एलटी शिक्षकों व प्रवक्ताओं की पदोन्नति पर हाईकोर्ट की सुनवाई 3 जुलाई को
परिचय
उत्तराखंड में एलटी शिक्षकों एवं प्रवक्ताओं की पदोन्नति से जुड़ा मामला एक बार फिर न्यायिक समीक्षा के दौर में पहुंच गया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई की तिथि 3 जुलाई 2025 निर्धारित की है। मामला राज्य के हजारों शिक्षकों की पदोन्नति और वरिष्ठता निर्धारण से जुड़ा होने के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
⚖️ क्या है मामला?
एलटी (सहायक अध्यापक) शिक्षकों की प्रवक्ता पद पर और प्रवक्ताओं की प्रधानाध्यापक अथवा प्रधानाचार्य पदों पर पदोन्नति को लेकर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। इस विवाद का मुख्य आधार है – वरिष्ठता निर्धारण में तदर्थ सेवा की मान्यता।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष:
प्रेमा बौड़ाई समेत कई शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ट्रिब्यूनल के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें सरकार को तीन माह में वरिष्ठता सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए थे।
इनका तर्क है कि उनकी नियुक्ति सीधी भर्ती से हुई थी, ऐसे में वरिष्ठता निर्धारण में तदर्थ सेवा (Ad hoc service) को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
विरोधी पक्ष का तर्क:
जीवन धामी, लक्ष्मण खाती और अन्य पक्षकारों ने इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला दिया, जिसमें तदर्थ सेवा को वरिष्ठता निर्धारण में जोड़े जाने का निर्णय दिया गया था।
📜 पृष्ठभूमि: न्यायिक फैसलों की कड़ी
- वर्ष 2008 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भुवन कांडपाल बनाम राज्य सरकार मामले में निर्णय दिया था कि 21 नवंबर 1995 के शासनादेश के आधार पर तदर्थ शिक्षकों को 1 अक्टूबर 1990 से नियमित माना जाए।
- राज्य सरकार ने इस आदेश के विरुद्ध खंडपीठ में विशेष अपील दाखिल की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
- सरकार ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की, लेकिन वहां भी याचिका खारिज हो गई।
🏛️ ट्रिब्यूनल का निर्देश और मौजूदा विवाद
हाईकोर्ट में शिक्षा सचिव के आदेश के खिलाफ प्रभावित शिक्षकों ने याचिका दायर की थी। कोर्ट ने मामला पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल को भेजा, जिसने कहा कि हाईकोर्ट की खंडपीठ के निर्णय सभी शिक्षकों पर समान रूप से लागू होंगे।
हालांकि अब भी वरिष्ठता को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है, और इसी कारण नए सिरे से न्यायिक व्याख्या की आवश्यकता महसूस हो रही है।
📅 अगली सुनवाई की तिथि तय
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष इस मामले में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 3 जुलाई 2025 की अगली तिथि नियत की है। माना जा रहा है कि इस सुनवाई के बाद पदोन्नति की प्रक्रिया को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
👨🏫 क्या होगा शिक्षकों पर प्रभाव?
यदि कोर्ट वरिष्ठता में तदर्थ सेवा को शामिल करने के पक्ष में फैसला देती है, तो हजारों तदर्थ शिक्षकों को पदोन्नति में वरीयता मिल सकती है। वहीं, सीधी भर्ती से आए शिक्षकों को इसका प्रतिकूल प्रभाव झेलना पड़ सकता है।
शिक्षक संघों और अधिकारियों की निगाहें अब 3 जुलाई को होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई हैं।
एलटी और प्रवक्ता शिक्षकों की पदोन्नति से जुड़ा यह मामला न केवल न्यायिक बल्कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील है। कोर्ट के आगामी निर्णय से राज्य में शैक्षिक ढांचे और पदोन्नति प्रक्रिया की दिशा तय हो सकती है। सभी संबंधित शिक्षकों को अब 3 जुलाई की सुनवाई का इंतजार है।