केलाखेड़ा नगर पंचायत के तत्कालीन अधिकारी को रिश्वत मामले में तीन साल की सजा
हाइलाइट्स
उत्तराखंड के केलाखेड़ा नगर पंचायत के तत्कालीन ईओ संजीव मेहरोत्रा को तीन साल का साधारण कारावास व 20 हजार रुपये जुर्माना
2012 में विजिलेंस टीम ने 20,000 रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था
विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण हल्द्वानी की अदालत ने फैसला दिया
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 और 13 (1)(डी) के तहत सजा सुनाई
सजा के दोनों क्रम एक साथ चलेंगे
केलाखेड़ा नगर पंचायत के तत्कालीन अधिशासी अधिकारी संजीव मेहरोत्रा को रिश्वत मामले में अदालत ने तीन साल के साधारण कारावास और ₹20,000 का जुर्माना देने का आदेश सुनाया है। यह मामला वर्ष 2012 का है, जब एक सैन्यकर्मी से निर्माण स्वीकृति के लिए 20 हजार की मांग पर विजिलेंस टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तारी की थी।
मामले की विस्तार से जानकारी
शिकायतकर्ता सआदत हुसैन सेना में कार्यरत हैं, केलाखेड़ा निवासी हैं।
जमीन पर निर्माण की स्वीकृति पाने के लिए नगर पंचायत ईओ संजीव मेहरोत्रा ने 20 हजार रिश्वत मांगी।
विजिलेंस निरीक्षक तिलक राम वर्मा के नेतृत्व में 26 मई 2012 को ट्रैप कार्रवाई कर मेहरोत्रा को रंगे हाथ पकड़ लिया गया।
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में सात गवाह और दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिनके आधार पर दोषी सिद्ध हुआ।
मामले की सुनवाई अभियोजन और बचाव पक्ष की बहस के बाद पूरी की गई, फिर अदालत ने सजा सुनाई.
अदालत का निर्णय – अधिनियम की धाराएं
धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम: एक वर्ष कारावास व ₹10,000 जुर्माना।
धारा 13(1)(D), 12(2): दो साल कारावास व ₹10,000 जुर्माना।
सजाएं एक साथ चलेंगी, कुल तीन साल कारावास।
अदालत ने भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ा संदेश देते हुए शीघ्र सजा का आदेश दिया.
केलाखेड़ा मामले में 13 साल बाद अदालत का फैसला आया और भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून का सख्त संदेश दिया गया है। प्रशासनिक पारदर्शिता, ईमानदारी और नागरिक सुरक्षा की दिशा में यह अहम फैसला माना जाएगा।
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