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नैनीताल जिला पंचायत चुनाव में अनोखा ट्विस्ट – पांच सदस्यों का ‘अपहरण’, हाईकोर्ट ने चुनाव स्थगित किया

नैनीताल जिला पंचायत चुनाव में अनोखा ट्विस्ट – पांच सदस्यों का ‘अपहरण’, हाईकोर्ट ने चुनाव स्थगित किया

हाइलाइट्स बॉक्स

  • जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव से ठीक पहले पांच सदस्यों के ‘अपहरण’ से हड़कंप

  • कोर्ट में पेश हुईं लाइव वीडियो फुटेज, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए

  • मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने दिए त्वरित आदेश

  • पुलिस पर निष्क्रियता और कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी के गंभीर आरोप

  • जिला प्रशासन, पुलिस और निर्वाचन आयोग के बीच रातभर चलता रहा पत्राचार

  • 18 अगस्त को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई निर्धारित


उत्तराखंड के नैनीताल जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान एक नाटकीय मोड़ देखने को मिला। मतदान से चंद घंटे पहले, पांच निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों का कथित ‘अपहरण’ कर लिया गया। इस घटना से चुनावी प्रक्रिया पर गहरा सवाल उठ गया और हाई कोर्ट की खंडपीठ को त्वरित सुनवाई करनी पड़ी। मामला लोकतांत्रिक प्रक्रिया, लोक संग्रहण और प्रशासनिक व्यवस्था की मजबूती की परीक्षा बन गया।


घटना का क्रम

विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस समर्थित पांच जिला पंचायत सदस्य रहस्यमय तरीके से मतदान स्थल से गायब हो गए। इस दौरान धक्का-मुक्की, मारपीट, और नोकझोंक तक की घटनाएं भी सामने आईं। कांग्रेस नेताओं और गुमशुदा सदस्यों के परिजनों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

याचिका की अर्जेंट मेंशनिंग पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दिन में दो बार सुनवाई की। कोर्ट को उपलब्ध कराए गए वीडियो फुटेज में सदस्यों को कुछ लोगों द्वारा घसीटकर ले जाते हुए दिखाया गया।

एसएसपी, डीएम व एएसपी को कोर्ट में वर्चुअली पेश होना पड़ा। कोर्ट ने कठोर टिप्पणियां करते हुए कहा कि

“पुलिस अपराधियों को बचाने में सक्रिय दिख रही है।”
साथ ही, मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों व रिपोर्ट दर्ज न करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए।


प्रशासनिक प्रक्रियाएं और कोर्ट का आदेश

  • कोर्ट ने डीएम वंदना सिंह को निर्वाचन आयोग से मतदान दोबारा कराने का प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए।

  • साथ ही गायब किए गए सदस्यों को खोजने, मतदान के लिए समय बढ़ाने और घटनाक्रम की रिपोर्ट पेश करने को भी कहा गया।

  • कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने रात में ही अज्ञात अपराधियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई शुरू की।

  • हाईकोर्ट के सुरक्षा अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई कि गुमशुदा सदस्यों को सुरक्षित मतदान स्थल तक लाया जाए।


राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और मतदान का नाटक

  • कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा समर्थकों ने उसके पांच सदस्यों का अपहरण कर उन्हें मतदान से वंचित किया।

  • भाजपा की प्रत्याशी दीपा दर्मवाल ने भी पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेसियों ने उनके समर्थकों के साथ भी बदसलूकी की।

  • कोर्ट में पेश शपथपत्र में गायब सदस्य स्वयं को स्वेच्छा से मतदान से दूर बताने लगे, जिसकी सच्चाई की जांच कोर्ट ने कराई।

  • कोर्ट ने पाया कि शपथपत्र उसी दिन लिखे गए थे, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न लगा।


चुनावी वातावरण पर असर

चुनाव प्रक्रिया असमंजस में फंसी रही:

  • दिनभर जिला पंचायत कार्यालय और प्रशासनिक दफ्तर खुले रहे।

  • डेडलाइन बढ़ाई गई, फिर भी पूरे 27 में से केवल 22 सदस्य ही वोट डाल पाए।

  • आयोग के निर्देश स्पष्ट न होने पर आधी रात तक निर्णय टलता रहा; नतीजतन, मतगणना देर रात आधे-अधूरे तौर पर शुरू हुई और देर रात तक परिणाम घोषित नहीं किया गया।

  • राज्य निर्वाचन आयोग और जिला प्रशासन के बीच पत्राचार चलता रहा, जिसके निर्णय का उच्च स्तर पर इंतजार किया गया।


जनता, लोकतंत्र और नैतिक प्रश्न

यह कांड राज्य के लोकतंत्र, पंचायत व्यवस्था और साफ-सुथरे चुनावी माहौल के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

  • घटना ने यह सवाल खड़ा किया कि जब सुरक्षा की मांग पहले से उठाई जा रही थी, प्रशासन ने समय रहते कड़ा कदम क्यों नहीं उठाया?

  • दोषस्वरूप रुख और निष्क्रियता से समाज में विश्वास का संकट गहरा सकता है।


आगे की राह

हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 18 अगस्त के लिए निर्धारित की है। तब तक प्रशासन से पूरी जांच रिपोर्ट, गायब सदस्यों की स्थिति, घटना में पुलिस की भूमिका और मतदान की वैधता पर जवाब मांगा है। चुनावी प्रक्रिया तब तक अधर में है।

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