जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए हाईटेक तकनीक का उपयोग
रामनगर, 8 जुलाई 2025: उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए अब आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। पार्क प्रशासन ने जंगल में लगे कैमरों को विशेष सॉफ्टवेयर से जोड़कर वन्यजीवों की गतिविधियों पर नजर रखने की व्यवस्था शुरू की है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से बाघ, हाथी या अन्य वन्यजीवों के जंगल की सीमा पार करने पर वन अधिकारियों और कर्मचारियों को तत्काल अलर्ट प्राप्त होगा।
1288 वर्ग किलोमीटर में फैले इस पार्क में लगभग 260 बाघ और 1250 हाथी निवास करते हैं। बाघों की बढ़ती संख्या के कारण कॉर्बेट के आसपास के क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जो पार्क प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। इस समस्या से निपटने के लिए साउथ के जंगलों में इस सॉफ्टवेयर का परीक्षण शुरू किया गया है।
पार्क अधिकारियों के अनुसार, यह सॉफ्टवेयर वन्यजीवों के जंगल से बाहर निकलते ही उनकी गतिविधियों और तस्वीरों को कैमरों में कैद कर लेता है, जिसके बाद तुरंत अलर्ट भेजा जाता है। केरल और ओडिशा में इस तकनीक के ट्रायल से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इस सॉफ्टवेयर की मदद से वनकर्मी वन्यजीवों को आबादी वाले क्षेत्रों में पहुंचने से पहले रेस्क्यू कर जंगल में वापस छोड़ देते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने में काफी हद तक सफलता मिली है।
हाल ही में कॉर्बेट पार्क प्रशासन और सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी के अधिकारियों के बीच इस तकनीक को लागू करने पर चर्चा हुई। पार्क वार्डन अमित ग्वासीकोटी ने बताया कि ढेला से कोटद्वार तक की सीमा पर 12 इंटेलिजेंट (ईआई) टावर स्थापित किए गए हैं। प्रत्येक टावर पर दो कैमरे लगाए गए हैं, जिनकी निगरानी क्षमता पांच किलोमीटर तक है। ये कैमरे रात में भी काम करने में सक्षम हैं। टाइगर सेल में इन कैमरों की लाइव फुटेज उपलब्ध होती है, जिससे वन्यजीवों की गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई संभव हो पाती है।
इस हाईटेक पहल से न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि स्थानीय समुदायों के बीच सुरक्षा की भावना भी बढ़ेगी। पार्क प्रशासन का मानना है कि इस तकनीक के व्यापक उपयोग से मानव-वन्यजीव संघर्ष को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।