यूपी पुलिस भर्ती में हापुड़ के पिता-पुत्र की अनोखी सफलता, साथ में पाई नियुक्ति
कभी-कभी वास्तविक जीवन की कहानियाँ किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं होतीं। उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले के एक छोटे से गाँव उदयारामपुर नंगला से आई यह प्रेरणादायक कहानी एक ऐसे पिता-पुत्र की है, जिन्होंने न केवल अपने सपनों को साकार किया, बल्कि साथ‑साथ यूपी पुलिस में सिपाही पद पर चयनित होकर एक मिसाल कायम की है। यह कहानी सिर्फ सफलता की नहीं, बल्कि परिश्रम, अनुशासन और पारिवारिक एकता की भी है।
कौन हैं ये पिता-पुत्र?
गाँव के निवासी यशपाल नागर ने वर्ष 2003 में सेना के आर्मी ऑर्डनेंस कोर (AOC) में भर्ती होकर देश सेवा का कार्य शुरू किया था। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में करीब 16 वर्षों तक सैन्य सेवा दी। वर्ष 2019 में सेवानिवृत्त होने के बाद यशपाल दिल्ली में एक निजी विभाग में कार्यरत रहे।
उनका बेटा शेखर नागर, जो अपनी पढ़ाई के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था, हमेशा अपने पिता को प्रेरणा मानता रहा। यशपाल और शेखर दोनों ने 2024 में आयोजित यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा में भाग लिया और साथ में चयनित होकर समाज के लिए एक प्रेरक उदाहरण बन गए।
कैसे की तैयारी?
शेखर बताते हैं कि उन्होंने और उनके पिता ने लगभग तीन वर्षों तक एक साथ मिलकर परीक्षा की तैयारी की। वे रोज़ाना पढ़ाई के लिए स्थानीय पुस्तकालय जाया करते थे। इस दौरान उन्होंने समसामयिक विषय, सामान्य ज्ञान, हिंदी, और मानसिक अभिरुचि जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया।
यशपाल, जो लंबे समय तक सेना में अनुशासित जीवन जी चुके थे, ने इस तैयारी में अपने बेटे के साथ वही अनुशासन अपनाया। दोनों ने एक-दूसरे को मनोबल और समय प्रबंधन की तकनीकें सिखाईं। शेखर की माने तो –
“पापा ही मेरे असली प्रेरक हैं। उन्होंने न केवल खुद परीक्षा दी बल्कि मुझे भी रोज़ पढ़ाई के लिए तैयार किया।“
लखनऊ में नियुक्ति पत्र का गौरवपूर्ण क्षण
15 जून 2025 को लखनऊ के डिफेंस एक्सपो मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में दोनों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए।
एसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह ने मंच से इस पिता-पुत्र की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा –
“ऐसे परिवार समाज को प्रेरणा देते हैं। एक साथ भर्ती होकर इन्होंने न केवल अपने गाँव का नाम रोशन किया, बल्कि युवाओं को मेहनत का संदेश भी दिया।“
इस समारोह में उनके परिजन भी उपस्थित थे, जिन्होंने भावुक होकर यह क्षण साझा किया।
परिवार का योगदान और सामाजिक प्रभाव
परिवार की भूमिका इस सफलता में अहम रही है। माँ अनीता देवी, एक गृहिणी हैं, जिन्होंने पूरे समय अपने पति और बेटे को भावनात्मक समर्थन दिया।
शेखर की बहन नेहा, जो पोस्ट ग्रेजुएशन की छात्रा हैं, कहती हैं –
“हम सबने घर का माहौल हमेशा सकारात्मक रखा ताकि पापा और भाई को पढ़ाई में कोई बाधा न हो।“
उनके छोटे भाई ने भी हाल ही में 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की है और अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की योजना बना रहा है।
गाँव में यह खबर आग की तरह फैल गई। ग्राम प्रधान से लेकर विद्यालय के शिक्षकों तक, सभी ने इस सफलता की सराहना की। गाँव के ही एक बुजुर्ग कहते हैं –
“पहली बार देखा कि एक ही परिवार के दो सदस्य एक साथ भर्ती हुए हैं – वो भी पिता और बेटा।“
सेना से पुलिस तक – अनुशासन की निरंतरता
यशपाल नागर की पृष्ठभूमि सेना की रही है और अब वे पुलिस विभाग में सेवा देंगे। यह बदलाव केवल विभाग का नहीं है, बल्कि अनुशासन, देश सेवा और कर्तव्य की निरंतरता भी है। वे कहते हैं –
“मैंने अपने देश की रक्षा वर्दी में रहकर की है, अब प्रदेश की सेवा पुलिस की वर्दी में करूंगा।“
उनका मानना है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी व्यक्ति का सक्रिय और सकारात्मक रहना जरूरी है।
यूपी पुलिस के लिए प्रेरणादायक उदाहरण
उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में इस तरह की संयुक्त सफलता बेहद दुर्लभ है। यह न केवल भर्ती प्रणाली की पारदर्शिता दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि उम्र और रिश्ते सफलता की राह में बाधा नहीं हैं। पुलिस विभाग ने भी इस उदाहरण को विशेष रूप से प्रचारित करने का निर्णय लिया है ताकि अन्य युवा भी प्रेरित हों।
हापुड़ जिले के इस पिता-पुत्र की सफलता की कहानी केवल परीक्षा पास करने की नहीं, बल्कि सपनों के लिए साथ चलने की, संघर्षों को मिलकर पार करने की और एक नई शुरुआत की प्रेरणा है। यह उदाहरण युवाओं को यह सिखाता है कि मेहनत और सही दिशा में प्रयास किया जाए तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।