देहरादून। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत देवभूमि उत्तराखंड में इस बार अनूठी पहल की जा रही है। रविवार से 21 जून तक राज्य में 60 से अधिक स्थानों पर स्थित मठ-मंदिरों, धार्मिक स्थलों और नदियों के तट पर योग शिविर लगेंगे।
विशेष बात यह है कि इनमें योगाभ्यास के साथ वेदों के ज्ञान की गंगा बहेगी तो नदियों के संरक्षण का संकल्प भी लिया जाएगा। इसके लिए योगाचार्य, वेदाचार्य और इतिहासविदों का चयन किया जा चुका है, जो शिविरों में भाग लेने वाले लोगों की जिज्ञासा शांत करेंगे।
उत्तराखंड, देश के उन राज्यों में शामिल है, जहां राष्ट्रीय नदी गंगा समेत अन्य नदियों की स्वच्छता के लिए केंद्र सरकार का महत्वाकांक्षी नमामि गंगे कार्यक्रम संचालित है। राज्य में इसके सकारात्मक परिणाम आए हैं। साथ ही नदी संरक्षण के लिए आमजन को जागरूक किया जा रहा है। इसी कड़ी में प्रतिवर्ष योग दिवस पर नमामि गंगे के अंतर्गत योग शिविर के साथ नदियों के संरक्षण को जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं, लेकिन इस बार यह कुछ हटकर है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्य स्वच्छ गंगा मिशन ने नई पहल की है। पेयजल सचिव शैलेश बगोली व राज्य में नमामि गंगे कार्यक्रम के कार्यक्रम निदेशक रणवीर सिंह चौहान के दिशा-निर्देशों के क्रम में योग के साथ वेद ज्ञान व नदी संरक्षण कार्यक्रम का खाका खींचा गया, जिसे अब धरातल पर मूर्त रूप दिया जा रहा है।
कार्यक्रम समन्वयक पूरन कापड़ी के अनुसार राज्यभर में 21 जून तक आयोजित होने वाले योग शिविरों के स्थल चयनित कर लिए गए हैं। ये शिविर 13 महाविद्यालयों के सहयोग से संचालित किए जाएंगे। इनमें गढ़वाल मंडल के आठ और कुमाऊं मंडल के पांच महाविद्यालय हैं।उन्होंने बताया कि शिविरों में योगाचार्य योगाभ्यास कराएंगे, जबकि वेदाचार्य वेद-पुराणों व धार्मिक ग्रंथों में वर्णित ज्ञान से परिचित कराएंगे। साथ ही नदी सभ्यता, नदियों का महत्व, गंगा नदी की सांस्कृतिक व आध्यात्मिक भूमिका पर वेदाचार्य और इतिहासविद् रोशनी डालेंगे। इस दौरान नदियों के संरक्षण का संकल्प लिया जाएगा और इस संबंध में शपथ भी दिलाई जाएगी।