पिता बिहार में मौलवी, बेटा मंदिर में पुजारी
हाइलाइट्स
दादरी (मेरठ) के शिव मंदिर में बिहार निवासी कासिम ने ‘कृष्ण’ बनकर दस साल तक पुजारी की भूमिका निभाई।
धार्मिक पहचान छिपाने और मंदिर के दानपात्र में रकम चोरी के आरोप में कासिम को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा।
ग्रामीणों को मंदिर के दानपात्र से कम धनराशि मिलने पर शक हुआ, आधार कार्ड मांगने पर कासिम का राज खुला।
कासिम के पिता बिहार के सीतामढ़ी जिले में मौलवी हैं, परिवार को उसकी मृत्यु की आशंका थी।
एसपी सिटी मेरठ ने बताया: कासिम ने दिल्ली में रहते पूजा-पाठ के मंत्र यू-ट्यूब से सीख लिए थे, हाथों की रेखाएं भी देखने लगा।
पुलिस और ग्रामीणों की सतर्कता से खुला सच्चाई का पर्दा, सोशल मीडिया पर मामला चर्चा में।
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उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में बीते दस वर्षों से एक व्यक्ति, जिसने अपनी पहचान ‘कृष्ण’ के रूप में बताई थी, असल में बिहार के सीतामढ़ी से ताल्लुक रखने वाला कासिम निकला। कासिम, जिसने स्थानीय शिव मंदिर में खुद को हिंदू पुजारी बताकर पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान किए, अब धार्मिक छल और दानपात्र में चोरी के मामले में पुलिस अभिरक्षा में है।
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कैसे खुली सच्चाई?
शिव मंदिर में बीते कई वर्षों से पुजारी के तौर पर पूजा-पाठ करने वाले ‘कृष्ण’ ने ग्रामीणों का विश्वास जीत लिया था। महिलाओं और बच्चों के हाथों की रेखा देखता, पूजा के दौरान मंत्रोच्चारण करता और विभिन्न पर्वों पर स्थानीय रीतिरिवाज निभाता रहा।
कांवड़ यात्रा के दौरान स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों ने ढाबों, दुकानों और मंदिरों में रहने वाले लोगों का सत्यापन अभियान छेड़ा। इस प्रक्रिया से डरकर कासिम मंदिर से चुपचाप निकल गया और खतौली के काली माता मंदिर में रहने लगा। हालाँकि कांवड़ यात्रा के बाद वापस लौट आया।
दानपात्र में रकम कम मिलने पर ग्रामीणों ने उससे आधार कार्ड मांगा, जो वह नहीं दे पाया। पुलिस को सूचना दी गई। पूछताछ में कासिम ने अपनी असली पहचान उजागर की।
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पूरा घटनाक्रम
पिता का नाम: अब्बास (बिहार, सीतामढ़ी में मौलवी)
कासिम की उम्र: 35-36 वर्ष
मंदिर में पहचान: कृष्ण, पुजारी
परिवार का भ्रम: कासिम ने घर छोड़ने के बाद परिवार को सूचित किया कि उसकी शादी हो चुकी है, फिर कभी संपर्क नहीं किया। परिवार को उसकी मृत्यु की आशंका थी।
मंदिर में प्रवेश: दिल्ली में पाँच वर्ष बिताने के बाद करीब दस साल पहले मेरठ के दादरी गांव स्थित शिव मंदिर पहुंचा, सफाई व पूजा-पाठ में मन लगाया।
दिल्ली में रहते समय कासिम ने यूट्यूब से दुर्गा चालीसा, हनुमान चालीसा और अन्य मंत्र कंठस्थ कर लिए थे। स्थानीय लोगों के बीच उसने हाथ की रेखा देखना भी शुरू किया, जिससे विश्वास और बढ़ा।
पुलिस जांच और चल रही कार्यवाही
मेरठ के एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह के अनुसार, “कासिम ने पूछताछ में बताया कि उसने दिल्ली में मंत्र सीख लिए थे और उसके बाद मंदिर में पूजा करने लगा। उसकी असली पहचान सामने आते ही चोरी व धार्मिक पहचान छुपाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया है।”
पुलिस ने बिहार के सीतामढ़ी जिले से भी मामले की पुष्टि कराई है।
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कासिम द्वारा मंदिर में पुजारी की भूमिका निभाने तथा हिंदू धार्मिक रीति-रिवाजों का उपयोग कर समाज का विश्वास अर्जित करना चर्चा का विषय बन गया है। धार्मिक संगठनों और ग्रामीणों के अनुसार, यह घटना न केवल आस्था के लिए खतरा है, बल्कि समाज में धार्मिक पहचान की जांच और मंदिरों के प्रशासन के लिए चेतावनी भी है।
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मेरठ के दादरी स्थित शिव मंदिर में कासिम उर्फ कृष्णा की कहानी ने धार्मिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा, समाज में सद्भाव और धार्मिक पहचान की सत्यता जैसे मुद्दों को केंद्र में ला दिया है। प्रशासन की सतकता, ग्रामीणों की जागरूकता और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने इस लंबी धोखाधड़ी पर लगाम लगाई है।