2010–2020 में सबसे तेज़ी से बढ़ा इस्लाम, Pew
प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा 9 जून 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2020 की अवधि में मुसलमान वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाला धार्मिक समूह बन गया। वहीँ एक साथ प्रमुख धार्मिक समूहों में ईसाइयों की वृद्धि धीमी रही और उनका वैश्विक हिस्सा घटा।
आंकड़े और तथ्य
- 2010 से 2020 तक मुसलमानों की संख्या लगभग 347 मिलियन बढ़कर 2.0 अरब हो गई—जो सभी प्रमुख धर्मों में सबसे अधिक वृद्धि है। (pewresearch.org)
- उसी अवधि में ईसाइयों की संख्या 122 मिलियन बढ़ी, लेकिन उनकी वैश्विक हिस्सेदारी 30.6% से घटकर 28.8% हो गई। (timesofindia.indiatimes.com)
- दूसरी ओर, बौद्ध धर्म के अनुयायियों में गिरावट आई—343 मिलियन से घटकर 324 मिलियन।
वृद्धि के मुख्य कारण
- मुसलमानों की औसत आयु लगभग 24 वर्ष, जबकि गैर-मुस्लिमों की औसत आयु लगभग 33 वर्ष है। (washingtonpost.com)
- जनप्रसारकीय वृद्धि (fertility rate) अधिक और नए धर्म त्यागने की दर (disaffiliation) कम रही। इनमें धर्म परिवर्तन (conversion) का योगदान बहुत छोटा रहा। (washingtonpost.com)
क्षेत्रीय परिदृश्य
- एशिया–प्रशांत क्षेत्र में मुसलमानों की संख्या लगभग 1.2 अरब है, जो विश्व की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र है। (pewresearch.org)
- मध्य पूर्व–उत्तरी अफ्रीका में 414 मिलियन और सब-सहारा अफ्रीका में 369 मिलियन मुसलमान हैं। (pewresearch.org)
- उत्तर अमेरिका में मुस्लिम आबादी में सबसे तेज़— लगभग 52%—वृद्धि देखी गई, वहीं दक्षिण अमेरिका में वृद्धि अपेक्षाकृत कम थी।
ईसाई जनसंख्या में बदलाव
- ईसाइयों की संख्या बढ़ने के बावजूद, उनका प्रतिशत हिस्सा घट गया, इसका कारण कई देशों में धर्म त्याग और कम जन्म दर रही।
- अब सब-सहारा अफ्रीका में ईसाइयों की संख्या वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक है, जिसने अब यूरोप को भी पीछे छोड़ दिया है।
धर्म और जनसंख्या के बीच संबंध
धर्म और जनसंख्या वृद्धि के बीच गहरा संबंध देखा गया है। जिन धर्मों में विवाह की औसत आयु कम होती है और परिवार में बच्चों की संख्या अधिक होती है, वहां स्वाभाविक रूप से जनसंख्या तेज़ी से बढ़ती है। इस्लाम के संदर्भ में, पारंपरिक पारिवारिक संरचना और धार्मिक-सामाजिक कारणों से अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति देखी गई है। इसके विपरीत, विकसित देशों में बसे ईसाई समुदायों में शिक्षा, रोजगार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के कारण छोटे परिवारों का चलन बढ़ा है।
धर्म परिवर्तन का सीमित प्रभाव
प्यू रिसर्च की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि धर्म परिवर्तन (Conversion) का प्रभाव अपेक्षाकृत बहुत कम है। मुसलमानों की वृद्धि मुख्यतः जन्म दर के कारण हुई, न कि धर्मांतरण के कारण। वहीं ईसाई धर्म में धर्मत्याग की दर अधिक रही, खासकर पश्चिमी देशों में, जहां बड़ी संख्या में लोग अब ‘नास्तिक’ या ‘धर्मनिरपेक्ष’ श्रेणी में आ रहे हैं।
युवा आबादी का प्रभाव
इस्लामी समुदायों में युवा आबादी का अनुपात अधिक है। यह जनसांख्यिकी संरचना भविष्य में भी मुसलमानों की वृद्धि को बनाए रख सकती है। यह युवा वर्ग शिक्षा, तकनीक और समाज में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ-साथ सामाजिक-धार्मिक पहचान को भी और मजबूत बना सकता है।
भविष्य की संभावनाएँ
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वर्तमान प्रवृत्तियाँ बनी रहीं, तो 2100 तक इस्लाम संभवतः दुनिया का सबसे बड़ा धर्म बन सकता है। हालांकि इसमें कई कारक भूमिका निभाएंगे—जैसे शहरीकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ और वैश्विक प्रवासन की नीति। इसके साथ ही, जलवायु परिवर्तन और युद्ध जैसे विषय भी जनसंख्या स्थानांतरण को प्रभावित कर सकते हैं।
इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि आने वाले वर्षों में यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है। प्यू रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञ कोंराड हैकेट के अनुसार, मौजूदा जनसंख्या वृद्धि दर और उम्र वर्ग में अंतर के चलते, इस्लाम संभवतः भविष्य में दुनिया का सबसे बड़ा धर्म बन सकता है—जब तक कि कोई अप्रत्याशित बदलाव न आए।
2010–2020 की अवधि में मुसलमानों की वृद्धि, ईसाइयों की अपेक्षाकृत धीमी प्रगति और बौद्ध धर्म की गिरावट ने वैश्विक धार्मिक परिदृश्य को नई दिशा दी है। ये आंकड़े केवल धार्मिक प्रवृत्ति ही नहीं, बल्कि भविष्य की सामाजिक-जनसांख्यिकीय रीतियों का भी संकेत हैं।