दुगुना नमक खाता है भारत का शहरी नागरिक: ‘साइलेंट महामारी’ से निपटने की ICMR-NIE की मुहिम
हाइलाइट्स
– भारत में नमक की खपत WHO की अनुशंसित सीमा (5 ग्राम प्रतिदिन) से कहीं अधिक, शहरी क्षेत्रों में 9.2 ग्राम और ग्रामीण क्षेत्रों में 5.6 ग्राम।
– ICMR-NIE ने पंजाब और तेलंगाना में “कम्युनिटी-लीड सॉल्ट रिडक्शन” पहल शुरू की।
– कम सोडियम नमक से ब्लड प्रेशर 7/4 mmHg तक कम हो सकता है।
– केवल 28% रिटेल स्टोरों में कम सोडियम नमक उपलब्ध, जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती।
– #PinchForAChange अभियान के जरिए सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाई जा रही है।
भारत में नमक का अत्यधिक सेवन एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनकर उभर रहा है, जिसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (NIE) ने ‘साइलेंट महामारी’ का नाम दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अनुशंसा के अनुसार, एक व्यक्ति को प्रतिदिन 5 ग्राम से कम नमक का सेवन करना चाहिए, लेकिन भारत में यह औसत शहरी क्षेत्रों में 9.2 ग्राम और ग्रामीण क्षेत्रों में 5.6 ग्राम है। इस अधिक खपत से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए ICMR-NIE ने पंजाब और तेलंगाना में “कम्युनिटी-लीड सॉल्ट रिडक्शन” पहल शुरू की है, जिसका लक्ष्य नमक की खपत को कम करना और जन जागरूकता बढ़ाना है।
नमक की अधिक खपत: भारत की ‘साइलेंट महामारी’
नमक, जो भारतीय भोजन का अभिन्न हिस्सा है, अब एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बन गया है। ICMR-NIE की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लोग WHO की अनुशंसित सीमा से लगभग दोगुना नमक खा रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में औसतन 9.2 ग्राम और ग्रामीण क्षेत्रों में 5.6 ग्राम नमक प्रतिदिन खाया जा रहा है। यह अधिक सेवन हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) का प्रमुख कारण बन रहा है, जो आगे चलकर स्ट्रोक, हार्ट अटैक और किडनी रोगों को जन्म देता है।
ICMR के अनुसार, भारत में लगभग 30% वयस्क आबादी हाइपरटेंशन से पीड़ित है, और नमक की अधिक खपत इसका एक बड़ा कारण है। खासकर शहरी क्षेत्रों में प्रोसेस्ड फूड, फास्ट फूड और रेस्तरां के खाने में छिपा हुआ नमक (हिडन साल्ट) इस समस्या को और बढ़ा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी घरेलू खाने में नमक का अधिक उपयोग एक आम आदत है।
ICMR-NIE की पहल: कम्युनिटी-लीड सॉल्ट रिडक्शन
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए ICMR-NIE ने “कम्युनिटी-लीड सॉल्ट रिडक्शन” नामक एक तीन साल की परियोजना शुरू की है। यह पहल अभी पंजाब और तेलंगाना में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की जा रही है। इसका उद्देश्य नमक की खपत को कम करने के लिए समुदाय-आधारित जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देना है।
इस परियोजना के तहत हेल्थ वेलनेस सेंटर्स (HWCs) पर प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी लोगों को नमक कम करने के तरीकों और इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में सलाह देंगे। इसके अलावा, कम सोडियम नमक (Low Sodium Salt – LSS) के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। कम सोडियम नमक में सामान्य नमक का सोडियम क्लोराइड आंशिक रूप से पोटैशियम या मैग्नीशियम से बदला जाता है, जो हृदय और किडनी रोगियों के लिए सुरक्षित है।
डॉ. शरण मुरली, जो इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं, कहते हैं,
“कम सोडियम वाले नमक का उपयोग करने से औसतन 7/4 mmHg तक ब्लड प्रेशर घटाया जा सकता है, जो एक छोटा लेकिन प्रभावी कदम है।”
यह छोटा बदलाव लंबे समय में हृदय रोगों और स्ट्रोक के जोखिम को काफी कम कर सकता है।
कम सोडियम नमक: उपलब्धता और चुनौतियां
ICMR-NIE ने चेन्नई के 300 रिटेल स्टोरों में एक सर्वे किया, जिसमें पाया गया कि केवल 28% दुकानों में कम सोडियम नमक उपलब्ध था। सुपरमार्केट में यह उपलब्धता 52% थी, जबकि छोटे किराना स्टोरों में यह केवल 4% थी। इस कम उपलब्धता का प्रमुख कारण जागरूकता की कमी और मांग में कमी है।
कीमत भी एक बड़ी बाधा है। कम सोडियम नमक की औसत कीमत ₹5.6 प्रति 100 ग्राम है, जबकि सामान्य आयोडाइज्ड नमक की कीमत ₹2.7 प्रति 100 ग्राम है। यह कीमत अंतर आम उपभोक्ताओं, खासकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के लिए, कम सोडियम नमक को अपनाने में रुकावट बन रहा है।
इसके अलावा, कई लोग प्रोसेस्ड फूड जैसे चिप्स, नमकीन और सॉस में मौजूद छिपे हुए नमक से अनजान हैं। ICMR-NIE का कहना है कि जागरूकता बढ़ाने और कम सोडियम नमक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत बदलावों की आवश्यकता है।
#PinchForAChange: जागरूकता बढ़ाने का अभियान
लोगों को नमक की अधिक खपत के खतरों और कम सोडियम नमक के लाभों के बारे में जागरूक करने के लिए ICMR-NIE ने सोशल मीडिया पर #PinchForAChange अभियान शुरू किया है। यह अभियान ट्विटर और लिंक्डइन जैसे प्लेटफॉर्म पर सक्रिय है, जहां इन्फोग्राफिक्स, तथ्य और सरल संदेशों के जरिए लोगों को शिक्षित किया जा रहा है।
इस अभियान में बताया जा रहा है कि कैसे छोटे-छोटे बदलाव, जैसे खाने में नमक की मात्रा कम करना या कम सोडियम नमक का उपयोग करना, बड़ा स्वास्थ्य लाभ दे सकता है। उदाहरण के लिए, यह अभियान लोगों को सलाह देता है कि खाना बनाते समय नमक कम डालें और टेबल पर अतिरिक्त नमक छिड़कने से बचें।
सामाजिक प्रभाव
नमक की अधिक खपत का प्रभाव भारत के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में रहने वाली 45 वर्षीय अनीता शर्मा, जो हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं, कहती हैं,
“मुझे नहीं पता था कि मेरे खाने में इतना नमक है। डॉक्टर ने मुझे कम सोडियम नमक इस्तेमाल करने की सलाह दी, और अब मेरा ब्लड प्रेशर नियंत्रण में है।”
इसी तरह, तेलंगाना के एक गांव में रहने वाले 60 वर्षीय रामैया ने बताया,
“हमारे यहां खाने में नमक ज्यादा डालना आम बात है। लेकिन जब से हेल्थ वर्कर ने हमें कम नमक खाने की सलाह दी, हमने अपने खाने में बदलाव किया है।”
कम सोडियम नमक के स्वास्थ्य लाभ
कम सोडियम नमक का उपयोग न केवल हाइपरटेंशन को नियंत्रित करता है, बल्कि हृदय और किडनी रोगों के जोखिम को भी कम करता है। पोटैशियम से युक्त नमक ब्लड प्रेशर को संतुलित करने में मदद करता है, क्योंकि पोटैशियम सोडियम के प्रभाव को कम करता है। ICMR-NIE के अनुसार, यदि भारत में लोग कम सोडियम नमक को अपनाएं, तो हाइपरटेंशन से जुड़ी बीमारियों का बोझ 20-25% तक कम हो सकता है।
हालांकि, कम सोडियम नमक का उपयोग शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें किडनी की समस्या है। पोटैशियम का अधिक सेवन कुछ मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है।
नीतिगत बदलाव और भविष्य की योजनाएं
डॉ. शरण मुरली का मानना है कि यदि यह परियोजना सफल होती है, तो इसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में डाइट काउंसलिंग को एक स्थायी हिस्सा बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा,
“यह सिर्फ नमक कम करने की बात नहीं है, यह हमारी डाइट, सिस्टम और दिलों में संतुलन वापस लाने की पहल है। हम एक बार में एक चुटकी कम करके बड़ा बदलाव ला सकते हैं।”
इसके लिए सरकार से नीतिगत समर्थन की भी आवश्यकता है, जैसे कम सोडियम नमक पर सब्सिडी देना, प्रोसेस्ड फूड में सोडियम की मात्रा को नियंत्रित करना और स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा देना।
अन्य स्वास्थ्य योजनाओं के साथ तालमेल
ICMR-NIE की यह पहल भारत सरकार की अन्य स्वास्थ्य योजनाओं, जैसे आयुष्मान भारत और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, के साथ तालमेल में काम कर रही है। हेल्थ वेलनेस सेंटर्स को इस अभियान का मुख्य केंद्र बनाया गया है, जहां लोग न केवल नमक कम करने की सलाह ले सकते हैं, बल्कि नियमित स्वास्थ्य जांच भी करवा सकते हैं।
नमक की अधिक खपत भारत में एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुकी है, लेकिन ICMR-NIE की “कम्युनिटी-लीड सॉल्ट रिडक्शन” पहल और #PinchForAChange अभियान इस समस्या से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कम सोडियम नमक का उपयोग, जागरूकता और नीतिगत बदलाव इस ‘साइलेंट महामारी’ को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
हर व्यक्ति छोटे-छोटे बदलाव, जैसे खाने में नमक की मात्रा कम करना या कम सोडियम नमक का उपयोग करना, अपनाकर अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। यदि आप भी अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा करना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी हेल्थ वेलनेस सेंटर से संपर्क करें और इस पहल का हिस्सा बनें।