निर्देश देने पर भी इसका पालन नहीं हुआ, इसलिए जुलाई का वेतन रोका गया है। अगर जिम्मेदार अधिकारी भी इस आदेश का उल्लंघन करेंगे, तो उनका वेतन भी रोक दिया जाएगा।”
आगे क्या
शिक्षकों का एक तबका जल्द ही इस फैसले के विरोध में सामूहिक प्रतिनिधित्व या कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
वहीं, अधिकारी अडिग हैं कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, जवाबदेही के लिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग जरूरी है।
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी शिक्षा व्यवस्था में तकनीक के प्रवेश को लेकर व्यवहारिक और संसाधनगत चुनौतियां उजागर की हैं। जब मूलभूत इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव है, तो इस तरह का कठोर प्रशासनिक कदम शैक्षिक माहौल और शिक्षक मनोबल पर नकारात्मक असर डाल सकता है। विभाग को प्रौद्योगिकीय सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर समन्वित समाधान की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।