मोहम्मद शमी को कोलकाता हाईकोर्ट से झटका, हर महीने पत्नी और बेटी को देना होगा 4 लाख रुपये
न्यूज़ डेस्क। 2 जुलाई 2025: भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को कोलकाता हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने शमी को अपनी अलग रह रही पत्नी हसीन जहां और बेटी आयरा के भरण-पोषण के लिए हर महीने 4 लाख रुपये देने का आदेश दिया है। यह फैसला ‘घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम’ के तहत दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद 1 जुलाई 2025 को सुनाया गया।
न्यायमूर्ति अजय कुमार मुखर्जी की पीठ ने आदेश दिया कि शमी को अपनी पत्नी हसीन जहां को 1.5 लाख रुपये और बेटी आयरा को 2.5 लाख रुपये प्रतिमाह देने होंगे। कोर्ट ने कहा कि यह राशि “न्यायसंगत और उचित” है ताकि हसीन और उनकी बेटी की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। यह राशि 2016 से लागू होगी, जिसका मतलब है कि शमी को पिछले सात वर्षों के बकाया के रूप में 3.36 करोड़ रुपये का भुगतान भी करना होगा।
हसीन जहां ने निचली अदालत के 2023 के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसमें शमी को हसीन को 50,000 रुपये और उनकी बेटी को 80,000 रुपये प्रतिमाह देने का निर्देश दिया गया था। हसीन ने कोर्ट में दावा किया था कि उनकी और उनकी बेटी की मासिक खर्च की जरूरत 6 लाख रुपये से अधिक है, जबकि शमी की आय 2021 में लगभग 7.19 करोड़ रुपये वार्षिक थी। हाईकोर्ट ने शमी की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए निचली अदालत के फैसले को संशोधित किया।
शमी और हसीन जहां की शादी 2014 में हुई थी, और उनकी बेटी आयरा का जन्म 2015 में हुआ। हालांकि, 2018 में हसीन ने शमी पर घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और मैच फिक्सिंग के आरोप लगाए थे। इन आरोपों के कारण बीसीसीआई ने शमी का सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट कुछ समय के लिए रोक दिया था, लेकिन जांच के बाद उन्हें क्लीन चिट मिल गई।
हसीन जहां ने कोर्ट में कहा, “पिछले सात सालों में अपनी हक की लड़ाई लड़ते हुए मैंने बहुत कुछ खो दिया। मैं अपनी बेटी को बेहतर स्कूल में दाखिल नहीं कर पाई। मैं कोर्ट के इस फैसले के लिए आभारी हूं।” दूसरी ओर, शमी के वकील ने तर्क दिया कि हसीन ने अपनी वित्तीय स्थिति को गलत तरीके से पेश किया, लेकिन कोर्ट ने उनकी अपील को स्वीकार करते हुए यह आदेश जारी किया।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि शमी अपनी बेटी की शिक्षा या अन्य जरूरतों के लिए स्वेच्छा से अतिरिक्त राशि दे सकते हैं। इसके साथ ही, निचली अदालत को इस मामले को छह महीने के भीतर निपटाने का निर्देश दिया गया है।