मालेगांव ब्लास्ट केस: साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपी बरी, बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना
मुंबई की विशेष एनआईए कोर्ट ने 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में बड़ा फैसला सुनाते हुए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। इस विस्फोट में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 लोग घायल हुए थे। कोर्ट ने कहा कि आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले। फैसले के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर ‘भगवा आतंक’ के नैरेटिव को लेकर तीखा हमला बोला, जबकि विपक्ष ने सफाई दी कि आतंकवाद को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
हाइलाइट्स
मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी सात आरोपी बरी।
बीजेपी ने कांग्रेस पर ‘भगवा आतंक’ को लेकर निशाना साधा।
विपक्ष ने कहा, आतंकवाद को किसी धर्म से न जोड़ा जाए।
फैसले के बाद सियासी घमासान
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने फैसले पर भावुक प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पिछले 17 सालों में मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई। भगवा का अपमान करने वालों को भगवान सजा देंगे।” पुणे में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के घर के बाहर पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर फैसले का स्वागत किया गया। पुरोहित ने कहा, “मैं न्यायपालिका और सशस्त्र बलों का आभारी हूं, जिन्होंने मेरा साथ दिया।”
बीजेपी का कांग्रेस पर हमला
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, “कांग्रेस का ‘हिंदू आतंकवाद’ का षड्यंत्र ढह गया। यह वोट बैंक की राजनीति थी। राहुल गांधी और सोनिया गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए।” असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, “कांग्रेस ने ‘भगवा आतंक’ शब्द गढ़कर एक समुदाय को खुश करने की कोशिश की।” महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “आतंकवादी कभी भगवा नहीं हो सकता।”
शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पाकिस्तान को बचाने के लिए ‘भगवा आतंक’ का नैरेटिव बनाया। बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, “’हिंदू आतंकवाद’ शब्द गढ़ने वालों पर अब कानूनी कार्रवाई होगी।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, “आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।” कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, “यह फैसला है, न्याय नहीं। धर्म का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं।” सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, “क्या खबरें दबाने के लिए यह फैसला लाया गया?”
फैसले का माहौल
फैसले के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है, जबकि कांग्रेस बचाव की मुद्रा में दिख रही है। यह फैसला 17 साल पुराने केस को समाप्त करने के साथ-साथ ‘भगवा आतंकवाद’ विवाद को फिर से चर्चा में ला रहा है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और सियासी टकराव की संभावना है।



